कावेरी डेल्टा क्षेत्र में धान का उत्पादन दो लाख टन कम रहने का अनुमान

तमिलनाडु के कृषि विभाग ने आशंका जताई है कि डेल्टा के कुछ हिस्सों में बेमौसम बारिश के कारण धान का उत्पादन अनुमान से कम रह सकता है
कावेरी डेल्टा क्षेत्र में धान का उत्पादन दो लाख टन कम रहने का अनुमान
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तमिलनाडु का कावेरी-डेल्टा क्षेत्र धान के लिए हमेशा से एक ऊपजाऊ क्षेत्र रहा है। और यह माना जाता है कि यह इलाका धान की खेती के लिए अनुकूल है। लेकिन इस बार यहां धान का उत्पादन कम होने का अनुमान लगाया गया है। यह अनुमान तमिलनाडु कृषि विभाग ने लगाया है।

विभाग का कहना है कि अनिश्चित बारिश और कई जिलों में कम बारिश के कारण इस बार यहां पिछले वर्ष के मुकाबले दो लाख टन धान का उत्पादन कम होगा। आनिश्चित बारिश ने राज्य के इस इलाके में धान की फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है।

यही कारण है कि राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने धान की फसल नष्ट होने वाले किसानों के लिए 22 फरवरी को एक राहत पैकेज की घोषणा की है। घोषणा में कहा गया है कि चालू हफ्ते के अंत तक सभी प्रभावित जिलों में नष्ट हुई धान की फसल का आंकलन पूरा कर लिया जाएगा और इसके बाद किसानों को मुआवजा वितरित कर दिया जाएगा।

प्रभावित जिलों की संख्या वैसे तो सात से अधिक है, लेकिन सबसे अधिक प्रभावित पांच जिले हैं- नागपट्टिनम, तजावुर, तिरुवरुर, मयिलादुथुरई और कुडलोर।

कृषि विभाग का कहना है कि डेल्टा के कुछ हिस्सों में बेमौसम बारिश ने क्षेत्र को धान की पैदावर के मामले में नीचे ला खड़ा किया है। लेकिन यहां ध्यान देने की बात है कि सभी जिलों में बुआई कम नहीं हुई थी।

उदाहरण के लिए इस साल तिरुवरुर जिले में बुआई लगभग 20,000 हेक्टेयर अधिक की गई थी। कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 20 फरवरी तक लगभग 1.75 लाख हेक्टेयर में घान की कटाई पूरी हो चुकी थी।

राज्य के कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कावेरी डेल्टा क्षेत्र में बेमौसम और कम बारिश के कारण इस बार धान की बुआई कम हुई थी। आंकड़ों के अनुसार कुल मिलाकर इस बार 3,61, 855 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई की गई थी, जबकि पिछले साल 3,72,480 हेक्टेयर में धान बोई गई थी।

बुआई में गिरावट मुख्य रूप से कुड्डलोर (लगभग 6,000 हेक्टेयर), तिरुवरुर (5,500 हेक्टेयर), नागपट्टिनम (4,200 हेक्टेयर), पुदुक्कोट्टई (4,000 हेक्टेयर) और माइलादुथुराई (1,900 हेक्टेयर) में दर्ज की गई है। इस गिरावट का मुख्य कारण पूर्वोत्तर मानसून की बारिश है। स्थानीय मौसम विभाग के अनुसार दक्षिणी जिलों जैसे रामनाथपुरम और शिवगंगा के कुछ हिस्सों में उम्मीद से कम बारिश दर्ज की गई। रामनाथपुरम में तो पिछले साल के मुकाबले 28 प्रतिाश्त कम वर्षा दर्ज की गई।

राज्य के कृषि विभाग के अनुसार चावल का उत्पादन लगभग 78 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल लगभग 80 लाख टन था। हालांकि विभाग ने पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मोटे आनाज व दलहन (बाजरा और दालों) का उत्पादन अधिक होने की उम्मीद जताई है।

यह बढ़ोतरी बाजरा में 5 और दालें लगभग 40,000 टन अधिक होने की उम्मीद है। इसके अलावा विभाग ने यह भी आशंका जताई है कि डेल्टा के कुछ हिस्सों में बेमौसम बारिश को देखते हुए धान के उत्पादन में और कमी आ सकती है।

डेल्टा क्षेत्र में चावल के कम उत्पादन के संबंध में गत पांच फरवरी, 2023 को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर उन्हें इस बात से अवगत कराया था। उन्होंने अपने पत्र बताया था कि कावेरी डेल्टा क्षेत्र में एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल बेमौसम बारिश की भेंट चढ़ गई।

उन्होंने प्रधानमंत्री से फसलों के प्रभावित होने के मद्देनजर नमी की मात्रा अधिक होने के चलते धान खरीद के मानदंड में ढील देने का अनुरोध किया है। उन्होंने पत्र यह बात याद दिलाई कि अतीत में हुई इसी तरह की घटनाओं के समय केंद्र ने विकेन्द्रीकृत खरीद योजना के तहत राज्य की खरीद एजेंसी तमिलनाडु नागरिक आपूर्ति निगम (टीएनसीएससी) को नमी की मात्रा संबंधी मानदंडों में ढील देने की अनुमति दी थी।

ध्यान रहे कि तमिलनाडु में मौजूदा नियम के मुताबिक 19 प्रतिशत से कम नमी वाले धान की खरीद ही एमएसपी पर की जाती है, लेकिन बारिश से धान की गुणवत्ता पर असर पड़ा है और उसमें नमी बढ़ गई है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने 21 प्रतिशत नमी वाली धान की खरीद की मांग की है।

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