"क्या हमारे पास शांति पूर्वक धरना देने का अधिकार भी नहीं है?" यह सवाल उत्तर प्रदेश के एक किसान का है। इस किसान का नाम संजीव गांधी (45) है जो संभल जिले के भदरौला गांव के रहने वाले हैं। संजीव को शांति भंग की आशंका में जिला प्रशासन की ओर से 5 लाख रुपए का नोटिस भेजा गया है।
संभल जिले में ही संजीव की तरह कई अन्य किसान भी हैं जिन्हें इस तरह के नोटिस मिले हैं। नोटिस में इन किसानों से 5 से 50 लाख तक के बॉन्ड भरने की बात कही गई है। साथ ही, इतनी ही धनराशि की दो जमानतें भी मांगी गई हैं। हालांकि जिला प्रशासन की ओर से इस बारे में बताया गया कि करीब दो दर्जन किसानों को नोटिस जारी हुआ था, किसानों से मिले आश्वासन के बाद इन्हें निरस्त कर दिया गया है।
क्यों जारी किए गए नोटिस?
यह सारे ही नोटिस संभल के उप जिलाधिकारी दीपेंद्र यादव की ओर से जारी किए गए थे। डाउन टू अर्थ ने उप जिलाधिकारी दीपेंद्र यादव से बात करके नोटिस जारी करने की वजह पूछी। वह बताते हैं, " हाल ही में इन इलाकों में दो-तीन प्रदर्शन हुए थे, जिसमें इन्होंने सड़कें जाम कर दी थी। संभल जिले से निकासी के छह रास्तों पर धरना देकर ट्रैफिक बाधित भी किया था। कहीं-कहीं पुतला भी फूंका गया। इससे इनकी प्लानिंग समझ आई कि आने वाले वक्त में यह ऐसा कर सकते हैं। पुलिस को आशंका थी कि आगे चलकर यह इसे हिंसक रूप भी दे सकते हैं। इसलिए निरोधात्मक कार्रवाई के तहत ऐसा किया गया।"
'निरोधात्मक कार्रवाई' को ऐसे समझा जा सकता है कि किसी को गलत कार्य करने से रोकने के लिए पहले से कदम उठाना। शांति भंग (धारा 111) के तहत जब भी नोटिस जारी होता है तो लोगों को कुछ न कुछ राशि के तहत पाबंद किया जाता है। यह राशि अलग-अलग हो सकती है, जैसे 50 हजार, 1 लाख, 5 लाख। अगर नोटिस जारी होने के बाद व्यक्ति इसका उल्लंघन करता है तो उससे यह राशि वसूली जाती है।
शांति भंग की आशंका के तहत ही संभल जिले के अझरा गांव के रहने वाले किसान राजपाल यादव को भी नोटिस जारी किया गया। राजपाल को जारी नोटिस में 50 लाख का बॉन्ड भरने की बात कही गई है। इस नोटिस पर राजपाल कहते हैं, "हमें डराने के लिए नोटिस जारी किए गए। इनकी सोच है कि किसी तरह से आंदोलन को कुचल दिया जाए। हम पर आरोप लगाया कि हम किसानों को भड़का रहे हैं। आंदोलन तेज करने की बात कर रहे हैं। क्या अपने हक के लिए आंदोलन की बात करना भी अपराध है?"
राजपाल यादव भारतीय किसान यूनियन (असली) के संभल जिले के अध्यक्ष हैं। जिला प्रशासन की ओर से जिन किसानों को नोटिस जारी किए गए उनमें से ज्यादातर इस गुट से जुड़े हुए हैं।
50 लाख का बॉन्ड 'क्लेरिकल मिस्टेक'
हालांकि किसानों को 50 लाख का नोटिस भेजने के बात को उप जिलाधिकारी दीपेंद्र यादव क्लेरिकल मिस्टेक (लिपिकीय अशुद्धि) बताते हैं। उनके मुताबिक, "हयातनगर थाने से 6 किसानों को 50 लाख के मुचलके पर पाबंद करने को कहा गया था। हमारी तरफ से इन किसानों से नोटिस जारी करके यह पूछा गया कि आपको 50 लाख रुपए से पाबंद करने की बात कही गई है, आप यह बताएं कि यह कार्रवाई क्यों न की जाए? इस बीच यह बात सामने आई कि थाने की ओर से क्लेरिकल मिस्टेक की वजह से 50 लाख के मुचलके की बात कही गई है। ऐसे में हमने 50 लाख को 50 हजार रुपए कर दिया।"
उप जिलाधिकारी के मुताबिक, आम तौर पर किसी को 50 लाख रुपए से पाबंद नहीं किया जाता, लेकिन यह क्लेरिकल मिस्टेक हो गई। इस गड़बड़ी को देखते हुए सभी थानाध्यक्षों से कहा गया कि एक बार फिर से वह जांच कर लें कि क्या यह लोग वाकई में शांति भंग कर सकते हैं।
अभी थानाध्यक्ष यह जांच करते ही उससे पहले ही कुछ किसानों की ओर से लिखित में दिया गया कि हम लोग कभी हिंसात्मक गतिविधि में शामिल नहीं रहे हैं और हम जो भी आंदोलन करेंगे लोकतांत्रिक तरीके से करेंगे। हमारी तरफ से सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाने का काम नहीं किया जाएगा। किसानों की ओर से लिखित आश्वासन मिलने के बाद सभी नोटिस निरस्त कर दिए गए हैं।