बर्फ के पिघलने से झीलों का निर्माण
कुछ समय पहले उत्तराखंड के चमोली जिले में बर्फ की झीलों के फटने से बाढ़ आ गई थी जिसके कारण काफी जान माल का नुकसान भी हुआ। बर्फ से बनी झीलों को लेकर आज सदन में प्रश्न पूछा गया, इस पर जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने कहा कि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) इस पर लगातार नजर रख रहा है। इससे प्राप्त जानकारी के मुताबिक कुमाऊं हिमालय क्षेत्र में बर्फ के पिघलने से 70 से अधिक झीलें विकसित हो गई हैं। दर्ज की गई 77 नई हिमनदी झीलों में से 36 झीलें मिलम में, 7 झीलें गोन्खा में, 25 रालम में, तीन लवान में और छह झीलें मेर्तोली ग्लेशियरों में मौजूद हैं।
उद्योगों से वायु प्रदूषण
आज सदन में उठे एक प्रश्न के जवाब में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने केंद्रीय राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) और प्रदूषण नियंत्रण समितियों (पीसीसी) से मिली जानकारी का हवाला देते हुए बताया कि, देश में कुल 4,89,864 उद्योग हैं। जिनमें से 4,40,989 इकाइयां चालू हैं और 48,875 उद्योग बंद हैं। नियमों का अनुपालन करने वाले 4,12,823 और अनुपालन न करने वाली 28,166 इकाइयां हैं। 18,941 इकाइयों को कारण बताओ नोटिस दिया गया है तथा 2,616 इकाइयों को अनुपालन न करने के कारण बंद करने के निर्देश जारी किए गए हैं। 158 इकाइयों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है।
कोचीन में ब्रह्मपुरम अपशिष्ट उपचार संयंत्र से जहरीली गैस का रिसाव
आज सदन में 2 मार्च 2023 को केरल के ब्रह्मपुरम, कोचीन में स्थित कोचीन कॉर्पोरेशन के सॉलिड वेस्ट डंपिंग फैसिलिटी में आग लगने के बारे में पूछा गया। मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जलते हुए कचरे से निकलने वाला धुआं मुख्य रूप से पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर तेज हवाओं के कारण फैल गया तथा। यह बताया गया है कि कोचीन शहर और आस-पास के क्षेत्रों को धुएं ने ढक लिया था, इस पर सदन में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से जानकारी मांगी गई।
यादव ने बताया कि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ 10 और 13 मार्च 2023 को ब्रह्मपुरम, कोचीन, केरल में स्थित कोचीन निगम की नगरपालिका ठोस अपशिष्ट डंपिंग सुविधा का साइट का दौरा किया। उन्होंने कहा कि केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उचित कदम उठाने की बात कही गई हैं। उन्होंने आगे कहा कि परिवेशी वायु में डाइऑक्सिन और फुरान का आकलन किया गया है।
वन धन विकास योजना
आज सदन में वन धन विकास योजना को लेकर उठाए गए एक प्रश्न के उत्तर में, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने बताया कि, जनजातीय मामलों का मंत्रालय 'प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन' (पीएमजेवीएम) की योजना को लागू कर रहा है। इसके तहत देश भर में जनजातीय आबादी की आजीविका संबंधी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए वन धन विकास केंद्रों (वीडीवीके) की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
मुंडा ने कहा ट्राइफेड, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (एसआईए) के माध्यम से कार्यक्रम को लागू करता है। इस उद्देश्य के लिए, राज्य सरकारों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर एसआईए को प्रति वीडीवीके 15 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। मुंडा ने बताया यह कार्यक्रम मांग आधारित है, इसलिए राज्यवार आवंटन नहीं किया गया है।
जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में भारत का स्थान
जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक को लेकर पूछे गए प्रश्न के जवाब में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज सदन में जानकारी दी। चौबे ने बताया कि जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2023, रिपोर्ट नवंबर 2022 में जारी की गई थी और इसमें भारत ने 8वां स्थान हासिल किया, जो पिछले संस्करण से दो स्थान ऊपर है। उन्होंने कहा चूंकि सभी सूचकांक श्रेणियों में कोई भी देश इतना मजबूत नहीं था कि समग्र रूप से बहुत उच्च रेटिंग हासिल कर सके, इसलिए शीर्ष तीन स्थान यानी एक से तीन स्थान खाली हैं।
भारत में टाइगर रिजर्व की संख्या
आज सदन में टाइगर रिजर्व के संबंध में उठे एक प्रश्न का जवाब देते हुए, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि वर्तमान में देश में 53 टाइगर रिजर्व हैं।
राजस्थान में वन क्षेत्रों में खनन की अनुमति
राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने सदन में उठाए गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि, विगत तीन वर्षों (2019-20 से 2021-22) के दौरान राजस्थान से खनन एवं अन्य गतिविधियों के कुल 118 प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिनमें से 54 को अंतिम स्वीकृति प्रदान कर दी गई है तथा 45 को सिद्धांत,चरण-प्रथम अनुमोदन के तहत रखा गया है।
पराली के कारण वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण देश में अहम मुद्दा रहा है, वहीं आज सदन में पराली जलाने के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को लेकर प्रश्न किया गया। जवाब में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकारों के प्रयासों को आगे बढ़ाने में मदद की जा रही है। इसके तहत पराली जलाने के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को दूर करने और फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी को सब्सिडी देने के लिए, फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर 2018-19 एक केंद्रीय क्षेत्र योजना लागू की गई। चौबे ने कहा 2018-19 से 2022-23 की अवधि के दौरान, 3138.17 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। जिसमें पंजाब को 1426.45 करोड़ रुपये, हरियाणा को 916.71 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश को 713.67 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को 6.05 करोड़ रुपये और आईसीएआर को 75.29 करोड़ रुपये की धन राशि दी गई।
कृषि के लिए अलग बजट
आज सदन में कृषि के लिए अलग बजट को लेकर प्रश्न उठाया गया, इसके जवाब में वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि, कृषि के लिए अलग से बजट पेश करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। चौधरी ने आगे कहा भारत सरकार कृषि क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है। यह इस तथ्य से परिलक्षित होता है कि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के लिए बजट आवंटन बजट अनुमान 2013-14 में 27662.67 करोड़ रुपये से बढ़ाकर बजट अनुमान 2023-24 में 125035.79 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
गंगा बेसिन में जल निकाय
आज सदन में उठाए गए एक प्रश्न के उत्तर में, राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने बताया कि, स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन ने भारत की गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) के माध्यम से पांच मुख्य गंगा वाले राज्यों, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के 31 जिलों में "गंगा बेसिन में जल निकायों की गणना सर्वेक्षण" परियोजना को वित्तपोषित किया था। टुडू ने कहा इस परियोजना के तहत क्यूसीआई ने केवल 1,100 सरकारी जल निकायों का सर्वेक्षण किया और शरुआती रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में भूजल प्रदूषण
भूजल प्रदूषण को लेकर सदन में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में, राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने बताया कि, केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) अपने भूजल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम और विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के माध्यम से क्षेत्रीय स्तर पर दिल्ली-एनसीआर सहित देश के भूजल गुणवत्ता के आंकड़े तैयार करता है। उन्होंने कहा ये अध्ययन दिल्ली एनसीआर सहित विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलग-अलग इलाकों में मानव उपभोग के लिए फ्लोराइड, आर्सेनिक, नाइट्रेट, लोहा और भारी धातुओं जैसे दूषित पदार्थों की अनुमेय सीमा (बीआईएस के अनुसार) से अधिक होने का संकेत देते हैं।