अमेरिकी तकनीक से पशुओं का लिंगानुपात बिगाड़कर पशुपालकों की आय बढ़ाने की जुगत लगाई जा रही है। सेक्स सॉर्टेड सीमन (वीर्य) तकनीक से बछड़ों पर लगाम लगाकर बछियों की संख्या बढ़ाने की तकनीक पर कार्य किया जा रहा है।
उत्तराखंड अब सेक्स सोर्टेड सीमन उत्पादित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। ऋषिकेश में शुरू की गई प्रयोगशाला में ऐसी तकनीक प्रयोग की जा रही है जिससे 90 प्रतिशत बछिया पैदा होने की संभावना रहेगी। उत्तराखंड सरकार का मानना है कि यह तकनीक किसानों और पशुपालकों की आय को बढ़ाने की दिशा में बड़ी पहल होगी। एसएसएसपी तकनीक द्वारा एक्स और वाई गुणसूत्र में डीएनए का अनुपात संतुलित कर नर और मादा की जन्मदर को नियंत्रित किया जाता है।
राज्य में पशुपालन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि कुल 47 करोड़ 50 लाख लागत की इस योजना में 90 प्रतिशत केंद्र दे रहा है, जबकि 10 प्रतिशत राज्य का अंश है। इसमें पशुपालक को प्रति डोज केंद्र और राज्य सरकार से 400-400 रुपए की सब्सिडी मिलेगी।
सुंदरम ने बताया कि आमतौर पर मादा बछिया होने की संभावना 50 प्रतिशत होती है। लेकिन प्रयोगशाला में इस तकनीक के जरिए सेक्स सॉर्टेड सीमन से मादा बछिया होने की 90 प्रतिशत तक संभावना है। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से अनुदान मिलने पर पशुपालक को सेक्स सोर्टेड सीमन की एक डोज लगभग 300 रुपए में हासिल हो जाएगी जबकि इसकी बाजार दर लगभग 1,200 रुपए है।
केंद्र सरकार की राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत ऋषिकेश के श्यामपुर में शुरू की गई सेक्स सॉर्टेड सीमन प्रयोगशाला के लिए 18 राज्यों को चुना गया था। इसमें से तीन राज्य ही तय समय सीमा में इसका प्रस्ताव दे पाए। इनमें से उत्तराखंड के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस तरह उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां इस प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। पशुपालन सचिव ने जानकारी दी कि इसके लिए अमेरिका की फर्म इगुरान सॉर्टिंग टेक्नोलॉजी एल.एल.पी. से अनुबंध किया गया है। उत्तराखंड लाइव स्टाक डेवलपमेंट बोर्ड इसे संचालित कर रहा है।
राज्य सरकार प्रयोगशाला में तैयार सीमन को बेचने के लिए दूसरे राज्यों से बात कर रही है जिससे राज्य की आय में इजाफा होगा। इसका फायदा किसानों और पशुपालकों को मिलेगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इस सेक्स सार्टड सीमन प्रयोगशाला में तैयार होने वाले स्ट्रा की कीमत 1,150 रुपए प्रति स्ट्रा है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाले अनुदान के बाद यह किसानों और पशुपालकों को मात्र 300 रुपए में उपलब्ध हो जाएगा। उत्तराखंड में गौवंशीय पशुओं की संख्या 20.06 लाख और भैसों की संख्या लगभग 9.80 लाख है। इसमें देसी नस्ल के गोवंश की संख्या 5.42 लाख और क्रॉसबीड की संख्या 2.56 लाख है। हालांकि देसी बद्री गाय की संख्या जरूर कम है लेकिन इसकी गुणवत्ता अच्छी मानी जाती है।
मुख्यमंत्री का कहना है कि गोकुल ग्राम योजना के तहत देसी गोवंश को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन गायों का दूध और गोमूत्र की गुणवत्ता सबसे अच्छी मानी जाती है है। इस नस्ल की गायों के संवर्धन के लिए चमावत में बद्री गो संवर्धन केन्द्र स्थापित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालन विभाग भेड़-बकरी पालकों को अच्छी नस्ल के नर उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रहा है, जिससे भेड़-बकरी पालकों के पशुधन में सुधार होगा साथ ही ऊन और मांस के अधिक उत्पादन से उनकी आय में इजफा होगा।
अन्य पशुओं की भी नस्ल सुधारने की कोशिश
सुंदरम ने बताया कि पशुपालन में और भी अनेक महत्वपूर्ण पहल की गई हैं जो कि किसानों और पशुपालकों की आय को बढ़ाने में गेमचेंजर साबित होंगी। कालसी में 15 करोड़ की लागत से भ्रूण प्रत्यारोपण का सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स स्थापित किया गया है। यहां देश के पशु चिकित्साविदों और वैज्ञानिकों को भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ताकि अच्छी नस्ल के पशुओं की संख्या बढ़ाई जा सके।
इसके साथ ही ऋषिकेश में बने पशुलोक में 10.33 करोड़ रुपए की लागत से क्रॉस ब्रीड हीफर रियरिंग फार्म की स्थापना की जाएगी। इससे उत्तराखंड के पशुपालकों को उन्नत नस्ल की बछिया तैयार कर उपलब्ध कराई जाएंगी। सुंदरम ने बताया कि राज्य में मौजूदा समय में अच्छी किस्म की ऊन का उत्पादन नहीं हो रहा है। भेड़ों की नस्ल में सुधार के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया था। इस प्रस्ताव को स्वीकृत कर लिया गया है। इससे एक-दो महीने में राज्य में ऑस्ट्रेलिया से मेरीनो नस्ल की भेड़ आयात की जाएंगी। कुल 240 भेड़ों में 200 मादा और 40 नर होंगे। दो जेनरेशन तक इनकी ब्रीडिंग केंद्र पर ही कराई जाएगी। जब इनकी संख्या लगभग 350 तक हो जाएगी तो इन्हें किसानों और पशुपालकों के समूह को उपलब्ध करवाया जाएगा। वह कहती हैं कि लुधियाना में भी ऑस्ट्रेलिया से भेड़ का आयात किया जाता है। अगर हम इसका 15 प्रतिशत भी कर सकें तो पशुपालकों की आय में काफी इजाफा होगा।
सचिव ने बताया कि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम ने राज्य के कृषि सेक्टर के लिए 3,300 करोड़ का पैकेज दिया है। इस पैकेज में पशुपालन सेक्टर को भी बढ़ावा दिया जाना है। भेड़-बकरी पालकों के लिए अलग से त्रि-स्तरीय सहकारी ढांचा गठित किया गया है। इसमें लगभग 10 हजार भेड़ और बकरी पालकों को संगठित किया गया है। साथ ही प्रदेश में मीट उत्पादन को आधुनिक ढंग से विकसित किया जाएगा। इसमें मीट की क्वालिटी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इससे उत्पादकों के साथ उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा।
नर पशुओं की तादाद नियंत्रित कर मादा पशुओं की तादाद बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। जिससे पशुपालकों की आमदनी में इजाफा हो सके। इसका लाभ जमीनी स्तर पर किसानों और पशुपालकों को मिल सके, ये सुनिश्चित करना भी जरूरी है।