प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: क्यों आंदोलित हैं राजस्थान के किसान?

राजस्थान के चुरू जिले के किसानों ने जयपुर तक ट्रैक्टर मार्च शुरू किया था, जिसे फिलहाल स्थगित कर दिया गया था, लेकिन किसान मांग क्या कर रहे हैं?
राजस्थान के चुरू जिले के किसानों का आंदोलन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। फोटो: साभार x.com/kuldeeppoonia__
राजस्थान के चुरू जिले के किसानों का आंदोलन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। फोटो: साभार x.com/kuldeeppoonia__
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सारांश
  • राजस्थान के चुरू जिले में किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत लंबित बीमा क्लेम के भुगतान की मांग को लेकर ट्रैक्टर मार्च किया।

  • प्रशासन ने मार्च को रोक दिया और किसानों के ट्रैक्टर जब्त कर लिए।

  • कृषि मंत्री के आश्वासन के बाद आंदोलन स्थगित हुआ।

  • किसानों की मांग है कि खरीफ सीजन 2021 का रुका हुआ 500 करोड़ रुपए का बीमा क्लेम जल्द से जल्द दिया जाए।

राजस्थान में चुरू जिले के किसानों ने 17 नवंबर को अपनी मांगों के समर्थन में “किसान एकता ट्रैक्टर मार्च” का आह्वान किया, लेकिन प्रशासन ने बीच रास्ते मोर्चा को रोक कर किसानों के ट्रैक्टर जब्त कर लिए व उसके बाद देर रात कृषि पंत भवन में कृषि मंत्री व आंदोलन की अगुवाई करने वालों नेताओ की वार्ता हुई जिसके बाद आश्वाशन के बाद किसानों ने आंदोलन स्थगित कर दिया।

किसानों की मांग थी कि खरीफ सीजन 2021 का रुका हुआ 500 करोड़ रुपए बीमा क्लेम का भुगतान हो व विभिन्न फसलों के लंबित बीमा क्लेम का भुगतान मिले। इसके अलावा बीमा पोर्टल व क्लेम का पारदर्शी होना, डीएपी व यूरिया की किल्लत व कालाबजारी पर रोक लगाना व मूंग व चना फसल को पीएम धन धान्य योजना में शामिल करना इत्यादि है।

किसानों के क्लेम के भुगतान न होने की शिकायत पहली बार नहीं है बल्कि राज्य के अनेक क्षेत्रों के किसानों ने बीमा क्लेम के भुगतान न होने की शिकायत दर्ज कारवाई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का उद्देश्य बीमा करवाने वाले किसान को खराब हुई फसल का क्लेम मिलने से था लेकिन बीमा कम्पनियों द्वारा क्लेम की मनमानियों पर सवाल उठता रहा है।

झुंझुनू जिले के रहने वाले किसान भागीरथ चौधरी ने बताया कि बीते तीन सीजन से मौसमी कारणों और बीमारी से उनकी खरीफ की फसल बाजरा व मूंग 50-70 प्रतिशत तक बर्बाद हो रही है जिससे उत्पादन बाजरे में 4-6 किवंटल व मूंग में 3-4 किवंटल प्रति बीघा कम हुआ है।

फसल बीमा के बारे में किसान ने बताया कि 2023 व 24 में बारिश की अधिकता के कारण फसल खराब होने पर बीमा करवाया था लेकिन एक बार भी क्लेम नहीं मिला। कंपनी और कृषि विभाग से कोई भी कर्मचारी जांच के लिए नहीं आया। जिसके बाद फिर काभी बीमा नहीं करवाया।

29 जुलाई 2025 को लोकसभा ने एक सांसद के द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में बताया कि राजस्थान में 2020-21 लेकर 2023-24 (खरीफ सीजन) तक 17421.93 करोड़ का क्लेम रिपोर्ट किया गया जिसमें से 16474.21 करोड़ का क्लेम भुगतान हुआ व 947.72 करोड़ रुपए का क्लेम लंबित है, जिनका भुगतान बीमा कंम्पनियों द्वारा किया जाना था।

राज्य के जिलेवर सबसे अधिक लंबित क्लेम के आंकड़ों को देखा जाए तो जोधपुर जिले के किसानों का 136.53 करोड़ का क्लेम बकाया है व नागौर जिले का 126.79 करोड़, अजमेर जिले का 118.06 करोड़ और जयपुर जिले के किसानों का 116.40 करोड़ का क्लेम बकाया है।

इन जिलों में क्लेम करने वाली कंपनियों की सूची राज्य के कृषि विभाग की वेबसाइट पर मौजूद है, जिसके अनुसार जोधपुर जिले के किसानों का बीमा करने वाली कंपनी फ्यूचर जनरली इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड जयपुर है। नागौर व जयपुर जिले में बीमा करने वाली कंपनी रिलांयस जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड जयपुर है व अजमेर के लिए बजाज एलाईज जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड जयपुर है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के गाइड्लाइन में बीमा कम्पनियों को आदेश दे रखा है कि फसल की कटाई होने के बाद 2 महीने के अंतराल में किसानों को बीमा राशि का भुगतान हो जाना चाहिए। और अगर बीमा कंपनी देरी करती है तो 12 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा। बीमा विलंभ की वजह राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत राशि भी है जो कंपनियों को देनी होती है।

बीमा क्लेम के लंबित भुगतान के साथ बीमा क्लेम के मापदंडों व सरकारी कर्मचारियों के साथ मिलीबगत पर भी सवाल उठते आए है। 17 अक्टूबर 2025 को राजस्थान सरकार में कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने हनुमानगढ़ जिले में प्रेश से बात करते हुए बीमा कंपनियों पर 122 करोड़ रुपए का आरोप लगाया था।

मंत्री मीणा के अनुसार खरीफ व रबी 2023 व 2024 के मध्य 1.70 लाख किसानों ने फसल खराब होने पर मुआवजे के आवेदन किया था लेकिन बीमा कंपनियों ने आवेदनों को खारिज कर दिया। मंत्री ने जब अपने स्तर पर जांच कारवाई तो पाया कि कंपनियों ने किसानों के खराब फसल का सर्वे नहीं करवाया व कृषि अधिकारियों व किसानों के हस्ताक्षर फर्जी पाए गए। इसमें कृषि विभाग के कर्मचारियों का कंपनियों के साथ लिप्त होने की बात भी कही।

देश में जलवायु परिवर्तन के कारण खेती अधिक प्रभावित हो रही है। लेकिन केंद्र सरकार ने फसल बीमा योजना के लिए बजट बीते वर्षों की तुलना में कम कर दिया है। 2025-26 में इस योजना के लिए 12,242.27 करोड़ रुपए मिले है, जो कि 2024-25 में मिले 15,864 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान की तुलना में 23 फीसदी कम है।

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