अब उत्तर प्रदेश में टिड्डी दल का आतंक, सब्जियां बर्बाद की

राजस्थान और मध्य प्रदेश के बाद अब उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के कई गांवों में टिड्डी दल का हमला हुआ है
उत्तर प्रदेश के झांसी शहर की सड़क पर मिली टिड्डी। फोटो: संतोष पाठक
उत्तर प्रदेश के झांसी शहर की सड़क पर मिली टिड्डी। फोटो: संतोष पाठक
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संतोष पाठक

पहले राजस्थान, फिर मध्य प्रदेश और अब उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में टिड्डी दलों ने हमला किया है। इस हमले की शुरुआत 23 मई को हुई। तब ये टिड्डियां यहां डेरा डाले हुए हैं।

चूंकि फसल तो कट चुकी है, लेकिन ये टिड्डियां खेतों में लगी सब्जियां और फूल पत्तियों को चट कर रही है। कृषि विभाग ने कीटनाशक का छिड़काव भी शुरू कर दिया है, लेकिन अभी तक टिड्डियों का सफाया नहीं हो पाया है।

बुंदेलखंड के झांसी के आसमान पर 23 मई की दोपहर अचानक आसमान में टिड्डियों के दल को देखकर लोग हैरान रह गए। लोग सहम गए। इतनी बड़ी तादात में टिड्डियों को देखकर लोगों ने अपने घरों के दरवाजे खिड़कियां बंद ली।

नजदीक के गांव बरुआसागर के किसान रामानंद ने बताया कि उसने अपने दो एकड़ खेत में सब्जियां लगा रखी हैं। टिड्डियों ने उसका भारी नुकसान पहुंचाया है। तोरई के फूल और भिंडी को बर्बाद कर दिया। यहां के कई किसानों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान उनका पूरा फोकस सब्जियों पर ही था।

टिड्डियों ने सब्जी पर आक्रमण कर बड़ा नुकसान कर दिया। कई पौधों और पत्तों को निगल लिया।  इससे कई हजार हेक्टेयर में खड़ी फसल और सब्जियों को नुकसान पहुंचने की खबर है।

गरौठा विधायक जवाहर लाल राजपूत का कहना है कि हमने टिड्डियों के हमले की सूचना तुरंत कृषि अधिकारियों को दी। कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी दवा का छिडक़ाव शुरू कर दिया है। 

झांसी के कृषि उपनिदेशक कमल कटियार ने बताया कि यह पीले रंग का तीन से चार इंच लंबा कीट है, जो पाकिस्तान की ओर से आता है और हवा के बहाव की दिशा में आंधी की तरह झुंड में चलता है। इसी के साथ यह जगह-जगह उतरता है और वहां की फसलों और वनस्पतियों को खा जाता है।

कृषि अधिकारी बताते हैं कि यह रात के नौ बजे से सुबह सात से आठ बजे तक विश्राम करता है और फिर अपनी दिशा में निकलते हुए फसलों को नुकसान पहुंचाता हुआ चलता है। इसे मारने के लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियां तैयार हैं और ये जहां विश्राम कर रहे हैं वहां हम पहुंचकर इन्हें मार रहे हैं। यह कहां विश्राम कर रहा है इसकी जानकारी हम ग्रामीणों से ही ले रहे हैं।

टिड्डियों से पूरे बुंदेलखंड में नुकसान की खबर है। झांसी के साथ वहां टीकमगढ़ के कुछ हिस्से में भी किसानों को टिड्डियों ने नुकसान पहुंचाया है। इधर उज्जैन और शाजापुर जिले के खेतों में टिड्डी दल के हमले से किसान परेशान हो गए। किसानों ने थालियां बजाकर उन्हें भगाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी।

टिड्डियों के दल ने यहां संतरे के पेड़ों और सब्जियों को काफी नुकसान पहुंचाया है। उज्जैन जिले के कई गांव में टिड्डी दल को भगाने दिल्ली से टीम पहुंची। दिल्ली से आई टीम ने फायर ब्रिगेड की मदद से दवाई का स्प्रे किया, जिससे लाखों की तादाद में टिड्डियां पेड़ों पर और खेतों में दिखाई दीं। कई जगह कपास को भी इससे भारी नुकसान पहुंचा है।

कृषि अधिकारियों का कहना है कि जहां पर यह टिड्डी दल पहुंचे वहां के किसान प्रशासन को फौरन इसकी सूचना दें। इसको फसल पर हमला करने से रोकने के लिए थाली और कनस्तर आदि को बजाने का प्रयास किया जाना चाहिए। टिड्डियों का दल अकसर दिन डूबने के समय पेड़ पौधों पर पड़ाव डालता है।

झांसी के कृषि उपनिदेशक कहते हैं कि बुंदेलखंड के कई हिस्सों में बलुई मिट्टी पाई जाती है और यह टिड्डी के प्रजनन और अंडों के लिए अनुकूल है। इन मिट्टी वाले क्षेत्रों में जुताई करवाकर पानी भरवा देना चाहिए। एक साथ मिलकर क्लोरपाइरीफॉस- 20 प्रतिशत, ईसी 1200 मिलीमीटर प्रति हेक्टेयर या क्लोरोपाइरीफॉस 50 प्रतिशत, ईसी 480 मिलीमीटर प्रति हेक्टेयर में छिडक़ाव भी करना चाहिए। इससे टिड्डियों के अंडे नष्ट हो जाएंगे।

झांसी के किसान नेता गौरीशंकर विदुआ कहते हैं कि इतनी बड़ी संख्या में टिड्डियों का हमला झांसी में पहली बार देखा गया है। यह अभी भी यहीं पर डेरा जमाकर नुकसान पहुंचा रही हैं, जबकि प्रशासनिक दावे कुछ और कह रहे हैं।

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