भारतीय किसान संघ ने कहा है कि उनका संगठन शुरू से ही स्वस्थ स्पर्धात्मक बाजार का पक्षधर रहा है, किन्तु वास्तविकता यह है कि पहले भी किसान देश के किसी भी मंडी में बेचने के लिए स्वतंत्र था, लेकिन इस नए कानून में निजी व्यापारी मंडी के बाहर बिना लाइसेंस खरीद सकेगा और इससे किसानों के लिये एक खरीद करने वाला बढ़ेगा। इससे मंडियों में होने वाले आर्थिक शोषण तथा मानसिक प्रताड़ना से राहत मिलने की संभावना तो है, किंतु उसे लाभकारी मूल्य मिलेगा या उसके साथ धोखेबाजी नहीं होगी इसकी कोई गारंटी इस कानूनों से नहीं मिल रही है।
खेती-किसानी से जुड़े तीन विधेयकों के लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद भारतीय किसान संघ ने यह बयान जारी किया है। संघ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि किसानों की उपज खरीदने के लिए जो व्यापारी आएगा, उसे मात्र पैन कार्ड के आधार पर खरीदने की अनुमति दी गई है। यह तो किसान के लिए बहुत खतरनाक स्थिति होगी।
वहीं कांट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर पारित किए गए विधेयक के बारे में किसान संघ ने कहा है कि विधेयक का नाम तो आकर्षक है। किंतु उसमें भी समर्थन मूल्य (एमएसपी) की बात नहीं है। यदि किसानों को सही लाभ देना है तो उसे कम से कम समर्थन मूल्य पर खरीद का कानूनन प्रावधान किया जाना चाहिए। भारतीय किसान संघ ने मांग की कि एक अलग से कानून बनाकर देश में कही भी समर्थन मूल्य के नीचे खरीद न होना सुनिश्चित किया जाए।
भारतीय किसान संघ की चार प्रमुख मांगे हैं।
1. कृषि उपज की कही भी होनेवाली खरीद को कम से कम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी कानून बनाया जाए। इस के लिए अलग से कानून लाया जाए।
2. केंद्र और राज्य में बैंक सिक्युरिटी के साथ व्यापारियों का पंजीयन किया जाए और वह जानकारी सरकारी पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध कराई जाए।
3. कृषि संबधित सभी प्रकार के विवादों के लिए स्वतंत्र कृषि न्यायाधिकरण की स्थापना हो तथा यह विवाद किसान के जिले में निपटाए जाएं।
4. आवश्यक वस्तु अधिनियम में सुधार करते हुए सरकार ने भंडारण सीमा हटा दी है। यह अब विशेष परिस्थितियों में लागू होगा। किन्तु उसमें से प्रसंस्करण और निर्यातक को दी गई छूट समझ से परे है। इससे तो उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना कर पड़ सकता है। अतः इसे तर्क संगत बनाना होगा।
गौरतलब है कि 5 जून 2020 को केंद्र सरकार द्वारा कृषि व्यापार के संदर्भ में 3 अध्यादेश लाए गए थे। इन अध्यादेशों का उद्देश्य सरकार ने यह बताया है कि इससे किसान देश भर में कही भी उपज बेच सकेगा। अब इन अध्यादेश को कानून का रूप देने के लिए संसद में रख कर सरकार ने पारित करवा कर राष्ट्रपति के पास भेजा है।