देश के अधिकांश हिस्सों में प्याज 100 से 110 रुपये प्रति किलो है, पर दिल्ली और एनसीआर के शहरों में कुछ पॉश इलाकों को छोड़ कर बाकी जगह प्याज अधिकतम 80 रुपये किलो बिक रहा है। इसका कारण है, हरियाणा के सर्वाधिक पिछड़े जिला नूंह में हुई प्याज की बंपर फसल, जिसने इस इलाके में कीमतें थाम रखी हैं।
नूंह देशभर में बरसाती प्याज के लिए चर्चित है। इसे उत्तर भारत का नासिक भी कहा जाता है। अरावली पहाड़ियों से घिरे इस जिले में तकरीबन प्रत्येक वर्ष प्याज की बंपर फसल होती है। इस बार किसानों के लिए यह फसल सोना बरसाने वाली साबित हो रही है। पिछले वर्ष की तुलना में कीमत भी अधिक मिल रही है।
नूंह का प्याज पिछली बार मंडियों में 10 से 15 रुपये किलो बिका था। फिरोजपुर झिरका के पाटखोरी गांव के किसान जान मोहम्मद और भोंड के इलियास मोहम्मद का कहना है कि इस बार आढ़ती 50 से 60 रुपये किलो खुशी-खुशी ले रहे हैं। वही प्याज आम आदमी को 70 से 80 रुपये किलो मिल रहा है।
नूंह जिले में इस बार 2500 एकड़ में प्याज हुआ है, जो पिछले साल की तुलना में 300 एकड़ ज्यादा है। मौसम पैदावार के अनुकूल होने से इस बार उत्पादन प्रति एकड़ करीब डेढ़ सौ क्विंटल का है। यहां से प्रति दिन दिल्ली की आजादपुर मंडी में 3000, गुरूग्राम में 500, राजस्थान के अलवल में 200 और इतना ही उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद मंडी में प्याज की सप्लाई है।
इस बार नूंह में प्याज की उम्मीद से अधिक फसल होने की मुख्य वजह है हरियाणा के बागवानी विभाग के समय पर सचेत होना। जिला बागवानी अधिकारी दीन मोहम्मद का कहना है कि महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में बरसात के कहर को भांपते हुए इसके लिए किसानों को खास तौर से तैयार किया गया था। उनके बीच नगदी फसल को लेकर जागरूता अभियान चलाया गया। टपका सिंचाई प्रणाली का सही उपयोग सिखाया गया। फसल लगने और उससे पहले उन्हें कई आवश्यक तकनीकी जानकारियां उपलब्ध कराई गईं। सूक्ष्य सिंचाई स्कीम के तहत प्याज की फसल के लिए 85 प्रतिशत तक अनुदान दिया गया। इसकी वजह से नूंह जिले के खेत इस बार प्याज से लहलहा उठे।
जिले की तकरीबन 60 प्रतिशत फसल मंडियों में पहुंच चुकी है। केंद्र सरकार ने प्याज की कीमत थामने के लिए विदेशों से आयात करने की घोषणा की है। जिला बागवानी अधिकारी दीन मोहम्मद कहते हैं कि वहां से आने तक नूंह के प्याज कम से कम दिल्ली-एनसीआर के लोगों को राहत देते रहेंगे।