प्राकृतिक खेती: हिमाचल सरकार का अहम कदम, एमएसपी पर मक्का की खरीद शुरू

हिमाचल सरकार कई सालों से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है, लेकिन फसल की खरीद सुनिश्चित न होने के कारण किसानों का उत्साह कम हो रहा था
हिमाचल सरकार ने प्राकृतिक खेती से उत्पादित मक्की के लिए 30 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। फोटो: रोहित पराशर
हिमाचल सरकार ने प्राकृतिक खेती से उत्पादित मक्की के लिए 30 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। फोटो: रोहित पराशर
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हिमाचल में वर्षाें से प्राकृतिक खेती कर बाजार की तलाश कर रहे किसानों के लिए मक्का (मक्की, मकई) की खरीद उम्मीद की किरण बनकर आई है।

लंबे समय से प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों को उनके उत्पादों के लिए उचित बाजार न मिलने से उनमें इस खेती के प्रति उत्साह में कमी देखी जा रही थी, लेकिन 25 अक्टूबर से हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों की मक्का को सरकार द्वारा खरीदने की योजना की शुरुआत से प्रदेश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा।

हिमाचल सरकार ने प्राकृतिक खेती से उत्पादित मक्की के लिए 30 रुपये प्रति किलो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किया है। जो कि देशभर में सबसे अधिक है। प्राकृतिक खेती की मक्की को खरीदने के लिए प्रदेश सरकार के कृषि विभाग की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई और हिमाचल प्रदेश खाद्य आपूर्ति निगम की टीमों ने इसकी खरीद के लिए 25 सेंटर बनाए हैं।

इससे पहले सरकार की ओर से प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के उत्पादों को बाजार मुहैया करवाने के लिए आउटलेट और किसान उत्पाद कंपनियों के माध्यम से बाजार मुहैया करवाने की कोशिश की गई थी। लेकिन इन तक ज्यादातर किसानों की पहुंच न होने के चलते प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों में विभाग के प्रति हल्की नाराजगी देखी जा रही थी। जो अब मक्का की खरीद शुरू होने से दूर होगी।

हिमाचल प्रदेश में 1 लाख 92 हजार किसान बागवान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं। इनमें से 1 लाख 45 हजार किसान-बागवानों का प्रमाणीकरण किया गया है। इन्हीं प्रमाणीकृत किसानों से 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मक्की की खरीद की जा रही है।

प्रदेश सरकार ने प्रत्येक प्राकृतिक खेती किसान से अधिकतम 20 क्विंटल मक्की खरीदने का मापदंड रखा है। किसानों से खरीदी जा रही मक्की को प्रदेश सरकार हिम मक्की आटा ब्रांड के नाम से लांच करेगी और इसे प्रदेश के साथ बाहरी राज्यों में भी भेजा जा सकता है।

प्राकृतिक खेती करने वाले अर्जुन अत्री ने डाउन टू अर्थ को बताया कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती से बहुत से लोग जुड़ रहे हैं लेकिन इसके उत्पादों के लिए उचित बाजार न होने के चलते बहुत से किसानों में निराशा देखी जा रही थी, लेकिन अब सरकार की ओर से मक्की और गेहूं की खरीद की व्यवस्था करने से किसानों में इसके प्रति रूझान बढ़ेगा। इसके अलावा सरकार प्राकृतिक खेती को लेकर एक स्टार्टअप योजना भी शुरू करने जा रही है, इससे भी प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा।

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक हेमिस नेगी का कहना है कि हिमाचल सरकार ने प्राकृतिक खेती से पैदा की गई मक्की और गेहूं के लिए पूरे देश में सबसे अधिक एमएसपी दिया है। इससे प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि हम मक्की की खरीद के लिए पूरी व्यवस्था कर ली है और आने वाले सीजन में हम गेहूं की खरीद 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से करेंगे।

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को भारतीय नस्ल की गाय पर 25 हजार रूपये तक की सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा निशुल्क प्रशिक्षण, निशुल्क प्रमाणीकरण, प्राकृतिक खेती आदानों को रखने के लिए तीन ड्रम, गौशाला का फर्श पक्का करने के लिए 8 हजार रूपये तक का अनुदान दिया जा रहा है।

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