उत्तरप्रदेश: भारी बारिश से धान किसानों की लागत निकलना भी हुआ मुश्किल

इस वर्ष उत्तर प्रदेश में लगभग 60 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई है, दो दिन की बारिश में इसमें काफी खराब होने का अंदेशा है
उत्तर प्रदेश में हुई बारिश में धान की फसल को खासा नुकसान पहुंचा है। फोटो: नीतू सिंह
उत्तर प्रदेश में हुई बारिश में धान की फसल को खासा नुकसान पहुंचा है। फोटो: नीतू सिंह
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उत्तर प्रदेश में तीन दिन से बारिश का सिलसिला जारी है। 19 अक्टूबर 2021 को राज्य में 28.5 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 1679 फीसदी अधिक है। 1 अक्टूबर से 19 अक्टूबर के बीच राज्य में 80.5 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है, जबकि सामान्य बारिश 29 मिमी रहती है। 19 अक्टूबर को सबसे अधिक बारिश बरेली में 211.1 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश व मध्य उत्तर प्रदेश में धान की कटाई तेजी से जारी थी। ज्यादातर किसान अब कटाई शुरू कर रहे हैं, उन्हें भारी नुकसान हो सकता है। इस भीषण बारिश और तेज हवाओं से धान की फसल खेत में ही तहस-नहस हो गयी है। कई जगह किसान की कटी पड़ी फसल थ्रेसिंग या पिटाई के इंतजार में खेत या खलिहान में थी उसे भी नुकसान पहुंचा है। इस वर्ष उत्तर प्रदेश में लगभग 60 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई है। 

सीतापुर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर लहरपुर ब्लॉक के सुल्तानपुर हरिप्रसाद गांव के रहने वाले किसान राजेश कुमार (53 वर्ष) ने धान और गन्ना फसल की बुआई के लिए बैंक से दो लाख रुपए लोन लिया था। राजेश बताते हैं, "दो एकड़ धान की फसल खेत में पकी खड़ी है। आंधी और बारिश से पूरी फसल तहस-नहस हो गयी। गन्ना भी लगभग बेकार हो गया है। सोचा था फसल उठते ही बैंक का लोन चुका देंगे लेकिन लोन तो दूर अब लागत ही निकल आए बड़ी बात है।" सीतापुर में 19 अक्टूबर को 44.8 मिमी बारिश हुई। जबकि अक्टूबर में अब तक 100.7 मिमी बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से 164 फीसदी अधिक है।

सिर्फ धान ही नहीं अगैती आलू जो बोया जा चुका था, वो खेत में सड़ जाएगा। इसी तरह अगैती सरसों को भी नुकसान है। 20 अक्टूबर से गन्ना मिल शुरू हो रहे हैं, लेकिन उसे पहले गन्ना को भी नुकसान है। वहीं सब्जियों की फसलों में गोभी, बैंगन, कुम्हड़ा और कद्दू की फसल पर भी इस बारिश और तेज हवाओं का गहरा असर पड़ा है। लगातार बारिश, नमी से सब्जियों की तैयार नर्सरी भी सड़ रही है। इस पूरे साल समय से पहले मानसून आया जिससे किसान दलहन और तिलहन फसल की बुवाई समय से नहीं कर सके. अभी हुई बारिश से खेत में तैयार फसल बर्वाद हो गयी।

सीतापुर कृषि विज्ञान केंद्र-द्वितीय कटिया के प्रभारी अध्यक्ष डा. दया शंकर श्रीवास्तव बेमौसम हुई बारिश पर कहते हैं, "इस वर्ष मानसून जून महीने में निर्धारित समय सीमा से 15 दिन पहले ही आ गया था जिस वजह से किसान खरीफ में जो दलहन और तिलहन की फसल की बुआई करता है वो नहीं कर पाया। उस समय मेंथा की कटाई चल रही थी बारिश होने की वजह से तेल पर्याप्त मात्रा में नहीं निकल पाया। इस बार अक्टूबर महीने में जितनी बारिश हुई है मेरी जानकारी के अनुसार 10-15 सालों में इतनी बारिश कभी नहीं हुई।"

दया आगे कहते हैं, "हमारे यहां महौली ब्लॉक में किसानों ने सैकड़ों एकड़ सब्जियों की नर्सरी लगाई थी वो सड़ गयी. अगर किसान नर्सरी दोबारा लगायेंगे तो ये डेढ़ दो महीने पीछे हो जाएगी। यह सरसों की बुआई का पीक समय है, लेकिन इस बारिश से जिन खेतों की बुआई हो चुकी है उनका जमाव नहीं होगा। जिनकी बुआई होने वाली थी वो एक डेढ़ हफ्ते पिछड़ गईं। किसानों का नुकसान ही नुकसान है। किसानों को मौसम के अनुमान का एक सालभर का चार्ट मिल जाए जिससे उन्हें पहले से पता हो कि कब बारिश हो सकती है वो उसी हिसाब से फसल की बुआई करें।"

उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश के चलते वहां के हालात बिगड़ रहे हैं जिसके बाद बैराज से पानी छोड़ा गया है, जिसके यूपी के कई जिलों में बाढ़ आ सकती है। ये पानी भी फसलों को नुकसान पहुंचा।  नदियों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए अलर्ट जारी किया गया है। डूब और तराई वाले इलाकों से निकलकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया है।

किसान मजदूर संगठन के सदस्य एवं किसान नेता लखीमपुर जिले के रहने वाले अंजनी दीक्षित के अनुसार, लखीमपुर और पीलीभीत तराई बार्डर के क्षेत्र हैं. यहाँ बारिश के अलावा उत्तरखंड और नेपाल की कई नदियों का पानी आ जाता है. इस समय नदियों में पानी आने से धान के हजारो एकड़ खेत लबालब भर गये हैं। तेज हवा से गन्ना की फसल गिर गयी है. किसानों का कितना नुकसान हुआ है ये एक किसान ही समझ सकता है।"

अंजनी दीक्षित आगे कहते हैं, "अगर थोड़ी बहुत धान निकली भी तो उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ेगा. किसानों को मंडी का भाव नहीं मिलेगा. बड़े किसानों की फसल में लागत लाखों रूपये की आती है जब फसल कटने को तैयार हुई तब ये बारिश हो गयी. ऐसे बेमौसम बारिश से किसान कर्जदार होते जा रहे हैं."

लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया ने ज़िले में बाढ़ को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की। उन्होंने कहा, "दो दिन से जारी बारिश के चलते जनपद की नदियां उफान पर हैं। उत्तराखंड के बनबसा बैराज से 5 लाख 33 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इतना पानी 2013 में जब छोड़ा गया था तो 181 गांवों में पानी घुसा। रात 10 बजे के बाद शारदा नदी का जलस्तर तेजी बढ़ेगा, जो 2 से ढाई मीटर ऊपर जा सकता है।"

आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक जेपी गुप्ता ने बताया, "पश्चिमी विक्षोभ के कारण ये बारिश हुई है। पिछले दो दिनों में जो बारिश हुई है उस तरह की बारिश अब नहीं होगी। पूर्वी उत्तर प्रदेश में आज और कल हल्की बारिश अभी होगी। 21 अक्टूबर से मौसम सामान्य हो जाएगा।"

कानपुर देहात जिले के निंदापुर गांव में रहने वाले उमेश कटियार बताते हैं, "हमारे क्षेत्र में कुम्हड़ा (पेठा) और कद्दू की फसल सबसे ज्यादा बोई जाती है। इतनी बारिश से तैयार फल ज्यादा दिन तक टिकेगा नहीं और अभी बाजार में इसका भाव नहीं मिल रहा। बाजरा की पकी फसल खेत में तैयार खड़ी थी। तेज आंधी से पूरी फसल गिर गयी।"

यूपी सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2021-22 के लिए 70 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा है। एमएसपी पर कुछ जिलों में खरीद 1 अक्टूबर से जबकि बाकी में 1 नवंबर से शुरु हो रही है। गीली हो चुकी धान किसानों के लिए धान अब एमएसपी पर बेचना काफी मुश्किल होगा।

फरुखाबाद और कन्नौज आलू बेल्ट है. सितम्बर में अगैती बुआई का समय था उस समय भी बारिश हो गयी थी जिस वजह से किसान अगैती आलू की बुआई नहीं कर पाए थे. अभी जब दोबारा किसानों ने आलू की बुआई की तो फिर बारिश हो गयी। फरुखाबाद जिला कृषि अधिकारी डॉ राकेश कुमार सिंह कहते हैं, "जिले में लगभग 42 हजार हेक्टेयर आलू का रकबा है. इस बारिश से अगैती आलू की फसल पूरी तरह से डिस्टर्ब हो गयी है. यूपी में सितंबर अक्टूबर महीने में इतनी बारिश कभी नहीं हुई जितनी इस वर्ष हुई है।"

मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, फरुखाबाद में 19 अक्टूबर को 106.8 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। यहां 1 से 19 अक्टूबर के बीच 150.5 एमएम बारिश हुई है, जो सामान्य से 432 फीसदी अधिक है। जबकि 19 अक्टूबर को कन्नौज में 153 एमएम बारिश हुई, जो सामान्य से 6552 फीसदी अधिक है। 

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