आंध्रप्रदेश में किराए पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों की स्थिति बदतर हो चली है। आलम यह है कि वहां केवल 9.6 फीसदी पट्टेदार (किराए पर खेती करने वाले) किसानों के पास किसान फसल अधिकार कार्ड (सीसीआरसी) है। ऐसे में इन किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे मिलेगा यह एक बड़ा सवाल है।
आलम यह है कि केवल 3 फीसदी भूमिहार किराएदार किसानों को रायथु भरोसा योजना का लाभ मिला है। वहीं स्थिति कितनी बदतर है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि सर्वेक्षण के दिन ही पूर्वी गोदावरी जिले के नेदुनुरु गांव में बारिश और बाढ़ के कारण फसल को हुए नुकसान के चलते एक किराएदार काश्तकार किसान ने आत्महत्या कर ली थी।
यह जानकारी रायथु स्वराज्य वेदिका संगठन द्वारा आंध्रप्रदेश में भूमिहार किसानों के हालात पर किए अध्ययन में सामने आई है। जिसका लक्ष्य आंध्रप्रदेश में किसान फसल अधिकार अधिनियम 2019 के क्रियान्वन और स्थिति का जायजा लेना था। साथ ही यह जानना था कि किराए पर खेती करने वाले किसानों को राज्य में रायथु भरोसा योजना, ब्याज मुक्त फसल ऋण, आपदाओं का मुआवजा और फसल खरीद सहित अन्य योजनाओं का कितना लाभ मिल रहा है, उसकी स्थिति को समझना था।
अपने इस स्टडी में रायथु स्वराज्य वेदिका ने जनवरी से फरवरी 2022 के बीच आंध्रप्रदेश के 9 जिलों 31 ग्राम पंचायतों में 3,855 किराएदार किसानों का घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया है। इस स्टडी में आंध्रप्रदेश के नौ जिलों - विशाखापत्तनम, पूर्वी गोदावरी, पश्चिम गोदावरी, कृष्णा, गुंटूर, प्रकाशम, वाईएसआर कडपा, अनंतपुर और कुरनूल को कवर किया था।
जिसमें किसानों से इस बात का जायजा लिया था कि क्या उन्हें किसान फसल अधिकार कार्ड मिले हैं और विशेष रूप से रायथु भरोसा योजना का लाभ मिल रहा है। गौरतलब है कि यह प्रधान मंत्री किसान योजना की तरह ही आंध्रप्रदेश में किसानों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजना है। जिसके तहत पात्र किसानों को हर साल 13,500 रुपए की सहायता दी जाती है।
औसतन दो लाख के कर्ज में डूबा है हर किराएदार किसान
यदि सरकारी आंकड़ों को देखें तो वो कुछ अलग तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। जहां अनंतपुर, कडपा, विशाखापत्तनम जैसे जिलों में किराए पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों की संख्या काफी अधिक है वहीं सरकारी आंकड़ों में इनकी संख्या काफी कम करके दिखाई गई है। 2015 में राधाकृष्ण आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में किराएदार किसानों की संख्या 24.25 लाख बताई गई थी जबकि सरकारी आंकड़ों में उनकी संख्या 16 लाख दिखाई गई है जोकि वास्तविकता से काफी दूर है।
रिपोर्ट के मुताबिक यह किसान भारी कर्ज में डूबे हैं अनुमान है कि इन भूमिहीन किसानों पर औसतन करीब 2 लाख का कर्ज है। जो कुछ विशेष फसलों के लिए प्रति एकड़ 20 हजार से 1.2 लाख रुपए किराया भर रहे हैं।
रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य में सर्वे किए गए केवल 364 किसानों के पास किसान फसल अधिकार कार्ड है, जोकि कुल सर्वे किए गए किराएदार किसानों का 9.6 फीसदी हिस्सा है। वहीं यदि 2020 की बात करें तो यह आंकड़ा 8.1 फीसदी और 2019 में केवल 6.1 फीसदी था। जिसका मतलब है कि इस दौरान इस आंकड़े में मामूली सा सुधार आया है।
रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य में सर्वे किए गए केवल 364 किसानों के पास किसान फसल अधिकार कार्ड है, जोकि कुल सर्वे किए गए किराएदार किसानों का 9.6 फीसदी हिस्सा है। वहीं यदि 2020 की बात करें तो यह आंकड़ा 8.1 फीसदी और 2019 में केवल 6.1 फीसदी था। जिसका मतलब है कि इस दौरान इस आंकड़े में मामूली सा सुधार आया है।
वहीं किसान कार्ड प्राप्त करने वाले किराएदार किसानों में से 59 फीसदी को अब तक इस कार्ड का लाभ नहीं मिला है। ऐसे में इस कार्ड का क्या औचित्य है यह भी बड़ा सवाल है। वहीं फसल ऋण लेने में आने वाले समस्याओं के चलते केवल 3 फीसदी किसानों ने ही व्यक्तिगत तौर पर फसल के लिए कर्ज लिया था। वहीं इनमें से केवल 17 फीसदी को रायथु भरोसा योजना का लाभ मिला था, जबकि एक फीसदी को आपदा के चलते फसल को हुए नुकसान की एवज में मुआवजा मिला था।
वहीं यदि 1828 भूमिहीन किराएदार किसानों को देखें तो उनमें से केवल 210 को सीसीआरसी मिला है। जिसके चलते केवल 63 को रायथु भरोसा का लाभ मिला, जिसका मतलब है कि चाहे सरकार भूमिहीन किसानों के उद्धार की कितनी भी बड़ी-बड़ी बातें कर लें लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है।
लगभग 90 फीसदी किराए पर खेती करने वाले किसानों ने माना कि पिछले तीन वर्षों में कम से कम एक बार उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है जोकि उनके बढ़ते कर्ज की एक बड़ी वजह है। हालांकि उनमें से केवल एक फीसदी को उसका मुआवजा मिला था।
क्या कुछ करने होंगे बदलाव
जब किसानों से इस बात की वजह जानी गई कि उन्होंने किसान फसल अधिकार कार्ड (सीसीआरसी) का फायदा क्यों नहीं लिया तो उनके अनुसार इसके पीछे की बड़ी वजह इस कार्ड को प्राप्त करने के लिए जमीन के मालिक के हस्ताक्षर सबसे बड़ी समस्या है क्योंकि वो ऐसा करना नहीं चाहते। ऐसे में संगठन ने किसान फसल अधिकार अधिनियम 2019 में संशोधन की मांग की है जिससे हस्ताक्षर की यह शर्त को हटाया जाए।
ग्राम सभा के आधार पर भूमि के पट्टे के सत्यापन के लिए ग्राम स्तर पर अधिकारी को जिम्मेवारी सौंपी जाए। किस काश्तकार किसान द्वारा गांव में किस भूमि पर खेती की जा रही है, इसकी जानकारी सार्वजनिक की जाए। भूमि मालिकों को आश्वस्त करने के लिए सरकार द्वारा अभियान चलाया जाए जिससे उन्हें इस बात के लिए जागरूक किया जाए कि उनके भूमि अधिकार खतरे में नहीं हैं।
यह सुनिश्चित किया जाए की सरकारी योजनाओं का लाभ किराएदार किसानों तक भी पहुंचे। भूमिहीन किराएदार किसानों की पात्रता निर्धारित करने के लिए रायथु भरोसा योजना में प्रतिबंधों को संशोधित किया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक किसानों को इस योजना का लाभ मिल सके।
किराएदार किसानों को सीसीआरसी की मदद से फसल ऋण मिल सके यह सरकार को सुनिश्चित करना होगा। वहीं जिनके पास यह कार्ड नहीं हैं उनके लिए भी सरकार द्वारा कर्ज की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही अन्य किसानों की तरह ही किराएदार किसानों को भी विशेष लाभ दिए जाने चाहिए। जिससे उनके कर्ज के बोझ को कम किया जा सके।