बिहार में कड़ाके की सर्दी से मगही पान को भारी नुकसान

बिहार के चार जिलों गया, औरंगाबाद, नवादा और नालंदा में 439 हेक्टेयर में मगही पान की खेती की जाती है
बिहार के नवादा के एक खेत में सर्दी के कारण झुलसे मगही पान के पत्ते। फोटो: उमेश कुमार राय
बिहार के नवादा के एक खेत में सर्दी के कारण झुलसे मगही पान के पत्ते। फोटो: उमेश कुमार राय
Published on

बिहार के नालंदा जिले के दुहई-सुहई गांव के किसान अवध किशोर ने 8 कट्ठे में मगही पान की खेती की थी। फसल भी इस बार अच्छी हुई थी और कुछ दिनों बाद ही उसे तोड़ कर वे बनारस की मंडी में बेचने जाते। लेकिन, 31 दिसंबर को पड़ी कड़ाके की सर्दी ने उनकी खुशी छीन ली।

सर्दी के कारण उनका पान बुरी तरह जल गया है। अवध किशोर ने बताया, खेत में लगा 75 प्रतिशत पान झुलस चुका है और अगर सर्दी इसी तरह पड़ती रही, तो जो बचा है वो भी खत्म हो जाएगा।

बिहार के चार जिलों गया, औरंगाबाद, नवादा और नालंदा में 439 हेक्टेयर में मगही पान की खेती की जाती है। ये चार जिले मगध क्षेत्र कहे जाते हैं और यहां की मिट्टी मगही पान के अनुकूल हैं, इसलिए इन चार जिलों में ही मगही पान की खेती होती है। जानकारों के मुताबिक, मगही पान न ज्यादा सर्दी बर्दाश्त कर पाता है और न ही गर्मी। लेकिन, इस बार बिहार में जोरदार सर्दी पड़ी है। 31 दिसंबर को मगध क्षेत्र का न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस पर आ गया था और पछुआ हवा भी बही थी, जिस कारण पान झुलस गए।

नालंदा से सटे नवादा जिले के हिसुआ प्रखंड के पान किसान धीरेंद्र कुमार ने दो एकड़ में मगही पान की खेती की थी। उन्होंने बताया, “एक कट्ठा में मगही पान की खेती में 20 हजार रुपए खर्च होते हैं। इस हिसाब से मैंने 10 लाख रुपए खर्च किए थे, लेकिन ठंड के कारण 50 प्रतिशत से ज्यादा पान खराब हो गया है। अगर अब भी सर्दी कुछ कम हो जाए और धूप खिलने लगे, तो कुछ पान बच सकता है।”

मगही पान उत्पादक समिति के रंजीत चौरसिया ने कहा, “मगध क्षेत्र का कम से कम 50 प्रतिशत पान सर्दी से खराब हो चुका है। हमलोग मौसम थोड़ा ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं। मौसम ठीक होने के बाद नुकसान का आकलन कर कृषि विभाग को इसकी सूचना देंगे।”

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 के दिसंबर में भी इसी तरह कड़ाके की सर्दी पड़ी थी, जिससे मगही पान के किसानों को भारी नुकसान हुआ था, लेकिन नुकसान के मुकाबले बेहद मामूली मुआवजा मिला था।

पान को बागवानी उत्पाद की श्रेणी में रखा गया है, जिस कारण पान किसान कृषि फसलों की तरह पान का बीमा नहीं करा सकते हैं। किसानों का कहना है बीमा नहीं होने के कारण उन्हें ज्यादा नुकसान हो जाता है औ उसके अनुरूप मुआवजा भी नहीं मिलता है। पान किसान अवध किशोर ने कहा, “अगर कृषि फसलों की तरह पान का भी बीमा हो जाता, तो कम से कम लागत की भरपाई हो जाती।”

यहां ये भी पता दें कि तीन साल पहले ही मगही पान को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग मिला था। इससे किसानों में उम्मीद जगी थी कि पान की खेती की बेहतरी के लिए सरकार प्रयास करेगी, लेकिन किसानों का कहना है कि उनके हित के लिए अब तक कुछ खास नहीं किया जा सका है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in