बिचौलियों को क्यों धान बेच रहे हैं किसान?

क्रय केंद्रों पर धान में नमी, बोरे की कमी और गुणवत्ता का हवाला देते हुए खरीदने से मना कर दिया जाता है
File Photo: Modh Shehfar
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उत्तर प्रदेश के किसानों को धान बेचने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। बोरे की कमी और धान की गुणवत्ता आदि पर सवाल उठाते हुए उन्हें क्रय केंद्रों से लौटाया जा रहा है, जिसकी वजह से किसानों को मजबूर होकर बिचौलियों के हाथों सस्ती दर पर धान बेचना पड़ रहा है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस साल खरीफ विपणन सीजन में 50 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य तय किया है, लेकिन 12 दिसंबर तक केवल 32 लाख टन धान ही खरीदा गया है। पिछले साल खरीफ के सीजन में राज्य से 48.25 लाख टन धान की खरीद की गई थी। सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए ग्रेड ए धान का एमएसपी 1835 रुपए प्रति क्विंटल और सामान्य किस्म के धान का एमएसपी 1815 रुपए प्रति क्विंटल निधारित किया है।

सरकार ने दावा किया कि धान की खरीद 1 अक्टूबर से  शुरू की जाएगी और 28 फरवरी तक खरीद जारी रहेगी। लेकिन कई जनपदों में धान की खरीद 1 नवंबर से शुरू की गई। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष रामकिशोर पटेल कहते हैं कि बाराबंकी में 10 नवंबर तक क्रय केंद्रों पर धान खरीद सुचारू रूप से शुरू नहीं हुआ, जिसकी वजह से किसानों को बाहर ही सस्ते दर पर धान की बिक्री करनी पड़ी। आम तौर पर यदि रबी (गेहूं) की बुआई 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच न हो तो उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ता है। और बुआई के लिए किसान को बीज, खाद व अन्य जरूरी चीजों की जरूरत होती है। इस बाबत किसान को पैसे की जरूरत होती है। ऐसे में क्रय केंद्रों पर होने वाली दिक्कत की वजह से अधिकांश किसानों को बिचौलियों के हाथों सस्ते दर पर धान की बिक्री करनी पड़ती है। उन्होंने इस मामले में जनपद के डीएम को भी बताया था और डीएम ने किसानों की समस्या से सरकार को अवगत भी कराया है।

बाराबंकी के हरक ब्लॉक के मिर्जापुर गांव के किसान अनंतराम वर्मा क्रय केंद्र पर गए तो कहा गया कि राइस मिलर्स से अभी समझौता नहीं हुआ है। ऐसे में उन्हें अपना 40 क्विंटल धान निजी खरीदाकार को बेचना पड़ा। इसी तरह बंकी ब्लॉक के बदलीपुरवा गांव के किसान दीपू वर्मा के धान को काफी बारीक बताकर खरीदने से मना कर दिया गया। मजबूरी में उन्होंने कुछ धान बिचौलिया को बेचा। प्रतापगढ़ के कंसापट्‌टी गांव (पट्‌टी ब्लॉक) के किसान रामबहादुर पटेल को धान में नमी बताकर खरीदने से मना कर दिया गया।

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) से जुड़े किसान नेता राजबीर जादौन कहते हैं कि यदि धान की खरीद चार महीने की बजाय पूरे साल कर दिया जाए तो किसानों को काफी राहत मिलेगी। श्रावस्ती के किसान नेता आत्मा राम पटेल कहते हैं कि केवल कागजों में धान की खरीद दिखायी जा रही है। अक्सर क्रय केंद्र पर सप्लाई इंस्पेक्टर न होने की वजह से भी धान की खरीद नहीं हो पाती है। इस बाबत हमने कई बार एसडीएम से भी शिकायत की। उनका तो यह भी कहना है कि दिन में बोरे की कमी का हवाला दिया जाता है और अगली सुबह केंद्र पर बोरा में भरा धान आ जाता है।

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