गन्ने की नई एफआरपी घोषित, कितनी हुई बढ़ोतरी

सरकार ने दावा किया है कि 2025-26 में गन्ने की उत्पादन लागत 173 रुपए प्रति क्विंटल है। ऐसे में नए एफआरपी से किसानों को उत्पादन लागत पर 105.2 प्रतिशत अधिक लाभ मिलेगा
खेत में गन्ने के बोझ बांधता भारतीय किसान; फोटो: आईस्टॉक
खेत में गन्ने के बोझ बांधता भारतीय किसान; फोटो: आईस्टॉक
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गन्ना के लिए फेयर एंड रेम्युनरेटिव प्राइस (एफआरपी) को मंजूरी दे दी है। यह कीमत चीनी सत्र 2025-26 (अक्टूबर 2025 से सितंबर 2026) के लिए तय की गई है।

सरकार ने एफआरपी 355 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है, जो कि 10.25 प्रतिशत रिकवरी रेट पर आधारित है। अगर रिकवरी 10.25 प्रतिशत से ज्यादा होती है, तो हर 0.1 प्रतिशत बढ़ोतरी पर 3.46 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस मिलेगा। वहीं, रिकवरी में हर 0.1 फीसदी की कमी पर 3.46 रुपए की कटौती होगी। पिछले सीजन का एफआरपी 340 रुपए था।

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हालांकि, जिन मिलों में रिकवरी 9.5 फीसदी से कम है, वहां भी किसानों की आमदनी सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने तय किया है कि कोई कटौती नहीं होगी और ऐसे किसानों को 329.05 रुपए प्रति क्विंटल दिया जाएगा।

सरकार ने दावा किया है कि 2025-26 में गन्ने की उत्पादन लागत 173 रुपए प्रति क्विंटल है। ऐसे में नए एफआरपी से किसानों को उत्पादन लागत पर 105.2 प्रतिशत अधिक लाभ मिलेगा। यह 2024-25 के मुकाबले 4.41 प्रतिशत ज्यादा है।

गौरतलब है कि गन्ना क्षेत्र देश का एक अहम कृषि आधारित क्षेत्र है, जिससे करीब 5 करोड़ किसान और उनके परिवार जुड़े हैं। इसके अलावा चीनी मिलों में करीब 5 लाख लोग सीधे काम करते हैं और अन्य सहायक गतिविधियों में लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।

प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो द्वारा जारी प्रेस नोट में पुराना बकाया भुगतान का भी ब्यौरा दिया गया है। इसके अनुसार 2023-24 सीजन में 1,11,782 करोड़ रुपए में से 1,11,703 करोड़ रुपए (99.92%) बकाया चुका दिया गया।

वहीं 2024-25 सीजन में 97,270 करोड़ रुपए में से 85,094 करोड़ रुपए (87%) का भुगतान 28 अप्रैल 2025 तक हो चुका है।

सरकार ने यह निर्णय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिशों और राज्य सरकारों व अन्य संबंधित पक्षों से बातचीत के बाद लिया है।

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