खाद्य और कृषि संगठन के साथ मिलकर टिड्डियों पर निगरानी रखने वाले वरिष्ठ अधिकारी कीथ क्रेसमेन कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत-पाकिस्तान में हवा के स्वरूप में बदलाव तथा हिन्द महासागर में बार-बार आने वाले चक्रवातों की वजह से टिड्डियों के प्रजनन के लिए परिस्थितियां बन रही हैं। इन तमाम पहलुओं पर डाउन टू अर्थ ने क्रेसमेन से बातचीत की-
क्या यह पहली बार है जब टिड्डी दल अक्टूबर- नवंबर के बाद भी भारत में बने हुए हैं?1950 के बाद से ऐसा पहली बार हो रहा है। इससे पहले के दशकों में टिड्डियों के लंबी अवधि तक चलने वाले खतरनाक हमले देखे गए हैं जिन्हें लोकस्ट प्लेग (जब लगातार दो वर्षों से अधिक समय तक टिड्डी दलों का हमला होता है) कहा जाता है। तीसरी पीढ़ी के बाद इनकी तादाद कितनी है? टिड्डियां तेजी से बढ़ती हैं। पहली पीढ़ी 20 गुणा बढ़ती है, दूसरी 400 गुणा बढ़ती है और तीसरी पीढ़ी 16,000 गुणा बढ़ जाती है। इस बार सबसे ज्यादा आबादी अक्टूबर में बढ़ी जब दूसरी पीढ़ी खत्म हुई। इसी समय राजस्थान और गुजरात में टिड्डी दल के बड़े हमले देखे गए। चूंकि दिसंबर में प्राकृतिक वनस्पतियां सूखने लगती हैं इसलिए टिड्डी दल खेतों का रुख करते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं। क्या यह मई-जून या मॉनसून से पहले वापस आ सकते हैं? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे देरी से जाते हैं या जल्दी आते हैं। उनके बच्चे या उनके वंशज मॉनसून की शुरुआत में अपने प्रवास के दौरान आएंगे। वे दक्षिण पश्चिमी पाकिस्तान, बलूचिस्तान और दक्षिण पूर्वी ईरान की ओर जाते हैं, जहां वे अपनी सर्दियां बिताते हैं। वे बारिश का इंतजार करते हैं क्योंकि नमी और इसके बाद गर्माहट उनके प्रजनन के लिए सही वातावरण का निर्माण करती है। यदि प्रजनन बड़ी मात्रा में हुआ है तो मई के अंत तक नए टिड्डी दल बन जाते हैं और जून के लगभग वे भारत के मॉनसूनी इलाकों में लौट सकते हैं। क्या वे भारत-पाकिस्तान में जल्दी आएंगे व वार्षिक प्रवास का नया अध्याय लिखेंगे? मुझे ऐसा नहीं लगता। ऐसा हर साल नहीं होता। यह मौसमी प्रवास ईरान में बारिश की स्थिति पर निर्भर करता है। टिड्डी दल आमतौर पर भारत और पाकिस्तान में मॉनसूनी हवाओं के साथ आते हैं। यदि यह सामान्य रहती हैं तो प्रवास का स्वरूप नहीं बदलेगा। क्या वायु के स्वरूप में बदलाव से टिड्डों के हमले बढ़ गए हैं? जी हां। भारत और पाकिस्तान में वायु का स्वरूप बदल रहा है। हिंद महासागर में जलवायु परिवर्तन के कारण ज्यादा चक्रवात आ रहे हैं। आमतौर पर 5 से 6 वर्षों में चक्रवात आता था लेकिन पिछले 3 वर्षों में प्रतिवर्ष एक चक्रवात आया है। चक्रवात से तटीय गुजरात, अरब प्रायद्वीप, सोमालिया और उत्तर पूर्वी अफ्रीका में बारिश हुई है। इससे प्रजनन की अच्छी दशाएं बनती हैं। इतिहास बताता है कि ये प्लेग चक्रवाती हवाओं से फैलते हैं। |
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