जनवरी में सस्ता होगा प्याज, किसे हो रहा है फायदा

अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर तक प्याज के भाव लगातार चढ़ेंगे। जनवरी, 2021 के बाद ही जब बाजार में नई प्याज बाजार में आएगी तो ही भाव कम होंगे
फरवरी मार्च में व्यापारियों ने किसानों से 5 से 7 रुपए किलो प्याज खरीदा था। फोटो: कुमार संभव श्रीवास्तव/सीएसई
फरवरी मार्च में व्यापारियों ने किसानों से 5 से 7 रुपए किलो प्याज खरीदा था। फोटो: कुमार संभव श्रीवास्तव/सीएसई
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प्याज का भाव लॉकडाउन के बाद से लगातार चढ़ रहा है और इस बीच सरकार ने इसे कंट्रोल करने के लिए इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में जो किसान लॉकडाउन के समय अपनी प्याज की खेती से घाटा उठाना पड़ा था, उसकी आपूर्ति लॉकडाउन के बाद कर रहे थे लेकिन सरकारी कदम से सकते में हैं।

इस संबंध में अहमदाबाद एपीएमसी (एग्रीकल्चरल प्रोडयूसर एंड लाइवस्टॉक मार्केट कमेटी) में करोबार करने वाले साबिर खान ने डाउन टू अर्थ को बताया “लॉक डाउन के बाद प्याज की सप्लाई में कमी आई है। लॉक डाउन से पहले अहमदाबाद की मार्केट में रोजाना 100-125 ट्रक प्याज के आते थे। अब वर्तमान में यह औसतन 50-60 ट्रक ही मंडी में आ रहे है। इसके चलते काला बाजारी बढ़ गई है। राज्य में प्याज रखने वाले बड़े व्यापारी मोटा नफा पाने के लिए प्याज की सप्लाई को वर्तमान में जानबूझ कर धीमा किए हुए हैं। फरवरी-मार्च में स्टॉकिस्ट किसान से 3  से 7 रुपए के भाव से खरीदी कर सितंबर-अक्टूबर में प्याज को 40-50 रुपए में बेच रहे हैं।

गुजरात से प्याज का निर्यात पाकिस्तान सहित कई अन्य पड़ोसी देशों में किया जाता है लेकिन पिछले वर्ष और अब पिछले माह सितंबर से प्याज निर्यात पर सरकार ने रोक लगा दी है। जिसके कारण राज्य के भावनगर और अमरेली (राज्य के सबसे अधिक उत्पादन करने वाले जिले) के किसान अपनी प्याज अब देश की ही मंडी में सस्ते दामों पर बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

इस संबंध में उत्तर गुजरात के राधरपुर के किसान महेश भाई चौधरी ने डाउन टू अर्थ को बताया कि इस वर्ष खेती कम होने से प्याज का भाव लगातार बढ़ रहा है। और अगले तीन महीनों यानी अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर तक प्याज के भाव उतरने की कोई दूर-दूर तक संभावना कम ही दिख पडृ रही है। वह कहते हैं कि आगामी जनवरी, 2021 के बाद ही जब बाजार में नई प्याज बाजार में आएगी तो ही भाव कम होंगे।

सितंबर में प्याज के लगातार भाव चढ़ने के संबंध में चौधरी कहते हैं, प्याज को सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है। प्याज की कमी होने पर बड़े व्यापारी या स्टोरेज वाले आपस में  एकता कर लेते हैं और माल धीरे-धीरे निकालते हैं, जिसके कारण भाव चढ़ना शुरू होता है तो फिर चढ़ते ही जाता है, यह उनके हाथों में होता है।

वहीं दूसरी ओर चौधरी का कहना है कि निर्यात बंद होने से किसानों को कोई नुक्सान नहीं है और घरेलू बाजार में भाव बढ़ने से किसानों को लाभ ही होता है। प्याज का भाव किसानों के पास से जाने के बाद से बढ़ता है। निर्यात बंद होने से व्यापारियों को अवश्य आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ रहा है क्योंकि अच्छी क्वालिटी प्याज का भाव निर्यात पर ही मिलता है।

ध्यान रहे कि प्याज की खेती के मामले में महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान के बाद  देश में  गुजरात पांचवे स्थान पर आता है। कहने के लिए तो लगभग गुजरात के सभी जिलों में प्याज की खेती होती है लेकिन सबसे अधिक प्याज का उत्पादन भावनगर और अमरेली में होता है। सरकार आंकड़ो पर नजर डालें तो उसके अनुसार राज्य में 17 टन प्रति हेक्टर प्याज का उत्पादन होता है।

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