रबी सीजन की बुवाई का समय लगभग बीतता जा रहा है, लेकिन अभी भी पिछले साल के मुकाबले लगभग 30 लाख हेक्टेयर में बुआई नहीं हो पाई है। खासकर गेहूं और दलहन की बुआई काफी पिछड़ी हुई है।
15 दिसंबर 2023 को समाप्त सप्ताह तक के आंकड़े बताते हैं कि देश में रबी सीजन की 557.26 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक 587.33 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। इस तरह पिछले साल के मुकाबले इस साल अब तक 30.07 लाख हेक्टेयर पिछड़ी हुई है।
यहां यह बात गौरतलब है कि रबी सीजन में कुल 648.41 लाख हेक्टेयर में बुआई होती थी, यानि कि दिसंबर के पहले पखवाड़े तक कुल सीजन का लगभग 90 फीसदी बुआई हो जाती है और दिसंबर के अंत तक रबी सीजन का बुआई पूरी हो जाती है, इसलिए 30 लाख हेक्टेयर से पिछड़ना चिंता का विषय है।
गेहूं का रकबा पिछड़ा
रबी सीजन में गेहूं की कुल बुआई 307.32 लाख हेक्टेयर में होती है। साल 2022 में अब तक 293.02 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी, लेकिन इस साल अभी 274.36 लाख हेक्टेयर में ही गेहूं की बुआई हुई है। यानी कि गेहूं की बुआई पिछले साल के मुकाबले इस छह फीसदी से अधिक पिछड़ी हुई है।
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने दिसंबर के अंतिम पखवाड़े में गेहूं का रकबा बढ़ाने की पहल की है। संस्थान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि उत्तरी भारत के हरियाणा के सिरसा जिले के कुछ इलाकों और उत्तर प्रदेश के गन्ना उत्पादक क्षेत्रों, बिहार, महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश में गेहूं की देरी से बुआई की रिपोर्ट मिल रही है।
गेहूं की बिजाई की सलाह
संस्थान ने इसका कारण गन्ना, आलू, कपास, धान एवं सरसों की देरी से कटाई होना बताया है, जबकि मध्य प्रदेश में रबी सीजन के पहले दौर में जहां भारी बारिश हुई थी, वहां भी गेूहं की बुआई देरी से हुई है। गौरतलब है कि जुलाई माह में हुई अप्रत्याशित बारिश के कारण आई बाढ़ के कारण सिरसा व आसपास के इलाकों में धान की फसल को काफी नुकसान हुआ था और किसानों को दोबारा से धान की रोपाई करनी पड़ी थी।
16 दिसंबर 2023 को भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान की ओर से जारी सलाह में किसानों से कहा गया है कि 16 से 30 दिसंबर के बीच उत्तर, उत्तर पूर्वी व मध्य भारत में अधिक वर्षा होने की संभावना नहीं है। वहीं उत्तरी व उत्तर पूर्वी भारत में अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस, जबकि मध्य व प्रायद्वीपीय भारत में 25 डिग्री के आसपास रहने की संभावना है। उत्तरी एवं उत्तर पूर्वी भारत में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस, जबकि मध्य व प्रायद्वीपीय भारत में 15 डिग्री के आसपास रहने संभावना है। इसलिए किसानों को 30 दिसंबर तक गेहूं की बुआई कर लेनी चाहिए।
संस्थान ने इसे अति पछेती गेहूं की बुआई बताते हुए अलग-अलग इलाकों के लिए उपयुक्त गेहूं की किस्में भी बताई हैं। जैसे कि- पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश व राजस्थान के लिए उपयुक्त किस्में पीबीडब्ल्यू 771, डीबीडब्ल्यू 173, जेकेडब्ल्यू 261 और पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल व झारखंड में डीबीडब्ल्यू 316, पीबीडब्ल्यू 833, एचडी 3118 एवं मध्य प्रदेश, गुजरात एवं राजस्थान में एचडी 3407, एचआई 1634 एवं एमपी 3336 किस्मों की बुआई करने को कहा है।
संस्थान ने बीजों की किस्मों के अलावा बिजाई दर, उर्वरक की मात्रा, सिंचाई एवं खरपतवार के प्रबंधन संबंधी सलाह भी दी है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि देरी से बिजाई के कारण गेहूं जब पकने की स्थिति में होता है तो उस समय यदि तेज गर्मी पड़ती है तो गेहूं के दाने को नुकसान हो सकता है। पिछले दो साल से यही स्थिति देखने का मिल रही है, जब फरवरी व मार्च में तापमान सामान्य से अधिक पहुंच गया था।
दलहन भी पिछड़ा
रबी सीजन की दूसरी बड़ी फसल दलहन खासकर चना है। इस सीजन में लगभग 152.74 लाख हेक्टेयर में दलहन लगाई जाती है, इसमें से लगभग 100 लाख हेक्टेयर में चना लगाया जाता है। पिछले साल दिसंबर के पहले पखवाड़े तक 139.98 लाख हेक्टेयर में दलहन की फसल लगाई गई थी, जबकि इस साल अब तक 128.54 लाख हेक्टेयर में दलहन की फसल लगाई गई है। यानी कि पिछले साल के मुकाबले इस साल 11.44 लाख हेक्टेयर में दलहन का रकबा घटा हुआ है। इसमें से चना लगभग 9.53 लाख हेक्टेयर शामिल है।
ये राज्य हैं पिछड़े
कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग के आंकड़े बताते हैं कि रबी सीजन में कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात में पिछले सालों के मुकाबले कम बुआई हुई है। कर्नाटक में 24 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 19 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 91 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 85 लाख, महाराष्ट्र में 45 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 40 लाख हेक्टेयर, बिहार में 16 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 12 लाख हेक्टेयर में खेती हुई है। गुजरात में 21 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 18 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है।