''लॉकडाउन ने हमारी खेती खराब कर दी है। हम पान तोड़ नहीं पा रहे और वो खेत में ही सड़ जा रहे हैं। सरकार इसे लेकर ध्यान दे, वरना हम गरीब लोग बर्बाद हो जाएंगे।'' यह बात पान की खेती करने वाले अक्षय लाल चौरसिया (66) कहते हैं।
अक्षय लाल उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के छोटे से गांव दक्खिन गांवा के रहने वाले हैं। अक्षय भी ज्यादातर पान किसानों की तरह भूमिहीन किसान हैं, जो गांव के लोगों की जमीन पर बटाई के तौर पर खेती करते हैं। यानी वो खेत से जितना भी उगाएंगे उसका एक निश्चित हिस्सा खेत के मालिक को देना होता है। इस बार अक्षय लाल ने अपने चाचा की जमीन पर एक हजार वर्ग मीटर में पान की खेती की थी। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार पान की खेती से करीब 30 से 40 हजार रुपए निकल आएंगे, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन ने उनकी उम्मीद पर पानी फेर दिया है।
लॉकडाउन की वजह से पान के किसानों को हुए घाटे पर राष्ट्रीय पान किसान यूनियन के प्रशासनिक सचिव एस.एन. चौरसिया बताते हैं, ''उत्तर प्रदेश के करीब 21 जिलों में पान की खेती होती है। यह खेती 1,000 हेक्टेयर भूमि में फैली है। जब लॉकडाउन लगा तो पान मंडियों में पड़ा था, जो कहीं जा नहीं पाया और सड़ गया। इसके अलावा खेतों में लगा पान भी सड़ रहा है क्योंकि ट्रांसपोर्ट की कोई सुविधा नहीं है, जिसकी वजह से पान मंडियों तक नहीं पहुंच रहा।''
राष्ट्रीय पान किसान यूनियन का कहना है कि यह स्थिति सिर्फ उत्तर प्रदेश में नहीं, बल्कि देश भर में पान के किसानों का यही हाल है। यूनियन के मुताबिक, देश के 18 राज्यों में पान की खेती होती है। वर्ष 2018-19 में भारत से 29 देशों में पान निर्यात किया गया था। हालांकि पान किसानों के लिए 2019-20 का साल इतना अच्छा नहीं रहा। पहले दिसंबर-जनवरी में पाले से पान की खेती को नुकसान हुआ, बाद में बारिश और ओलावृष्टि ने फसल को नुकसान पहुंचाया और अब लॉकडाउन से किसान तबाह है।
इस तबाही का असर उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के काथां गांव के रहने वाले पान किसान मुन्नी लाल चौरसिया (58) पर भी पड़ा है। मुन्नी लाल बताते हैं, ''साल का यही वक्त है जब पान थोड़ा महंगा बिकता है। अभी अगर बिक पाता तो एक ढोली पान (200 पान) पर 100 रुपए तक मिल जाते, लेकिन लॉकडाउन की वजह से बेचने के लिए बाजार तक नहीं जा सकते। पहले बहुत से खरीददार गांव आकर ही पान खरीद ले जाते थे, पर अब ऐसा नहीं हो रहा। इसलिए नुकसान झेल रहे हैं।''
मुन्नी लाल को उम्मीद थी कि अप्रेल से मई के महीने में जब पान महंगे दाम पर बिकते हैं उनकी अच्छी कमाई हो जाती, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। मुन्नी लाल से जब पूछा गया कि आपको कितना नुकसान हुआ है? इस सवाल के जवाब में वो उदास मन से कहते हैं, ''बाबू जी, अबतक यही कोई छह-सात हजार तक का हुआ होगा।''
पान किसानों को हुए इसी नुकसान की भरपाई के लिए राष्ट्रीय पान किसान यूनियन ने भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कई मांग की हैं। यूनियन से जुड़े यूपी के प्रदेश उपाध्यक्ष धीरज चौरसिया बताते हैं, ''हमने मुख्यमंत्री से पान किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 50 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज देने का अनुरोध किया है। साथ ही यह मांग रखी है कि जिस तरह बिहार सरकार ने पान की खेती को कृषि व्यवसाय मानते हुए किसानों को पान बरेजा बनाने में उपयोग होने वाले सामन को लाने की छूट दी है, साथ ही पान को मंडी तक ले जाने वाले वाहानों को छूट दी है, ऐसा उत्तर प्रदेश में भी किया जाए। इससे किसानों को मदद मिलेगी।''