चुनाव खत्म होते ही मध्य प्रदेश में यूरिया संकट शुरू

मध्य प्रदेश के दो दर्जन से अधिक जिलों में नई सरकार बनते ही अचानक से यूरिया संकट पैदा हो गया
Credit: Vikas Choudhary
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चुनावी गतिविधियां खत्म होने के तुरंत बाद मध्य प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा जिलों में अचानक से यूरिया संकट पैदा हो गया है। यह संकट इतना अधिक गहरा गया है कि विभिन्न जिलों के कलक्टरों ने सूबे के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र भेज कर मदद मांगी है। कलक्टरों ने कहा है कि समय रहते यदि यूरिया की आपूर्ति नहीं की गई तो कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है। जिलाधीशों द्वारा पुलिस अधीक्षक की मदद से पुलिसबल की मदद से यूरिया बंटवाया जा रहा है। जिलाधीशों ने सरकार से कहा है कि जल्द ही यूरिया की व्यवस्था कराई जाए, अन्यथा हालात बिगड़ सकते हैं। 

आपूर्तिकर्ताओं के मुताबिक, यूरिया संकट विधानसभा चुनाव के समय से है। चुनाव पर असर न पड़े इसलिए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र से बात कर राहत दिलवाई थी। अक्टूबर में एक लाख टन यूरिया केंद्र से कम मिला। इस कारण संकट गहरा गया, इसका असर चुनाव पर पड़ सकता था, इसे देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री ने केंद्र से बात करके आपूर्ति बढ़वा ली। इस कारण नवंबर में प्रदेश को यूरिया लक्ष्य से ज्यादा मिला लेकिन दिसंबर में फिर पुरानी स्थिति बन गई। तीन लाख टन यूरिया की मांग के अनुपात में अभी तक 1.34 लाख मीट्रिक टन यूरिया ही मिल पाया है। पिछले साल 15 दिसंबर की तारीख तक 3.81 लाख यूरिया मिला था।

अचानक दिसंबर में राज्य में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही राज्य में यूरिया संकट बढ़ने का कारण कहीं राजनीतिक तो नहीं है। हालांकि केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी इस बात से इनकार करते हैं कि संबंधित राज्य से अब तक यूरिया संकट के संबंध में किसी तरह की शिकायत नहीं आई है। लेकिन उन्होंने इस पर हामी भरी की इसका कारण राजनीतिक हो सकता है। यही नहीं यूरिया संकट राजस्थान में भी धीरे-धीरे गहरा रहा है। और इन दोनों राज्यों में हाल के विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन हुआ है। इस परिवर्तन के कारण कहीं यूरिया संकट पैदा नहीं हुआ है। पिछले एक दशक से किसानों की समस्या उठाने वाले अहमद खान तो सीधे कहते हैं कि यूरिया की आपूर्ति में इसलिए कमी हुई कि क्योंकि राज्य में केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी की हार हुई है। नहीं तो नवंबर में कैसे यूरिया की आपूर्ति आवश्यकता से अधिक की गई। चूंकि जब राज्य में चुनाव होने थे और राज्य सरकार किसानों को नाराज नहीं करना चाहती थी, इसलिए जरूरत से अधिक यूरिया की आपूर्ति की गई है।

राज्य में गेहूं, चना, मसूर सहित अन्य रबी फसलों के लिए मौसम अनुकूल होने से प्रदेश में यूरिया की मांग है। किसी भी जिले में मांग के हिसाब से आपूर्ति नहीं हो पा रही है। दिसंबर में तीन लाख मीट्रिक टन यूरिया की दरकार है, लेकिन अभी तक 1.34 लाख टन यूरिया ही प्रदेश को मिल पाया है। हालात ये हैं कि होशंगाबाद और रायसेन में किसानों ने हड़ताल प्रदर्शन कर विरोध दर्ज कराया। गुना में जाम लगा रहे किसानों को काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, तो पिपरिया में लंबी कतार लग रही है। होशंगाबाद के जिलाधीश ने 4 अक्तूबर को पहला पत्र भेजकर कमी से अवगत कराया था। अब तक पांच पत्र भेज चुके हैं। 27 हजार मीट्रिक टन यानी 9 रैक यूरिया मांगा गया है। फिलहाल 6 सेंटर पर पुलिस के साए में यूरिया बांटा जा रहा है। वहीं श्योपुर जिले में 9 हजार मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत है। सरकार ने 4900 मीट्रिक टन ही उपलब्ध करवाया है। इसके अलावा सीहोर के जिलाधीश ने भी पत्र भेजकर कहा कि यूरिया की कमी से किसान नाराज हैं। भारतीय किसान संघ आंदोलन करने की योजना बना रहा है। मंदसौर जिलाशीध ने पत्र भेजकर कहा कि प्राथमिक साख सहकारी समितियों में यूरिया न होने से किसानों को मांग के मुताबिक यूरिया नहीं दे पा रहे हैं। नीमच की मनासा तहसील में सरकारी भंडारण खत्म हो जाने से खुले बाजार में यूरिया डेढ़ गुना कीमत पर बेचा जा रहा है। खंडवा में किसान निजी क्षेत्र से महंगे दाम पर खरीद रहे हैं।

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