अपनी मांगों के समर्थन में भोपाल में प्रदर्शन करते एक किसान संगठन के प्रतिनिधि। Photo: Manish Chandra Mishra
अपनी मांगों के समर्थन में भोपाल में प्रदर्शन करते एक किसान संगठन के प्रतिनिधि। Photo: Manish Chandra Mishra

मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद एक किसान संगठन ने वापस लिया आंदोलन

किसानों के दूसरे संगठन ने भोपाल में प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया।
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दो किसान संगठनों के आंदोलन की चेतावनी के बाद मध्यप्रदेश सरकार एक संगठन को मनाने में कामयाब रही। बुधवार को किसान प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक समन्वय समिति बनाने का आश्वासन दिया। राष्ट्रीय किसान महासंघ के शिव कुमार शर्मा कक्काजी ने कहा फिलहाल आंदोलन टाल दिया गया है। हालांकि दूसरा संगठन अभी भी आंदोलन पर अड़ा हुआ है।

कक्काजी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने किसान समन्वय समिति बनाने का आश्वासन दिया है। यह समिति हर तीन महीने में किसानों की स्थिति की समीक्षा करेगी और सरकार की तरफ से उन समस्याओं को सुलझाने के लिए जरूरी कदम उठाने की सिफारिश करेगी। इस समिति में सरकार के अधिकारी, मंत्री और किसान के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

शिव कुमार ने बताया कि कर्जमाफी से संबंधित समस्याओं को लेकर भी कमलनाथ ने ऐसी ही एक समिति का वादा किया है जो किसानों की समस्याओं का त्वरित निराकरण करेगी। सरकार के रुख को देखते हुए राष्ट्रीय किसान महासंघ ने अपना एक से पांच जून तक चलने वाले आंदोलन को फिलहाल स्थगित कर दिया है।

हालांकि एक दूसरे संगठन भारतीय किसान यूनियन को मनाने में सरकार कामयाब नहीं हो पाई। संगठन ने बुधवार को प्रदेश के कई मंडियों पर प्रतिकात्मक प्रदर्शन किया। बाजार में सब्जियों और दूध की आवक सामान्य बनी रही। बड़े शहर जैसे इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में किसान आंदोलन का असर कम देखने को मिला। भोपाल में यूनियन से जुड़े किसानों ने सब्जियां फैलाकर और दूध से नहाकर प्रतिकात्मक विरोध प्रदर्शित किया। 

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि राजगढ़, बड़वानी और धार के कई इलाकों में आंदोलन काफी प्रभावी रहा। हालांकि कुछ देर बाद ही सरकार और एक किसान संगठन की साजिश की वजह से किसानों में आंदोलन वापसी की भ्रामक जानकारी पहुंच गई और कुछ देर के लिए यह ठंडा पड़ गया। अनिल बताते हैं कि पुलिस ने हर संभव इस आंदोलन को दबाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि सरकार से बातचीत के रास्ते खुले हैं और उनकी कोशिश इस आंदोलन को उग्र न होने देने की है। अगर सरकार की तरफ से आश्वासन मिला तो वे आंदोलन वापस लेने को भी तैयार रहेंगे।

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