पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाने वाले रासायनिक कीटनाशकों का पिछले साल संयमित इस्तेमाल देखा गया है। भारत में 2021-22 की तुलना में 2022-23 में रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग में 10,818 मीट्रिक टन की गिरावट आई है लेकिन चिंता की बात यह है कि उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गोवा, ओडिशा और मिजोरम में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले पांच वर्षों के दौरान इसका इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा था और यह 2021-22 में 63 हजार मीट्रिक टन से अधिक हो गया था।
रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल में अहम गिरावट महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, उत्तराखंड और जम्मू एवं कश्मीर में देखी गई है जबकि झारखंड, हरियाणा और तेलंगाना में इसका उपयोग स्थिर बना हुआ है। जैविक राज्य होने के नाते मेघालय और सिक्किम में इसका उपयोग नहीं हुआ है। रासायनिक कीटनाशकों का बेहतर विकल्प माने जाने वाले जैव कीटनाशकों का उपयोग भी 2020-21 में 9,321 मीट्रिक टन से घटकर 2022-23 में 7,248 रह गया है।
अगर हम रासायनिक कीटनाशकों के अधीन क्षेत्र की बात करें तो आंकड़ों में यह बढ़ा हुआ दिखाई देता है। 2021-22 में 9.60 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र रासायनिक कीटनाशकों के दायरे में था जो 2022-23 में बढ़कर 10.82 करोड़ हेक्टेयर पहुंच गया है। इसका तात्पर्य यह है कि लोग इसका कुल उपयोग भले ही कम कर हों लेकिन उसका क्षेत्र बढ़ा रहे हैं।
वहीं जैव कीटनाशकों के क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई है। 2021-22 में जैव कीटनाशकों के दायरे में आने वाला क्षेत्र 1 करोड़ 68 लाख 68 हजार हेक्टेयर था जो 2022-23 में घटकर 1 करोड़ 56 लाख 36 हजार हेक्टेयर रह गया है। इसके अलावा किसी भी कीटनाशक के दायरे में न आने वाले क्षेत्र में भी 64.55 लाख हेक्टेयर की कमी आई है।