उत्तर प्रदेश में करीब 25 हजार राजस्व ग्राम ऐसे हैं जिनमें किसानों की सरकारी मदद के लिए लेखपालों की स्थायी नियुक्ति नहीं हैं। ऐसे राजस्व गांवों के किसानों को सरकारी सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने जिन लेखपालों को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर इन गांवों का कामकाज सौंपा था, उन सभी लेखपालों ने बीते पांच नवंबर से इन गांवों का दौरान करना छोड़ दिया है। किसानों को मुआवजे, बीमा योजनाओं और खेतों को कब्जा मुक्त कराने के लिए छोटे-छोटे कामों में बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।
उत्तर प्रदेश में किसानों को खेत में हुए किसी भी तरह के मुआवजे व नुकसान की भरपाई या बीमा के फायदे के लिए लेखपाल के सर्वे और विवेचना का सहारा लेना पड़ता है हालांकि, ऐसे राजस्व ग्राम जहां लेखपाल नहीं हैं वहां यह सारे काम नहीं किए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ से जुड़े आशुतोष पांडेय ने डाउन टू अर्थ से बताया कि गर्मियों में फसल जलने के मामले ज्यादा होते हैं। ठंड में टिड्डी आदि कीड़े के मामले सामने आते हैं। इसके अलावा आजकल उत्तर प्रदेश सर्वहित बीमा योजान के तहत सालाना 75,000 से कम आय वाले किसानों की दुर्घटना व मृत्यु पर पांच लाख रुपये की मदद सरकार की तरफ से की जाती है। इन सभी कामों में लेखपालों के सर्वे और विवेचना की जरूरत होती है। ऐसे में जहां लेखपाल नियुक्त नहीं हैं वहां यह सारे काम लंबित हैं।
श्रावस्ती जिले में पटना खरगौरा गांव के निवासी राहुल तिवारी किसान हैं उन्होंने डाउन टू अर्थ से कहा कि लेखपालों का खेत तक पहुंचना काफी मशक्कत भरा है। कई बार किसानों से इस काम के लिए गलत तरीके से अतिरिक्त पैसे की मांग की जाती है। इससे किसानों का भरोसा टूट जाता है। वहीं, कुछ लेखपाल सही काम भी करते हैं लेकिन यदि लेखपाल ही न हों तो फिर किसान कहां फरियाद लगाएं।
अतिरिक्त प्रभार वाले लेखपालों ने काम छोड़कर सरकार से मांग की है कि लेखपालों की भर्ती के साथ न सिर्फ उनकी वेतन विसंगतियों को दूर किया जाए बल्कि उनके यात्रा भत्ता में भी बढ़ोत्तरी की जाए। लेखपाल संघ के मुताबिक उत्तर प्रदेश में करीब 8000 पद लेखपाल के पद खाली हैं जिनपर अतिरिक्त प्रभार से काम चलाया जा रहा था।
प्रतापगढ़ निवासी आनंद कुमार के धान के खेत खाली हो गए हैं। अब वे गेहूं बुआई की तैयारी में हैं, उन्होंने बताया कि अतिशय और अनियमित मौसम की मार झेलते किसानों की कानूनी अड़चने भी कम नहीं हैं। आजकल ज्यादातर किसानों के बीच जमीनी विवाद होते हैं और इसका आसान रास्ता यह है कि किसान तहसील में दरखवास्त देकर अपने खेतों की मापी करवा लें। हालांकि लेखपालों के न होने पर यह कैसे संभव होगा।
उत्तर प्रदेश में अभी 21 हजार से ज्यादा लेखपाल हैं। वहीं उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ के बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि अतिरिक्त प्रभार वाले लेखपाल काम पर नहीं लौटेंगे और मांगों को पूरा कराने के लिए आंदोलन जारी रहेगा। 9 दिसंबर तक यदि मांगे नहीं मानी जाती हैं तो प्रदेश के लेखपाल विधानसभा का घेराव करेंगे।