अंतिम पड़ाव पर पहुंचा खरीफ सीजन, धान-दलहन का रकबा घटा

खरीफ सीजन में मानसून की बेरुखी की वजह से सबसे अधिक प्रभावित राज्य झारखंड है, जहां धान और दलहन की बुआई काफी कम हुई है।
अंतिम पड़ाव पर पहुंचा खरीफ सीजन, धान-दलहन का रकबा घटा
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खरीफ सीजन की बुआई का समय लगभग समाप्त हो गया है, लेकिन अभी भी पिछले साल के मुकाबले लगभग 22.90 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई नहीं हो पाई है। वहीं दलहन की बुआई भी पिछड़ी हुई है।

सबसे अधिक प्रभावित राज्य झारखंड है। यहां लगभग 55 प्रतिशत क्षेत्र में धान की रोपाई नहीं हो पाई है और किसानों ने धान की रोपाई की उम्मीद ही छोड़ दी है।

झारखंड में पिछले साल सितंबर के पहले सप्ताह तक 17.58 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई थी, जबकि इस साल 2 सितंबर 2022 को समाप्त तक केवल 7.777 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हुई है। यह एक बड़ा अंतर है।

अगर राज्य सरकार के लक्ष्य के हिसाब से देखा जाए तो राज्य सरकार ने इस साल 18 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई का लक्ष्य रखा था। हालांकि झारखंड में धान का सामान्य रकबा 15.48 लाख हेक्टेयर है। सामान्य की गणना पिछले पांच साल के दौरान हुई बुआई का औसत के आधार पर की जाती है। लेकिन झारखंड में 2020-21 में 17.21 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई की गई थी।

झारखंड के बाद मध्य प्रदेश का नंबर आता है, जहां धान की बुआई काफी कम हुई है। यहां पिछले साल के मुकाबले 2 सितंबर 2022 तक धान की बुआई 6.32 लाख हेक्टेयर कम हुई है। लेकिन अगर झारखंड से मध्य प्रदेश की तुलना की जाए तो एक बड़ा राज्य होने के कारण मध्य प्रदेश में पिछले साल धान का रकबा 38.52 लाख हेक्टेयर था, जो कम होकर 32.20 लाख हेक्टेयर रह गया। हालांकि मध्य प्रदेश के किसानों ने इस साल दलहन की बुआई अधिक कर दी है।

पिछले साल के मुकाबले इस साल मध्य प्रदेश में 4.08 लाख हेक्टेयर में दलहन की फसल अधिक लगाई गई है। जबकि दलहन के मामले में भी झारखंड पिछले साल के मुकाबले पिछड़ा हुआ है। यहां पिछले साल से 1.33 लाख हेक्टेयर कम दलहन की बुआई हुई है। 

झारखंड में दलहन का रकबा बहुत अधिक नहीं है। यहां सामान्य तौर पर 4.31 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई होती है, पिछले साल सितंबर के पहले सप्ताह में ही इतनी बुआई हो चुकी थी, परंतु इस साल केवल 2.99 लाख हेक्टेयर में दलहन बोई गई है। यानी कि लगभग 70 फीसदी हिस्से में ही दलहन की बुआई हो पाई है। 

हालांकि मध्यप्रदेश में तिलहन की बुआई 3.05 लाख हेक्टेयर कम हुई है। जो मध्य प्रदेश के किसानों की चिंता बढ़ा सकती है।

झारखंड, मध्य प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल में पिछले साल के मुकाबले 4.45 लाख हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ में 3.91 लाख हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 2.61 लाख हेक्टेयर और बिहार में 2.18 लख हेक्टेयर धान की रोपाई कम हुई है। लेकिन तेलंगाना में 4.71 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई अधिक हुई है। इसके अलावा हरियाणा में 94 हजार हेक्टेयर, नागालैंड में 78 हजार हेक्टेयर और गुजरात में 55 हजार हेक्टेयर धान का रकबा बढ़ा है।

दलहन का रकबा भी घटा

दलहन को लेकर भी हालात अच्छे नहीं हैं। दलहन की बुआई का सामान्य क्षेत्र 140.18 लाख हेक्टेयर है। लेकिन पिछले साल सितंबर के पहले सप्ताह तक 135.46 लाख हेक्टेयर दलहन की बोआई हो चुकी थी, परंतु इस साल 129.55 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। इस बार कुल्थी दाल का रकबा बहुत घट गया है। कुल्थी दाल का सामान्य रकब लगभग दो लाख हेक्टेयर है, लेकिन इस साल केवल 23 हजार हेक्टेयर ही बुआई हो पाई है, जबकि पिछले साल 48 हजार हेक्टेयर बुआई हो चुकी थी।

बाजरे का रकबा बढ़ा

चालू खरीफ सीजन में केवल मोटे अनाज और कपास का रकबा पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है। मोटे अनाज में भी बाजरे का रकबा सबसे अधिक बढ़ा है। बाजरे के रकबे में पिछले साल के मुकाबले लगभग दस फीसदी वृद्धि हुई है। पिछले साल सितंबर के पहले सप्ताह में 63.26 लाख हेक्टेयर बाजरे की बुआई की गई थी, लेकिन इस साल यह बढ़ कर 70.44 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है।

हालांकि बाजरे का सामान्य रकबा 73.43 लाख हेक्टेयर है। मक्के के रकबे में भी मामले वृद्धि हुई है। पिछले साल मक्के का रकबा 80.37 लाख हेक्टेयर था, जो इस साल 81.52 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। हालांकि मक्के का सामान्य रकबा 74.68 लाख हेक्टेयर है।

तिलहन भी पिछड़ा

तिलहन का रकबा भी इस साल पिछड़ा हुआ है। तिलहन फसलों की कुल बुआई सितंबर के पहले सप्ताह में 188.51 लाख हेक्टेयर हुई है, जबकि पिछले साल 189.66 लाख हेक्टेयर हुई थी। सबसे ज्यादा असर मूंगफल की फसल पर पड़ा है।

पिछले साल 48.64 लाख हेक्टेयर में मूंगफली की बुआई हो चुकी थी, लेकिन इस साल अभी 45.14 लाख हेक्टेयर ही हो पाई है।

सोयाबीन में सुधार 

तिलहन की खरीफ फसल में सोयाबीन का रकबा अच्छा खासा है। इस साल अब तक 120.37 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हो चुकी है, जो पिछले साल के लगभग बराबर है। सोयाबीन की फसल सबसे अधिक मध्य प्रदेश में होती है, लेकिन मॉनसून की मनमाने पन की वजह से यहां सोयाबीन की बुआई को लेकर किसान असमजंस में रहे।

इस साल 2 सितंबर तक के आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश में लगभग 50.18 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल 55.14 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन लग चुका था। हालांकि पिछले साल सोयाबीन का रकबा और अधिक था और मध्य प्रदेश के किसान 58.49 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई कर चुके थे।

महाराष्ट्र में जरूर सोयाबीन का रकबा बढ़ गया है। पिछले साल 45.94 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस साल 48.70 लाख हेक्टेयर सोयाबीन की बुआई हो चुकी है। राजस्थान में भी सोयबीन का रकबा बढ़ा है।

तिल और रामतिल के रकबे में भी पिछले साल के मुकाबले सुधार हुआ है। मध्य प्रदेश में तो जहां पिछले साल 11 हजार हेक्टेयर में रामतिल लगाया गया था, इस साल अब तक 56 लाख हेक्टेयर में रामतिल लगाया जा चुका है। इसी तरह अरंडी की बुआई का रकबा भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है।

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