आरसीईपी यानी क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी में शामिल होने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 नवंबर 2019 को ही इंकार कर चुके हैं। लेकिन अभी भी दूसरे देश यह प्रयास कर रहे हैं कि भारत शामिल हों। भारत की ओर से केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल कह रहे हैं कि भारत ने बातचीत के रास्ते बंद नहीं किए हैं। ऐसी स्थिति में किसान क्या सोचते हैं? इस बारे में भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्ध्वीर सिंह से डाउन टू अर्थ ने बातचीत की
‘अभी खतरा पूरी तरह टला नहीं है’युद्धवीर सिंह 4 नवंबर 2019 को जैसे ही बैंकॉक से खबर आई कि भारत ने आरसीईपी में शामिल होने से इनकार कर दिया, किसानों की सांस में सांस आई। देश का लगभग हर किसान बैंकॉक में होने जा रहे समझौते पर नजर रखे हुए थे, लेकिन एक बार फिर हमने (किसानों) एक बड़ी लड़ाई जीत ली। इसके लिए हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हैं। साथ ही, स्वदेशी जागरण मंच, किसान संघ का भी, जो इस लड़ाई में किसानों का साथ रहा। अगर यह समझौता हो जाता तो किसानों की बर्बादी शुरू हो जाती। खासकर डेयरी चलाने वाले करोड़ों किसानों के लिए यह समझौता बेहद ही खतरनाक था। |