कीटनाशकों के पंजीकरण का नया नियम, खराब नमूनों के लिए पांच वर्ष में सिर्फ 189 मामलों में जुर्माना

बीते पांच वर्षों (2015-2020) के बीच 3,38,182 कीटनाशकों के नमूनों की जांच की गई है। इनमें 3971 जांच नमूने खराब पाए गए। करीब 189 मामलों में ही कोर्ट से जुर्माना हुआ।
कीटनाशकों के पंजीकरण का नया नियम, खराब नमूनों के लिए पांच वर्ष में सिर्फ 189 मामलों में जुर्माना
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कोई भी नया कीटनाशक इस्तेमाल करने लायक है और उसका पंजीकरण किया जा सकता है। यह प्रमाण पत्र अब एनएबीएल या बेहतर अभ्यास करने वाली प्रयोगशालाएं (जीएलपी) ही करेंगी। अब से केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (सीआईबीएंडआरसी) के जांच और अनुमति की जरूरत नहीं होगी। 

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय की ओर से 12 अक्तूबर, 2020 को जारी आदेश में कहा गया है कि कीटनाशक के रसायन, अवशेष, प्रसिस्टेंस और पैकेजिंग डाटा आदि से संबंधित जानकारी अनुमति और जांच करने वाली जीएलपी ही होगी। उसकी अनुमति और जांच के आदार पर ही कीटनाशक का पंजीकरण कर लिया जाएगा। 

कीटनाशकों से जुड़ी शिकायतें यदा-कदा आती रहती हैं। इसके प्रत्यक्ष भुक्तभोगी खेत में रहने वाले किसान ही होते हैं। वहीं, वैश्विक स्तरीय मान्य कीटनाशकों के इस्तेमाल को ही प्रोत्साहित करने की कवायद काफी दिनों से चल रही है। हालांकि, यह आदेश कीटनाशकों के पंजीकरण में होने वाले चरणों को कम करेगा और उन कंपनियों को प्रोत्साहित करेगा जो सिर्फ प्रयोगशाला से ही गुजर कर कीटनाशक का पंजीकरण करा लेना चाहते हैं।  

वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय ने 21 अगस्त, 2020 को रजिस्ट्रेशन कमेटी की 421वीं बैठक में उपसमिति की ओर से दी गई सिफारिशों पर अमल करने के बाद यह सार्वजनिक सूचना जारी की है। जारी सूचना में यह भी कहा गया है  कि कीटनाशक पंजीकरण का आवेदन करने वाले को जीलपी या एनएबीएल प्रयोगशाला से हासिल प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत करना होगा, जिसमें कीटनाशक से जुड़े सभी तथ्य और आंकड़े जांच के समय निकाले गए हैं। 

वहीं, ऐसे कीटनाशक जिन्हें वैश्विक स्तर पर सहमति मिल सके उसे प्रोत्साहित करने के लिए निदेशालय ने कहा है कि नियामक व्यवस्था को जीएलपी अभ्यास के लिए आधुनिक बनाना होगा। साथ ही जीएलपी या एनएबीएल से जुड़ी प्रयोगशालाओं की ही यह जिम्मेदारी होगी कि वह अपने दायरे और वैधता को मुहैया कराएं।  

सीआईबीएंडआरसी को कहा गया है कि वह एनएबीएल या जीएलपी संबद्ध् प्रयोगशालाओं की पहचान करके उन्हें नामित करे। ऐसी ही प्रयोगशालाओं के प्रमाण पत्र मान्य होंगे।

कीटनाशकों की गुणवत्ता पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। हाल ही में लोकसभा में 15 सितंबर, 2020 को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है कि कीटनाशक कानून, 1968 के तहत देश में कीटनाशकों की गुणवत्ता की करने के लिए 191 केंद्र और 10303 कीटनाशक इंस्पेक्टर राज्य सरकारों के जरिए नामित किए गए हैं। इन इंस्पेक्टर के जरिए सैंपल एकत्र करके 70 राज्यस्तरीय कीटनाशक जांच प्रयोगशालाओं और 2 क्षेत्रीय कीटनाशक जांच प्रयोगशालाआों में जांच के लिए भेजा जा सकते हैं।

बीते पांच वर्षों में (2015-2020) कानून के तहत 3,38,182 नमूनों की जांच की गई है। इनमें 3971 ऐसे जांच नमूने पाए गए जिनकी गुणवत्ता खराब थी। और सिर्फ करीब 189 मामलों में ही कोर्ट के जरिए 3000 रुपये से लेकर 1,40,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया गया।  देशभर में करीब 2403 कीटनाशक निर्माण करने वाली यूनिटे हैं। 

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