टमाटर और धान में कीटों से आर्थिक नुकसान का अंदेशा, कीट और रोग नियंत्रण के लिए एडवाइजरी जारी

महाराष्ट्र के नासिक जिले में निफाड क्षेत्र में टमाटर में कीटों और रोगों की तीव्रता आर्थिक सीमा स्तर ( इकोनॉमिक थ्रेशहोल्ड लेवल -ईटीएल) से ऊपर रही
मध्य प्रदेश में भैंरोपुर गांव का एक टमाटर किसान। फोटो: रोकश मालवीय
मध्य प्रदेश में भैंरोपुर गांव का एक टमाटर किसान। फोटो: रोकश मालवीय
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महाराष्ट्र के नाशिक जिले में निफाड के किसानों के लिए इस बार टमाटर की फसल में कीटों और रोगों ने उन्हें परेशान कर दिया है। टमाटर में सरपेन्टाइन लीफ माइनर की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। यह एक छोटी मक्खी (लिरियोमाइजा ब्रासिका) का लार्वा है और जो टमाटर और अन्य सब्जियों के पौधों को नुकसान पहुंचाता है। चेतावनी के बावजूद ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिससे यह समस्या बढ़ती जा रही है। इस बार महाराष्ट्र में टमाटर की बुआई भी पिछड़ गई है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 6 सितंबर, 2024 को जारी क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की समीक्षा रिपोर्ट में बताया है कि महाराष्ट्र के नासिक जिले में निफाड क्षेत्र में टमाटर में कीटों और रोगों की तीव्रता आर्थिक सीमा स्तर ( इकोनॉमिक थ्रेशहोल्ड लेवल -ईटीएल) से ऊपर रही। अभी इसे 10 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रभावित पाया गया है।

ईटीएल यानी आर्थिक सीमा स्तर वह बिंदु है जिस पर किसी कीट या रोग की आबादी एक निश्चित स्तर पर पहुंच जाती है जहां आर्थिक नुकसान को रोकने के लिए नियंत्रण उपाय शुरू कर दिए किए जाने चाहिए। दूसरे शब्दों में आर्थिक सीमा स्तर उस बिंदु को दर्शाता है जिस पर कीटनाशक अनुप्रयोगों जैसे नियंत्रण उपायों को लागू करने की लागत कीट या रोग के कारण होने वाले संभावित आर्थिक नुकसान से ज्यादा उचित है। इस सीमा स्तर से नीचे नियंत्रण उपायों के आर्थिक लाभ लागतों से अधिक नहीं हो सकते हैं।

मंत्रालय के क्रॉप वॉच समूह की समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में टमाटर में कीटों और रोगों की समस्या के अलावा मध्य प्रदेश के भिंड जिले में धान में लीफ फोल्डर की समस्या भी आर्थिक सीमा स्तर से ऊपर आंकी गई है। जहां इसे 11 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रभावित पाया गया है। जैसा लीफ फोल्डर नाम से ही पता चलता है यह कीट चावल के पत्तों मोड़ देते हैं और उसी के भीतर घर बनाकर रहते हैं। आईसीएआर- सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ड्राइलैंड एग्रीकल्चर के मुताबिक यह कीट चावल की फसल पर दो से तीन पीढ़ियों तक रहता है। चावल पर पहला प्रजनन मुख्य रूप से अप्रवासी वयस्कों के माध्यम से शुरू होता है जबकि दूसरा और तीसरा प्रजनन फसल के अंदर विकसित होता है और सबसे अधिक नुकसानदायक होता है।

रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के सीतापुर में गन्ने (लाल सड़न) में कम-मध्यम तीव्रता देखी गई। जहां करीब 5 हेक्टेयर क्षेत्र में इसे प्रभावित पाया गया है। नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम के जरिए सलाह भी जारी कर दी गई है।

हाल ही में 2 सितंबर, 2024 को भी जारी समीक्षा रिपोर्ट में यह चेताया गया था कि महाराष्ट्र में गन्ने में रेड रॉट और टमाटर में सर्पेन्टाइन लीफ माइनर की तीव्रता आर्थिक सीमा स्तर तक रही थी। हालांकि, अब महाराष्ट्र में टमाटर के मामले में यह आर्थिक सीमा स्तर से ऊपर चली गई है।

ताजा क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 29 अगस्त, 2024 की स्थिति के मुताबिक खरीफ में आलू और टमाटर जैसी फसलों की बुआई भी इस बार कम हुई है।

खरीफ टमाटर के 2.89 लाख हेक्टेयर के लक्षित क्षेत्र में से 1.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है, जबकि 23-24 में अखिल भारतीय स्तर पर कुल 2.67 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक खरीफ टमाटर की बुआई पिछले साल की तुलना में आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ में पिछड़ रही है।

जबकि खरीफ आलू के मामले में 0.41 लाख हेक्टेयर के लक्षित क्षेत्र में से 0.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की गई है, जबकि 2023-24 में अखिल भारतीय स्तर पर कुल 0.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी।

प्याज के मामले में 3.82 लाख हेक्टेयर के लक्षित क्षेत्र में से 2.90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की गई है, जबकि 2023-24 में अखिल भारतीय स्तर पर कुल 2.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी।

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