उत्तर प्रदेश में टिड्डी दल का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। बुंदेलखंड से शुरू होकर अब यह पश्चिमांचल और पूर्वांचल के कई इलाकों को अपनी चपेट में ले चुका है। टिड्डी दल के बढ़ते हमले को लेकर प्रशासन की क्या तैयारियां हैं और इससे अबतक कितना नुकसान हो चुका है इसे समझने के लिए 'डाउन टू अर्थ' ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव कृषि डॉ. देवेश चतुर्वेदी से बात की। पढ़िए इस बातचीत का अंश।
सवाल: यूपी के कितने जिले टिड्डी दल से प्रभावित हैं?
डॉ. देवेश चतुर्वेदी: ''टिड्डी दल का प्रकोप 26 मई से ही शुरू हो गया था। पहले यह बुंदेलखंड क्षेत्र में ज्यादा था, बाद में पूर्वांचल और पश्चिमांचल के इलाकों में भी बढ़ गया। अब तक जो स्थिति है उसके हिसाब से 15 जिले और 7 मंडल इससे प्रभावित हैं। 27 जून की शाम को टिड्डी दल 9 जिलों में था, जैसे- अलीगढ़, कानपुर देहात, बांदा, सिर्द्धाथनगर, कुशीनगर, गोरखपुर और अन्य जिले।''
सवाल: प्रदेश के किन इलाकों में टिड्डी दल ज्यादा सघन हैं?
डॉ. देवेश चतुर्वेदी: ''पूर्वांचल में जो टिड्डी दल है वो ज्यादा बड़ा नहीं हैं। यह बिहार की ओर भी निकल जा रहे हैं। वहीं, जो टिड्डी दल पश्चिम की ओर से आ रहा है यह बड़ा दल है। यह दल राजस्थान की ओर से आ रहा है। जानकारी के मुताबिक यह दल 27 जून को नोएडा, बुलंदशहर होते हुए अलीगढ़ पहुंचा था और आज (28 जून) कासगंज की ओर बढ़ रहा है। कुछ और दल हैं जो आगरा आने वाले थे, लेकिन वो अभी नहीं आए हैं।''
सवाल: टिड्डी दल से अब तक कितना नुकसान हुआ है?
डॉ. देवेश चतुर्वेदी: ''यह टिड्डी दल खेतों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा रहे। जब पहली बार झांसी में टिड्डियों का दल आया था तब खेतों को नुकसान हुआ था, करीब 20-21 हेक्टेयर में नुकसान पहुंचा था। अब यह टिड्डी दल पेड़ों को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं, जैसे पीपल, यूकेलिप्टस और पत्तेदार पेड़ों पर यह बैठ रहे हैं। जब यह शाम को बैठ जाते हैं तो हमारी टीम छिड़काव करके इन्हें मारने का काम कर रही है।''
सवाल: क्या अनुमान है, कब तक यह प्रकोप रहेगा?
डॉ. देवेश चतुर्वेदी: ''अभी टिड्डी दल राजस्थान की ओर से आ रहा है। धीमे-धीमे यह प्रकोप कम होगा क्योंकि इनकी उम्र ज्यादा नहीं होती है, ऐसे में यह अंडे देने की प्रकिया में भी लगते हैं। अनुमान है कि जुलाई के आखिर तक इनका प्रकोप कम होगा।''
सवाल: क्या यूपी में भी टिड्डी दल अंडे दे रहे हैं और यहीं नया दल तैयार हो रहा है?
डॉ. देवेश चतुर्वेदी: ''टिड्डी दल ज्यादातर रेगिस्तानी इलाकों में अंडे देते हैं। अभी जो टिड्डी दल प्रदेश में आ रहे हैं यह सब पीले रंग के और बड़े हैं। यह सब राजस्थान की ओर से आ रहे हैं। अभी प्रदेश में कहीं ऐसा देखने को नहीं मिला है कि यहीं कोई टिड्डी दल बना हो। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि यहां वो अंडे दे नहीं सकते क्योंकि यहां की जमीन रेतीली नहीं है। हां, हम उन इलाकों में सतर्क रहते हैं जो नदी के किनारे हैं, जैसे गंगा का इलाका।''