फाइल फोटो: ड्रोन तकनीक से छिड़काव नुकसान पहुंचा सकता है
फाइल फोटो: ड्रोन तकनीक से छिड़काव नुकसान पहुंचा सकता है

फसलों को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है ड्रोन से छिड़काव?

पिछले कुछ सालों से सरकार किसानों को ड्रोन से यूरिया, डीएपी व कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए प्रेरित कर रही है
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पिछले कई सालों से सरकार बिना तकनीकी अनुसंधान से प्रमाणित, ड्रोन से फसलों में पोषक तत्व, खरपतवारनाशक, कीटनाशक आदि के छिड़काव को प्रोत्साहन दे रही है, लेकिन ड्रोन से फसलों मे छिड़काव तकनीक किसानों और फसलों के लिए अभिशाप साबित हो रहा है, क्योंकि ड्रोन से छिड़काव मे आमतौर मात्र 10 लीटर पानी लगता है, जिसमें पोषक तत्व व खरपतवार नाशक दवा आदि की अगर पूरी अनुशंसित मात्रा से छिड़काव किया जाए तो फसलेंं जल जाती है और अगर कम दवा का छिड़काव 10 लीटर पानी अनुपात से किया जाए तो फसल के लिए फायदेमंद नही रहेगा।

उदाहरण के तौर पर 2 प्रतिशत यूरिया (यानि 2 किलो यूरिया 100 लीटर पानी मे घोल) का छिड़काव सभी अनाज फसलों मे अनुशंसित और फायदेमंद है। पर ड्रोन तकनीक से 2 किलो यूरिया 10 लीटर पानी मे छिडकाव करने से फसलें जल जाएंगी, क्योंकि तब यह मात्रा 20 प्रतिशत यूरिया घोल के बराबर होगी।

उल्लेखनीय है कि सभी फसलों मे पत्ते गिराने के लिए 10 प्रतिशत यूरिया की मात्रा अनुशंसित है। अगर अनुशंसित यूरिया की मात्रा को ड्रोन से छिड़काव के लिए 10 लीटर पानी के अनुपात में घोल बनाया जाए, तब यह 2 किलो की बजाय मात्र 200 ग्राम यूरिया रह जाएगा, जिसके छिड़काव का फसल को कोई खास फायदा नहीं मिलेगा। इसी तरह दूसरे पोषक तत्व पोटाश, फास्फोरस, जिंक आदि के ड्रोन से छिड़काव से फसलो को फायदेमंद होने की बजाय नुकसान ही होगा।

गेहूं-धान जैसी अनाज फसलों को पूरी पैदावार देने के लिए 100-120 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर चाहिए, लेकिन सरकार पिछले कई सालों से ड्रोन तकनीक से 4 प्रतिशत वाले नैनो यूरिया का छिड़काव करने की सलाह दी रही है। सरकारप्रचार कर रही है कि एक 500 मिलीलीटर की बोतल नैनो यूरिया का असर 45 किलो परम्परागत 46 प्रतिशत यूरिया के बराबर है, जिसका किसी भी फसल में कोई फायदा अभी तक नहीं मिला है।

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क्योंकि इस छिड़काव से फसल को मात्र 20 ग्राम नाइट्रोजन प्रति एकड़ ही मिल सकती है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के एक रिसर्च से प्रमाणित हुआ है कि नैनो यूरिया के छिड़काव से गेहूं-धान की फसलों में पौष्टिकता, प्रोटीन की मात्रा और पैदावार में भारी कमी आई है।

इसी तरह खरपतवारनाशक दवा का छिड़काव अगर ड्रोन तकनीक से किया जाए, तो खरपतवारनाशक दवा का घनत्व 10 गुना बढ जाएगा, जो खरपतवारो के साथ मुख्य फसल के लिए भी घातक साबित होगा।

ड्रोन तकनीक से छिड़काव मे कीटनाशक दवा का घनत्व 10 गुना बढ़ जाने के बावजूद, फसलों पर कोई सीधा असर तो दिखाई नही देगा। लेकिन कीटनाशक दवा की ज्यादा मात्रा मे छिड़काव करने से परागकणो मे नपुंसकता व कम बीज बनने की संभावना रहेगी और फसल के फूलों शहद इकट्ठा करने वाली मधुमखियो व पर्यावरण हितैषी दोस्त कीट के लिए घातक सिद्ध होगा।

इसलिए ड्रोन से छिड़काव तकनीक फसलोंं के लिए अभिशाप व किसानों से धोखा है और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा साबित होगी।

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