“धान की फसल जो खड़ी है उसकी गुणवत्ता खराब हो जाएगी, वह काटने लायक नहीं रह जाएगी। सब्जी और आलू के अलावा नई फसलें जैसे सरसों और गन्ने की बुआई अब शायद ही हो पाएगी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का यह हाल है कि उनके टोल फ्री नंबर पर कॉल किया जाता है तो फोन ही नहीं उठता। गेहूं की बुआई लेट हो रही है जो आगे और किसान को धक्का देगी।”
सहारनपुर जिला मुख्यालय से 9 किलोमीटर दूर नंदीफिरोजपुर गांव के प्रगितिशील किसान सेठपाल सिंह डाउन टू अर्थ से यह बताते हैं। वह कहते हैं कि किसानों पर बीते दो महीनों में दोहरी मार पड़ी है। सबसे पहले 15 से 20 सितंबर के दौरान लगातार बारिश हुई थी उसके बाद अब 5 अक्तूबर से लगातार हो रही बारिश ने हमारी सब्जी और आधा एकड़ फूलों के खेतों को नुकसान हुआ है। सेठपाल बताते हैं कि करीब 2 हेक्टेयर खेत में मूली, तोरी और लौकी व गोभी जैसी सब्जी लगाई थी उनका नुकसान हो गया है। 2 से 3 लाख रुपए का नुकसान हो गया है।
मूली का रेट 45 प्रति किलो था जो कि अब 22 रुपए किलो बिक रही है। इसमें 50 फीसदी नुकसान हो गया, जबकि तोरी, लौकी के फूल नष्ट हो गए और गोभी की नर्सरी ही खराब हो गई।
यह हाल समूचे उत्तर प्रदेश का है। 10 अक्तूबर, 2022 को भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) की ओर से जारी वर्षा आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि मानसून की विदाई के वक्त महज 7 जिलों को छोड़कर लगभग पूरे प्रदेश में अत्यधिक वर्षा (लार्ज एक्सेस रेनफाल) जारी है।
गंगा की प्रमुख सहायक नदी घाघरा, शारदा और राप्ती जैसी नदियां ऊफान पर हैं। खासतौर से पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिले – बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर गोरखपुर, जौनपुर, आजमगढ़ सर्वाधिक प्रभावित हैं।
10 अक्तूबर को यूपी के मुख्यमंत्री कार्यालय से एक आदेश जारी कर राहत कार्यों में तेजी लाने का भी आदेश दिया गया है। हालांकि, पानी इतना ज्यादा है कि खेतों में भरे पानी का सर्वे करना बेहद मुश्किल है। श्रावस्ती में भिन्गा निवासी लेखपाल अविनाश पांडेय ने बताया कि सबसे पहले तो बाढ़ के कारण हुए जान-माल नुकसान को देखा जा रहा है। बहुत ही विकराल स्थिति कई वर्षों बाद आई है।
आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक प्रतापगढ़, प्रयागराज और संतरविदासनगर इन तीन जिलों में प्रत्येक में 09 अक्तूबर को सामान्य से 10000 फीसदी अधिक वर्षा रिकॉर्ड हुई है।
यूपी राहत आयुक्त के मुताबिक 16 जिलों के 650 गांव की 5.8 लाख आबादी बाढ़ के कारण प्रभावित है।
बहराइच के रिसिया स्थित किसान अनिल यादव ने कहा “जब जरूरत थी तब बरसा नहीं अब ऐसा बरसा है कि पूरा खेत नष्ट हो गया है।”
श्रावस्ती में जोखन ने बताया कि अभी तक खेतों से पानी नहीं निकल सका है अब धान की बाली पूरी तरह खराब हो चुकी है।
वहीं इस सीजन में आलू और सरसों लगाने की तैयारी हो रही थी लेकिन वर्षा ने सब बर्बाद कर दिया है। बीते वित्त वर्ष में जितना सरसों की फसल पर किसान आगे बढ़े थे उतना ही इस बार सरसों की फसल बर्बाद होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 20 अगस्त तक 96 फीसदी धान की बुआई हो गई थी लेकिन फसलों की पैदावार कम होने का अंदेशा सूखे के कारण पहले ही जता दिया गया था। इस बार असमय बारिश ने दोहरी मार किसानों पर डाली है।