खरीफ फसलों को बर्बाद कर चुकी बारिश रबी सीजन में बनेगी वरदान!

3 दिसंबर 2021 को जारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल अब तक पिछले साल के मुकाबले 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अधिक बुआई हो चुकी है
चालू रबी सीजन में पिछले साल के मुकाबले अब तक 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अधिक बुआई की जा चुकी है।
चालू रबी सीजन में पिछले साल के मुकाबले अब तक 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अधिक बुआई की जा चुकी है।
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बेशक पिछले महीनों में हुई भारी बारिश के कारण देश के 20 राज्यों में 50.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बोई गई फसल को नुकसान हुआ है, लेकिन साल के आखिरी महीने में दावा किया जा रहा है कि यह बारिश अब रबी सीजन की फसल के लिए वरदान साबित हुई है।

3 दिसंबर 2021 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया है कि अच्छी बारिश के कारण रबी सीजन की बुआई में लगभग 25 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।

कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग की संयुक्त सचिव शुभा ठाकुर ने ट्वीट किया, " अच्छी बारिश से पिछले साल 413.11लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस साल रबी की बुआई 438.51 लाख हेक्टेयर सुनिश्चित हुई है, जो लगभग 25 लाख हेक्टेयर अधिक है"।

रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं के अलावा सरसों की फसल बुआई का रकबा काफी बढ़ा है। अब तक गेहूं की बुआई में 7.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अधिक की गई है। इस साल अब तक 200.66 लाख हेक्टेयर बुआई रिपोर्ट हो चुकी है। जबकि पिछले साल 193.24 हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई थी।

चालू बुआई सीजन में सरसों की फसल में खासी वृद्धि दर्ज की गई है। शुभा के ट्वीट के मुताबिक इस साल अब तक 77.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले साल इसी अवधि तक 61.55 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। इस साल अब तक 30 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है।

गौरतलब है कि इस साल किसानों को सरसों के दाम काफी अच्छे मिले हैं, जिसकी वजह से पहले ही अनुमान लगाया जा रहा था कि इस साल सरसों के रकबे में वृद्धि हो सकती है।

हर सप्ताह के शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा फसल की बुआई का ब्यौरा दिया जाता है। पिछले 26 नवंबर को समाप्त सप्ताह तक देश में 346.13 लाख हेक्टेयर में बुआई रिकॉर्ड की गई थी, जो लगभग 23.43 लाख हेक्टेयर अधिक थी।

तब तक गेहूं की बुआई 138.35 लाख हेक्टेयर, दालें 97.53 लाख हेक्टेयर, तिलहन 76.60 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। इन सभी फसलों में पिछले साल के मुकाबले अच्छी खासी वृद्धि हुई थी।

यहां यह उल्लेखनीय है कि बीता मॉनसून सीजन और मॉनसून के बाद हुई बारिश ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया। 30 नवंबर 2021 को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तौमर ने लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया कि साल 2021 में चक्रवाती तूफान, अचानक बाढ़, बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने के कारण किसानों को लगभग 50.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगने वाली फसल का नुकसान हुआ। यह आंकड़े 25 नवंबर 2021 तक के थे।

इस मॉनसून काफी असामान्य रहा। मॉनसून सीजन जून से सितंबर तक बारिश कम हुई। मॉनसून की वापसी अक्टूबर के मध्य में हुई। इस दौरान भारी बारिश हुई, लेकिन मॉनसून की वापसी के बाद बहुत ज्यादा बारिश होने के कारण जहां किसानों की खरीफ सीजन की खड़ी फसल को खासा नुकसान हुआ।

लेकिन इस बारिश की वजह से जमीन में नमी बन जाने के बाद किसानों को रबी की बुआई में तेजी दिखाई, जिसका असर देखने को मिल रहा है।

हालांकि अभी भी दक्षिण भारत के कई राज्यों में बहुत ज्यादा बारिश हो रही है, जो किसानों के लिए नुकसान का सबब बन रही है। मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 1 दिसंबर 2021 को समाप्त सप्ताह के दौरान केरल में सामान्य से 316 प्रतिशत अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई, जबकि तटीय आंध्रप्रदेश व यमन में 137 फीसदी, रायलसीमा क्षेत्र में 340 फीसदी, तमिलनाडु पुडुचेरी व कराईकल क्षेत्र में 340 फीसदी, तटीय कर्नाटक में 300 फीसदी बारिश रिकॉर्ड की गई। इन इलाकों में पिछले तीन सप्ताह से बहुत ज्यादा बारिश हो रही है, जिससे सब्जियों को नुकसान पहुंचने की खबरें आ रही हैं। पिछले सप्ताह पूर्वी राजस्थान में 649 फीसदी अधिक बारिश हुई है।

मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 1 अक्टूबर से लेकर 3 दिसंबर के दौरान 317 जिलों में सामान्य से बहुत ज्यादा (60 फीसदी से अधिक) बारिश हुई, जबकि 105 जिलों में ज्यादा (20 से 59 फीसदी तक) बारिश रिकॉर्ड की गई। जबकि 42 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से काफी कम (60 फीसदी से कम) बारिश रिकॉर्ड की गई।

हालांकि कृषि विभाग के अब तक आंकड़े उम्मीद जगाते हैं कि अब तक 2021 साल किसानों के लिए मनहूस रहा हो, लेकिन अब उनकी बदनसीबी दूर हो जाएगी, लेकिन भविष्य में बारिश का रुख कैसा रहता है, यह अभी से कहना जल्दबाजी होगा। मॉनसून सीजन 2021 की शुरुआत में भी यही कहा जा रहा था कि मॉनसून सीजन अच्छा रहेगा और खरीफ की फसलों को फायदा होगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

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