

बीते कुछ दिनों से महाराष्ट्र में चल रहा किसानों का आंदोलन राज्य सरकार से बातचीत होने के बाद किसानों ने कल शाम स्थगित कर दिया है। सरकार ने किसानों की मांग मानते हुए उच्च स्तरीय कमेठी बनाने की घोषणा की है, जिसे 6 महीने के भीतर रिपोर्ट सौपनी है, जिसके आधार पर सरकार जून 2026 तक किसानों के कर्जमाफी पर फैसला लेगी।
महाराष्ट्र राज्य के अमरावती के चंदुरबाजार से शुरू हुआ किसानों का आंदोलन बड़ी संख्या में अपनी मांगों से साथ नागपूर एकत्रित होते है। इस आंदोलन की अगुवाई प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू कडू कर रहे थे जिसके बाद किसानों ने नागपूर-हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग को रोककर यातायात व्यवस्था को ठप कर दिया था। जिसे महा‘एल्लगार का नाम दिया गया।
किसानों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग रोकने पर सरकार व उच्च न्यालय की नजरों में आ गए थे। जिसके बाद सरकार ने किसान नेताओ को मुंबई में वार्ता के लिए बुलाया गया और उसके बाद कल शाम को सरकार ने प्रेस वार्ता करके किसानों की मांग पर बात रखी।
किसानों की मुख्य मांग
किसानों की मुख्य मांग में पूर्णतया कर्जमाफ़ी थी जो कि विधानसभा चुनाव का मुख्य बिन्दु था। इसके अलावा फसल की खरीददारी पर एमएसपी की गारंटी व मौसम की मार से बर्बाद हुई फसल पर मुआवजा।
सरकार का फैसला
किसान नेताओ से मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा “किसानों की कर्जमाफ़ी का फैसला जून 2026 में लिया जाएगा, इसके लिए एक उच्च स्तरीय कमेठी का गठन किया जाएगा जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार व मित्रा के मुख्य अधिकारी प्रवीण परदेशी होंगे।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि मित्रा के मुख्य कार्यकारी सदस्य के नेतृत्व में गठित समिति का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र के लिए जरूरी बदलाव पर अध्ययन करना है, जिससे जलवायु आपदओ के कारण फसल बर्बाद के बाद किसानों पर कर्ज के भार का समाधान निकाला जा सके। समिति को 6 माह के भीतर सरकार को रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेदारी है।
किसानों का आह्वान बना मजबूती का कारण
लाखों की तादाद में किसानों का एक दिन में एकत्रित होने के कारण किसानों की मांग सरकार तक जल्द पहुच गई। इसके साथ बच्चू कडू के बयान व किसानों के साथ इरादे मजबूत थे। बच्चू कडू ने अपने भाषण में कहा था कि सरकार जब तक मांग नहीं स्वीकारती है तब तक वे पीछे हटने वाले नहीं है, मीटिंग से नहीं, सड़क से न्याय लेंगे।