संसद के बाहर लगी किसानों की संसद, कहा- कृषि कानून वापस ले सरकार

तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर किसानों ने जंतर मंतर पर किसान संसद का आयोजन किया
The farmers are holding their own parallel Parliament, complete with a Speaker and Deputy Speaker. Speakers on the first day discussed how the farmers’ resolve had not been shaken despite eight months of being out in the winter cold, the summer heat and now the rains, in addition to the second wave of novel coronavirus disease (COVID-19). Here a speaker takes the floor. Photo by Adithyan PC / CSE
The farmers are holding their own parallel Parliament, complete with a Speaker and Deputy Speaker. Speakers on the first day discussed how the farmers’ resolve had not been shaken despite eight months of being out in the winter cold, the summer heat and now the rains, in addition to the second wave of novel coronavirus disease (COVID-19). Here a speaker takes the floor. Photo by Adithyan PC / CSE
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22 जुलाई 2021 को जब संसद भवन के भीतर मानसून सत्र चल रहा था तो संसद भवन से कुछ ही दूरी पर किसानों की संसद चल रही थी। एक-एक वक्ता को बोलने का मौका दिया जाता और हर वक्ता केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करता रहा। 

लगभग दिन भर चली यह किसान संसद किसानों द्वारा दिल्ली की सीमाओं पर दिए जा रहे धरनों का एक हिस्सा थी। इस किसान संसद का आयोजन  सरकार की अनुमति के बाद किया गया। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अधिकतम 200 किसानों को नौ अगस्त तक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति दी है। इस दौरान सुरक्षा के भारी बंदोबस्त के बीच 200 किसानों को सिंघु बार्डर से जंतर मंतर लाया गया।

किसान संसद से पहले किसानों ने जंतर-मंतर पर नारेबाजी और सरकार से तीनों कानून रद्द करने और एमएसपी गारंटी की मांग कर रहे थे।
किसान संसद में जंतर मंतर पर किसान यूनियन के नेता हन्नान मुल्ला ने कहा कि हमने अपनी मांगों को उठाने के लिए सभी सांसदों को पत्र लिखा है, लेकिन संसद में हमारे मुद्दे नहीं उठाए जा रहे हैं।

भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हम बाहर मुद्दा उठा रहे हैं और विपक्ष को सदन में हमारी आवाज उठानी चाहिए। किसान संसद की अनुमति से तो यह सिद्ध हो गया कि दिल्ली की सीमा पर पिछले आठ महीने से प्रदर्शन करने वाले असली किसान हैं। उन्होंने कहा कि किसानों का इलाज संसद में है और सांसदों का इलाज गांव में है। किसान संसद चलाना भी जानता है और किसानों की आवाज न उठाने वालों को दबाना भी जानता है।

स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव ने कहा कि जब तक संसद चलेगी, तब तक रोजाना 200 किसान जंतर मंतर पर अपनी संसद चलाएंगे। इस संसद में न केवल दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान ही हिस्सा लेंगे, बल्कि देश के दूसरे राज्यों के किसान भी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी से कम पर किसान तैयार नहीं हैं। किसानों की मांगें जब तक नहीं मान ली जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। 

किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि किसान पूरी तरह से शांतिपूर्वक अपनी बात रखने के लिए जंतर मंतर पर आ रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वे किसानों की बात को समझे और अपनी जिद छोड़ कर कृषि कानूनों को इसी सत्र में वापस ले। 

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