प्रदूषित हवा के कारण होने वाले अल्जाइमर से बचा सकती है यह दवा, वैज्ञानिकों ने की खोज

प्रदूषित हवा की वजह से अल्जाइमर होने का खतरा बढ़ जाता है और यह दिमागी तौर पर व्यक्ति को कमजोर कर देता है, यानी सोचने, समझने तथा याद रखने की क्षमता कम हो जाती है।
शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा कि कई अध्ययनों से पता चला है कि खराब वायु गुणवत्ता की वजह से अल्जाइमर होने का खतरा बढ़ जाता है और यह दिमागी तौर व्यक्ति को कमजोर कर देता है।
शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा कि कई अध्ययनों से पता चला है कि खराब वायु गुणवत्ता की वजह से अल्जाइमर होने का खतरा बढ़ जाता है और यह दिमागी तौर व्यक्ति को कमजोर कर देता है।
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इस बात को अध्ययनों के माध्यम से पहले ही स्पष्ट किया जा चूका है कि वायु प्रदूषण के 2.5 माइक्रोन व्यास या उससे छोटे कण (पीएम 2.5) तेजी से सोचने, समझने तथा याद रखने की क्षमता में गिरावट और अल्जाइमर रोग के खतरे से जुड़े हुए हैं। साथ ही दिमागी रूप से कमजोर वृद्धों के शरीर में बीमारी का खतरा, पीएम 2.5 के साथ आनुपातिक रूप से बढ़ जाता है।

अब वैज्ञानिकों ने प्रदूषित हवा के कारण होने वाली अल्जाइमर की बीमारी से निपटने के लिए एक खास दवा विकसित की है। वैज्ञानिकों ने चूहों पर इस दवा का सफल परीक्षण किया, इसके लिए उन्होंने चूहों को जीएसएम-15606 नामक दवा खिलाई।

दवा से वायु प्रदूषण के कारण चूहों को अल्जाइमर रोग से जुड़े प्रोटीन में वृद्धि के खिलाफ उन्हें सुरक्षा मिली। यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ साउथर्न कलिफोर्निआ (यूएससी) के लियोनार्ड डेविस स्कूल ऑफ जेरोन्टोलॉजी के शोधकर्ताओं की अगुवाई में किया गया है।

शोध में कहा गया है कि यूएससी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ने कई वर्षों तक मस्तिष्क पर वायु प्रदूषण के प्रभावों का अध्ययन किया है। उन्होंने ऑटोमोबाइल, कारखानों और अन्य स्थानों से होने वाले प्रदूषण में पाए जाने वाले सूक्ष्म कणों के संपर्क में आने से किस तरह का खतरा हो सकता है इसके बारे में जांच पड़ताल की है।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा कि कई अध्ययनों से पता चला है कि खराब वायु गुणवत्ता की वजह से अल्जाइमर होने का खतरा बढ़ जाता है और यह दिमागी तौर पर व्यक्ति को कमजोर कर देता है।

वायु प्रदूषण से सूजन और एमिलॉयड प्लेक के निर्माण को बढ़ावा देता है, जो एकत्रित पेप्टाइड एबीटा42 (Aβ42) के गुच्छे हैं जो अल्जाइमर की वजह से मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं के बीच बनते हैं।

यह शोध बीते कल, यानी 12 अगस्त को अल्जाइमर और डिमेंशिया: द जर्नल ऑफ द अल्जाइमर एसोसिएशन में प्रकाशित हुआ है, इसमें गामा-सीक्रेटेज मॉड्यूलेटर नामक एक प्रकार की दवा के बारे में प्रकाश डाला गया है।

टीम ने जीएसएम-15606 नामक एक विशेष दवा का परीक्षण किया। शोध में बताया गया है कि इस दवा को हार्वर्ड के अध्ययनकर्ताओं और सैन डिएगो के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के सहयोग से विकसित किया गया था।

शोध के मुताबिक, चूहों को आठ सप्ताह तक जीएसएम-15606 नामक दवा खिलाया गई, उस दौरान, जानवरों को नियमित रूप से परिवेशी नैनोपार्टिकुलेट मैटर (एनपीएम) या डीजल के जलने से निकलने वाले कणों (डीईपी) के रूप में वायु प्रदूषण के संपर्क में लाया गया। वायु प्रदूषण के संपर्क में आने के बाद, जीएसएम-15606 खिलाए गए चूहों के मस्तिष्क में एबीटा42 का स्तर उन चूहों की तुलना में बहुत कम था, जो प्रदूषण के संपर्क में थे।

शोध के परिणामों से पता चलता है कि जीएसएम-15606 एक दिन वायु प्रदूषण में रहने वाले लोगों में अल्जाइमर के खिलाफ निवारक उपाय के रूप में अहम भूमिका निभा सकती है।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा, क्योंकि गामा सीक्रेटेज पूरे शरीर में सामान्य कार्यों के लिए जरूरी है, इसलिए इस दवा को एबीटा42 (Aβ42) के उत्पादन को नियंत्रित करने के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन इसे रोका नहीं गया था।

यह अल्जाइमर को धीमा करने के लिए विकसित की गई नई दवा का पहला उदाहरण है जो वृद्ध लोगों को वायु प्रदूषण के पर्यावरणीय खतरों से भी बचा सकती है।

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