अंतरिम बजट 2024 : किसानों की दोगुनी आमदनी पर चुप्पी, फसल कटाई के बाद के नुकसान को संभालने वाला बजट भी घटा

2019-20 के अंतरिम बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था- 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होगी
Union Minister for Finance Nirmala Sitharaman briefing the media in New Delhi on July 11, 2023. Photo: Ministry of Finance (GODL-India) via Wikimedia Commons
Union Minister for Finance Nirmala Sitharaman briefing the media in New Delhi on July 11, 2023. Photo: Ministry of Finance (GODL-India) via Wikimedia Commons
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार का 12वां और दूसरा अंतरिम बजट पेश कर दिया। जैसा संकेत था कि अंतरिम बजट एक चुनावी बजट होगा जिससे बड़ी उम्मीदें नहीं रखी जाएं। हालांकि, सरकार को अपने काम गिनाने थे, यह तय था। ऐसे में खेती-किसानी के मुद्दे पर सबसे अहम बात यानी किसानों की आय दोगुनी करने के मुद्दे पर चुप्पी बनी रही और आगे के लिए कोई ठोस निर्णय वाला ऐलान भी नहीं दिखा।

इससे पहले 2019-20 के अंतरिम बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था "2022 जह हम 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे होंगे तब एक नए भारत का उदय होगा।...जहां किसानों की आय दोगुनी होगी।" अब दूसरे और ताजा अतंरिम बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में कहा " कृषि क्षेत्र में वैल्यू एडिशन से किसानों की आय बढेगी साथ ही अन्य योजनाएं फसल कटाई के बाद के नुकसान (पोस्ट हार्वेस्ट लॉस) को कम करेंगी। क्या वाकई ऐसा है? डाउन टू अर्थ की ओर से किया गया बजट विश्लेषण बताता है कि पुराने बजट में खेती-किसानी को समृद्धि के लिए की गई योजनाएं या तो शुरू होने को हैं या फिर पूरी नहीं की गई हैं। वहीं, पोस्ट हार्वेस्ट लॉस को कम करने वाले आधारभूत सरंचना के बजट को भी कर दिया गया है।

पोस्ट हार्वेस्ट लॉस यानी फसल कटाई के बाद का नुकसान एक बड़ा नुकसान है। किसानों की आय को दोगुना करने वाली सिफारिशी समिति जिसे हम दलवई समिति भी कहते हैं उस रिपोर्ट के मुताबिक देश में किसान जितना पैदा करते हैं उसे बाजार में बेच नहीं पाते। खासतौर से हॉर्टीकल्चर से संबंधित किसानों को सबसे बड़ी क्षति उठानी पड़ती है यानी उन्हें मौद्रिक फायदा नहीं मिलता। फलों को पैदा करने वाले किसान 34 फीसदी माल नहीं बेच पाते वहीं, 44.6 फीसदी सब्जी पैदा करने वाले किसान नहीं बेच पाते। 

पोस्ट हार्वेस्ट लॉस की प्रमुख वजह कोल्ड चेन की कमी, खराब आधारभूत संरचना, भंडारण क्षमता की कमी, परिवहन सरंचना से जुड़ी समस्याएं हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 8653 कोल्ड स्टोरेज हैं जिनकी क्षमता 39 मिलियन टन है। हालांकि, भारत में मौजूद ज्यादातर कोल्ड स्टोरेज कुछ निश्चित फसलों को सुरक्षित रखने के लिए हैं। सभी तरीके के फल और सब्जियां या अन्य फसल यहां नहीं रखे जा सकते। 

अंतरिम बजट 2024-25 में केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्रालय ने नेशनल हार्टीकल्चर बोर्ड के लिए बजट में भी कटौती कर दी है। 2024-25 में कुल बजट का प्रावधान 20.99 करोड़ रुपए का किया गया है जबकि 2023-24 का संशोधित बजट 24 करोड़ रुपए का था। इस बजट में पोस्ट हार्वेस्ट एंड कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर को भी सुनिश्चित किया जाना है। 

इसके अलावा मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज ने कृषि संबंधी आधारभूत सरंचनाओं को बल देने वाली योजना प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना के तहत महज 729 करोड़ रुपए की योजना का प्रावधान किया है जो कि 2023-24 के संशोधित बजट 745 करोड़ रुपए के मुकाबले 2 फीसदी कम है। 

प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना के तहत मेगा फूड पार्क, इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर एग्रो प्रोसेसिंग कल्स्टर, इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन एंड वैल्यू एडीशन इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑपरेशन ग्रीन आदि शामिल है।  इसके अलावा फूड स्टोरेज एंड वेयरहाउसिंग आदि के लिए कुल 2372.00 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, जिसमें कैपिटल यानी इंफ्रा के लिए महज 2 करोड़ 54 लाख रुपए शामिल हैं। 

2020 में कृषि मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट - रिक्यावरयमेंट एंड अवेलिबिलिटी ऑफ कोल्ड चेन फॉर फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स इन द कंट्री में कहा गया है कि शॉर्ट टर्म में कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 18 बिलियन यूएस डॉलर का निवेश करना होगा। यह आज के समय में भारतीय रूपए के हिसाब से 149 खरब रुपए से भी ज्यादा है। 

जबकि बजट में किए गए प्रावधान फिलहाल पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट या अन्य इंफ्रा संबंधी परेशानियों को हल नहीं करता। 

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