
विश्व कपास दिवस की शुरुआत सात अक्टूबर 2019 को डब्ल्यूटीओ द्वारा “कॉटन फोर” देशों, बेनीन, बुर्किना फासो, चाड और माली की पहल पर हुई।
2021 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे आधिकारिक मान्यता दी। इस साल की थीम “कपास, हमारे जीवन का ताना-बाना” है।
2025 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसका आयोजन एफएओ मुख्यालय, रोम (इटली) में किया जा रहा है, जहां कपास उद्योग की चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा होगी।
कपास केवल वस्त्र नहीं बल्कि खाद्य तेल, पशु आहार और रोजगार का बड़ा स्रोत है। एक टन कपास औसतन 5 लोगों को साल भर रोजगार देता है।
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है, जिसकी वैश्विक हिस्सेदारी लगभग 21 फीसदी है। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान और कर्नाटक हैं।
आज पूरी दुनिया में “विश्व कपास दिवस” मनाया जा रहा है। इस साल की थीम “कपास, हमारे जीवन का ताना-बाना” है। यह दिवस कपास के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय महत्व को सामने लाता है।
कपास दिवस की शुरुआत
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने सात अक्टूबर 2019 को पहली बार विश्व कपास दिवस की शुरुआत की थी। यह पहल अफ्रीका के चार देशों बेनीन, बुर्किना फासो, चाड और माली (जिन्हें “कॉटन फोर” कहा जाता है) के द्वारा की गई थी। दो सालों तक डब्ल्यूटीओ ने इस दिन के माध्यम से कपास से जुड़ी जानकारी और गतिविधियों को साझा करने का अवसर दिया।
संयुक्त राष्ट्र की मान्यता
बाद में 30 अगस्त 2021 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को आधिकारिक मान्यता दी। प्रस्ताव संख्या ए/आरईएस/75/318 के तहत सात अक्टूबर को “विश्व कपास दिवस” घोषित किया गया। तब से यह दिन हर साल कपास उत्पादक और उपभोक्ता देश मनाते हैं। इस अवसर का उद्देश्य विकासशील और सबसे कम विकसित देशों को कपास के वैश्विक व्यापार से अधिक फायदा दिलाना और कपास उद्योग में टिकाऊ नीतियों को प्रोत्साहित करना है।
कपास का वैश्विक महत्व
कपास हमारे रोजमर्रा के जीवन का अभिन्न हिस्सा है, यह लाखों किसानों, मजदूरों और महिलाओं की आजीविका का प्रमुख साधन है। भोजन, वस्त्र, और आवास के बाद वस्त्र मानव की मूल आवश्यकता है और वस्त्र उद्योग की नींव कपास है। कपास से बने कपड़े आरामदायक, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं।
इस साल संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा विश्व कपास दिवस का मुख्य आयोजन संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) मुख्यालय, रोम (इटली) में किया जा रहा है। इसमें कपास क्षेत्र की चुनौतियों, अवसरों और टिकाऊ व्यापार रणनीतियों पर चर्चा होगी।
आर्थिक दृष्टि से महत्व
कपास केवल रेशा (फाइबर) ही नहीं, बल्कि खाद्य तेल, पशु आहार और ईंधन का भी स्रोत है। जिंनिंग के बाद बचा बीज तेल निकालने और प्रोटीन युक्त पशु भोजन बनाने में काम आता है। वर्तमान में 100 से अधिक देश कच्चे कपास के निर्यात और आयात में शामिल हैं।
भारत में कपास उत्पादन
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है, जिसकी हिस्सेदारी लगभग 21 प्रतिशत है। साल 2025 में भारत में कपास का अनुमानित उत्पादन लगभग 2.5 करोड़ गांठ है। प्रमुख उत्पादक राज्य में गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान और कर्नाटक शामिल हैं।
कपास से जुड़े रोचक तथ्य
एक टन कपास से औसतन पांच लोगों को पूरे साल रोजगार मिलता है।
दुनिया भर में 2.4 करोड़ किसान, जिनमें लगभग आधी महिलाएं हैं, कपास से जुड़ी आजीविका चलाते हैं।
कपास से बने फाइबर अब थ्रीडी प्रिंटिंग जैसी नई तकनीकों में भी उपयोग हो रहे हैं।
कपास मात्र एक वस्त्र नहीं, बल्कि यह गरीब और विकासशील देशों के लिए आर्थिक सुरक्षा कवच है। यह न केवल उद्योगों को चलाता है, बल्कि करोड़ों परिवारों के जीवन को संवारता है। इसीलिए विश्व कपास दिवस 2025 का संदेश है “कपास, हमारे जीवन का ताना-बाना।”