देशभर के चावल निर्यातकों ने हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश व जम्मू-कश्मीर की मंडियों में रविवार 15 अक्टूबर 2023 से धान की खरीद बंद कर दी है। इसकी वजह केंद्र सरकार द्वारा बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी : मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस) कम नहीं करना है। इससे किसानों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। बेमौसमी बारिश और ओलों के कारण जहां खेतों और मंडिया में रखी फसल खराब हो रही है, वहीं निर्यातकों के इस कदम से उन्हें धान की कीमत भी नहीं मिल पा रही है।
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ ने केंद्र सरकार से बासमती चावल का एमईपी 1200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 850 डॉलर प्रति टन करने की मांग की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने अगले आदेश तक इसे 1200 डॉलर प्रति टन ही जारी रखने का फैसला लिया है।
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया बताते हैं कि टर्की और ईराक में वर्ल्ड फूड में भारत के निर्यातक गए थे, लेकिन वहां चावल की किस्म 1509 के सौदे नहीं हुए, क्योंकि पाकिस्तान समेत कई अन्य देशों के निर्यातकों द्वारा सस्ते में चावल उपलब्ध कराया जा रहा है। इस बार पाकिस्तान में फसल भी बहुत ज्यादा हुई है, वहां के सौदे हमसे ज्यादा हो रहे हैं।
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष नाथी राम गुप्ता कहते हैं कि सितंबर महीने में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ देशभर के 165 निर्यातकों की बैठक हुई थी। इसमें उन्हें बताया गया था कि धान की 1121 व 1509 किस्म का चावल 1200 डॉलर प्रति टन मूल्य पर निर्यात नहीं हो सकता। दूसरे देश इसे सस्ते में बेच रहे हैं। लिहाजा, 850 डॉलर प्रति टन एमईपी को मंजूरी दी जाए।
गुप्ता के मुताबिक, गोयल ने वादा किया कि जल्द ही इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। इस मामले पर सरकार ने कमिटी भी बनाई, जिसने हरियाणा, पंजाब व यूपी का दौरा कर अपनी रिपोर्ट सरकार को भी सौंप दी थी। इसके बावजूद सरकार ने फिर से अगले आदेश तक 1200 डॉलर प्रति टन ही चावल निर्यात करने के लिए एक्सपोर्टर्स को कहा है।
गुप्ता बताते हैं कि यही वजह है कि संघ ने रविवार से धान की खरीद बंद कर दी है। अगर कोई निर्यातक धान खरीदेगा तो उसका नाम सार्वजनिक किया जाएगा। फिलहाल हरियाणा समेत 7 राज्यों में धान की खरीद बंद है।
किसानों पर दोतरफा मार
धान की खरीद बंद होने से किसान और किसान संगठन गुस्से में हैं। कैथल, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, फतेहाबाद, हिसार की विभिन्न मंडियों से नारेबाजी व धरने की सूचनाएं मिल रही हैं, जबकि सोनीपत में एसडीएम कार्यालय पर नारेबाजी देखने को मिली।
किसान नेता अभिमन्यु कुहाड़ का कहना है कि मंडियों में खरीद बंद होने के कारण धान का भाव गिरने लग गया है। कैथल व कुरुक्षेत्र जिले की मंडियों से प्रति क्विंटल एक हजार रुपये दाम कम होने की सूचनाएं आ रही हैं, जिसके बाद किसानों ने अपनी फसल को बेचने से इंकार कर दिया है।
भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष रतन मान कहते हैं कि यह किसानों को लूटने की साजिश है। इस तरह के फैसले लेना सरासर गलत है। निर्यात को खोलकर किसानों की फसलों को ज्यादा से ज्यादा दामों पर बिकवाना चाहिए। मंडियों में धान न बिकने से किसान परेशान हो रहे हैं और सस्ते दाम पर फसल बेचने को मजबूर हो रहे हैं।
मंडिया में भीगा धान
पश्चिमी विक्षोभ के चलते सोमवार को फतेहाबाद, कैथल, सिरसा, हिसार व अंबाला में बारिश के साथ ओले भी पड़े। इससे मंडियों में पहुंची धान कही फसल भीग गई। अनुमान है कि मंडियों में 31 लाख टन धान पड़ा हुआ है, जो बारिश में भीगा भी है। सोमवार को हुई बारिश के कारण अंबाला सहित कुछ जिलों में खेतों में खड़ी फसलों को भी नुकसान पहुंचा है। ये वो जिले हैं, जहां जुलाई में बाढ़ के कारण धान की फसल खराब हो गई थी और किसानों को दोबारा रोपाई करनी पड़ी थी।