

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सरकार जलवायु-अनुकूल कृषि और डिजिटल तकनीकों को बढ़ावा दे रही है।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी योजनाओं से प्रदूषण कम करने और स्वच्छ परिवहन को मजबूत किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को समय पर बीमा और आर्थिक सुरक्षा मिल रही है।
कैंसर और डेंगू जैसी बीमारियों की रोकथाम और उपचार सुविधाओं का देशभर में विस्तार हो रहा है।
नैनो यूरिया और संतुलित उर्वरक उपयोग से टिकाऊ खेती और किसानों की लागत घटाने पर जोर दिया जा रहा है।
भारत तेजी से बदलती जलवायु, बढ़ती स्वास्थ्य चुनौतियों और टिकाऊ विकास की जरूरतों के दौर से गुजर रहा है। आज लोकसभा और राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों जैसे - जलवायु-अनुकूल कृषि से लेकर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, किसानों के बीमा, कैंसर और डेंगू जैसी बीमारियों की रोकथाम तथा नैनो यूरिया के उपयोग तक पर उठाए गए सवालों का सरकार के विभिन्न मंत्रालय के मंत्रियों ने जवाब दिए।
जलवायु-अनुकूल कृषि को बढ़ावा
जलवायु परिवर्तन के कारण किसानों को सूखा, बाढ़ और अनियमित बारिश जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसी को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में बताया कि मंत्रालय जलवायु-अनुकूल कृषि को बढ़ावा दे रहा है। इसके तहत नेशनल इनोवेशन इन क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर परियोजना चलाई जा रही है, जो जलवायु से संबंधित खतरों का अध्ययन कर संवेदनशील जिलों में किसानों की मदद करती है।
ठाकुर ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से तनाव-सहिष्णु बीज, बेहतर मृदा प्रबंधन और नई खेती तकनीकों का प्रदर्शन किया जा रहा है। किसानों को मोबाइल फोन पर मौसम की चेतावनी और डिजिटल सलाह भी दी जा रही है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना से उर्वरकों का संतुलित उपयोग संभव हुआ है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से कीट प्रकोप और फसल उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है। इन सभी प्रयासों से किसानों की आय स्थिर हो रही है और खाद्य सुरक्षा मजबूत बन रही है।
भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का विस्तार
सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, भारी उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने लोकसभा में कहा कि प्रदूषण कम करने और ईंधन आयात पर निर्भरता घटाने के लिए सरकार इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा दे रही है। भारी उद्योग मंत्रालय ने फेम इंडिया और पीएम ई-ड्राइव जैसी योजनाएं शुरू की हैं, जिनके तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया, कार, बस और ट्रक की खरीद पर प्रोत्साहन दिया जाता है।
देशभर में चार्जिंग स्टेशनों का नेटवर्क विकसित किया जा रहा है। इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरियों के घरेलू उत्पादन के लिए निर्माताओं को विशेष प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। सार्वजनिक परिवहन के लिए हजारों इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी गई है। वर्मा ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन कार्बन उत्सर्जन घटाने, ईंधन लागत बचाने और हरित रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
किसानों के लिए बीमा की आसान पहुंच
दूरदराज के किसानों के लिए बीमा तक पहुंच को लेकर सदन में उठे एक सवाल के जवाब में आज, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में कहा कि दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों के किसानों को फसल बीमा में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसे सुधारने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा सेवाओं को सशक्त बना रहा है। असम के कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ जैसे जिलों में अब अधिक किसान इस योजना के अंतर्गत कवर हो रहे हैं।
नेशनल क्रॉप इंश्योरेंस पोर्टल और डिजीक्लेम सिस्टम से दावों का निपटारा तेज और पारदर्शी हुआ है। बीमा कंपनियों की देरी पर जुर्माना भी लगाया जाता है। जागरूकता अभियानों, गांव में बैठकों और घर-घर पॉलिसी वितरण से किसानों को बीमा के लाभ समझाए जा रहे हैं। इससे किसानों को आपदा के समय समय पर आर्थिक सहायता मिल रही है।
भारत में कैंसर के बढ़ते मामले
सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने राज्यसभा में बताया कि भारत में कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। मंत्रालय के अनुसार साल 2020 में जहां कैंसर के लगभग 13.9 लाख मामले थे, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 15.3 लाख से अधिक हो गई। तंबाकू सेवन, प्रदूषण और एचपीवी जैसे संक्रमण इसके प्रमुख कारण हैं।
जाधव ने कहा सरकार राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत कैंसर उपचार सुविधाओं का विस्तार कर रही है। जिला एनसीडी क्लीनिक, डे-केयर कैंसर सेंटर और उन्नत उपचार सुविधाएं स्थापित की जा रही हैं। सभी नए एम्स अस्पतालों में कैंसर उपचार उपलब्ध है। मंत्री ने कहा कि सीएआर-टी सेल जैसी उन्नत थेरेपी को सस्ता और सुलभ बनाने के लिए शोध किए जा रहे हैं।
देश में डेंगू की स्थिति
डेंगू भारत में एक बड़ी मौसमी स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है। इसी को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला दिया। जिसमें कहा गया है कि साल 2024 में देशभर में 2.3 लाख से अधिक डेंगू के मामले सामने आए। 2025 में तमिलनाडु, महाराष्ट्र और केरल में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए।
पटेल ने कहा कि डेंगू नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार राज्यों को निगरानी, मच्छर नियंत्रण, जनजागरूकता और स्वास्थ्य कर्मियों के प्रशिक्षण में सहायता देती है। राष्ट्रीय डेंगू दिवस और एंटी-डेंगू माह जैसे अभियान लोगों को रोकथाम के लिए जागरूक करते हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मुफ्त जांच और उपचार उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार डेंगू पर नियंत्रण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
नैनो यूरिया की उपलब्धता और उपयोग
सदन में उठे एक प्रश्न के उत्तर में आज, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में बताया कि नैनो यूरिया भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण नवाचार के रूप में उभरा है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि किसानों पर नैनो यूरिया के उपयोग का कोई दबाव नहीं है और खरीफ व रबी दोनों मौसमों में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है।
पटेल ने कहा पिछले तीन वर्षों में नैनो यूरिया का उत्पादन और बिक्री स्थिर रही है, जिससे पारंपरिक यूरिया पर निर्भरता कम हुई है। डिजिटल बिक्री प्रणाली से उर्वरक आपूर्ति पर निगरानी रखी जा रही है। काला बाजारी और जमाखोरी रोकने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाती है।
सरकार ने कहा कि जलवायु-अनुकूल खेती, स्वच्छ परिवहन, किसान सुरक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और टिकाऊ कृषि इन सभी पहलों का उद्देश्य देश को सुरक्षित, स्वस्थ और आत्मनिर्भर बनाना है। सरकार ने यह भी कहा कि विभिन्न मंत्रालयों के समन्वित प्रयास भारत को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार कर रहे हैं और आम नागरिकों के जीवनस्तर में सुधार ला रहे हैं।