92 लाख करोड़ रुपए है भारत में कृषि खाद्य प्रणालियों की छुपी लागत, दुनिया में है तीसरी सबसे अधिक: एफएओ

एफएओ ने अपनी नई रिपोर्ट में खाद्य उत्पादों की स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी वास्तविक लागतों का खुलासा किया गया है। वैश्विक स्तर पर खाद्य प्रणालियों की छुपी लागत करीब 1,057.7 लाख करोड़ रुपए है
92 लाख करोड़ रुपए है भारत में कृषि खाद्य प्रणालियों की छुपी लागत, दुनिया में है तीसरी सबसे अधिक: एफएओ
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संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अपनी नई रिपोर्ट में खुलासा किया है कि भारत में कृषि खाद्य प्रणालियों की छुपी लागत 91.6 लाख करोड़ रुपए (1.1 लाख करोड़ डॉलर) से ज्यादा है। जो चीन और अमेरिका के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा है। एफएओ द्वारा छह नवंबर, 2023 को प्रकाशित इस “स्टेट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर रिपोर्ट 2023” में दुनिया भर के 154 देशों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया है।  

गौरतलब है कि कृषि खाद्य प्रणालियों की इन छिपी लागतों में ग्रीनहाउस गैस और नाइट्रोजन उत्सर्जन, भूमि उपयोग में आता बदलाव, जल संसाधनों पर बढ़ता दबाव जैसे पर्यावरणीय खर्च शामिल हैं। साथ ही इसमें स्वस्थ आहार और पोषण की कमी के साथ-साथ पर्याप्त आहार ने मिल पाने के कारण उपजी स्वास्थ्य समस्याएं भी शामिल हैं, जो लोगों को बीमार बना सकती हैं। साथ ही इसमें गरीबी से जुड़ी सामाजिक लागत और पोषण की कमी से उत्पादकता को होने वाले नुकसान को भी शामिल किया गया है।

एफएओ ने अपनी इस नई रिपोर्ट में खाद्य उत्पादों की स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी लागतों का जो खुलासा किया है, उनसे पता चला है कि वैश्विक स्तर पर खाद्य प्रणालियों की यह छुपी लागत करीब 1,057.72 लाख करोड़ रुपए (12.7 लाख करोड़ डॉलर) के बराबर है। इसमें भारत की हिस्सेदारी करीब 8.8 फीसदी की है। वहीं चीन 20 फीसदी के साथ इस मामले में पहले स्थान पर है, जबकि अमेरिका ने इसमें करीब 12.3 फीसदी का योगदान दिया है।

हालांकि शोधकर्ताओं ने इस बात से इंकार नहीं किया है कि इन वैश्विक अनुमानों में कुछ अनिश्चितता हो सकती है। लेकिन इसके बावजूद उन्हें पूरा भरोसा है कि यह लागत दस लाख करोड़ डॉलर से कम नहीं है।

भारत में, अधिकांश छिपी हुई लागत मतलब करीब 60 फीसदी, लोगों द्वारा स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से हानिकारक आहार के सेवन और उनके कारण होने वाली बीमारियों की वजह से है, जिनकी वजह से लोगों की उत्पादकता में गिरावट आ रही है। इसके बाद कृषि खाद्य श्रमिकों के बीच व्याप्त गरीबी की हिस्सेदारी करीब 14 फीसदी है। वहीं नाइट्रोजन उत्सर्जन की पर्यावरण संबंधी लागत करीब 13 फीसदी है।

रिपोर्ट के अनुसार यदि चीन से जुड़े आंकड़ों को देखें तो कृषि खाद्य प्रणालियों की अदृश्य लागत करीब 208.2 लाख करोड़ रुपए (2.5 लाख करोड़ डॉलर) जबकि अमेरिका के लिए 124.93 लाख करोड़ रुपए (1.5 लाख करोड़ डॉलर) रिकॉर्ड की गई।

यदि आंकड़ों को देखें तो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से हानिकारक आहार ने दोनों देशों पर सबसे बड़ा बोझ डाला है। यदि इस अदृश्य लागत में इसकी हिस्सेदारी को देखें तो जहां चीन में इसकी हिस्सेदारी 80.2 फीसदी वहीं अमेरिका में भी 85 फीसदी दर्ज की गई। लेकिन कृषि खाद्य प्रणालियों की छुपी लागत के मामले में जहां चीन में 15 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ नाइट्रोजन उत्सर्जन दूसरे स्थान पर रही। वहीं अमेरिका में भूमि उपयोग में आता बदलाव सात फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर रहा।

वहीं यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो सबसे महत्वपूर्ण छिपी लागत आहार से जुड़ी है जो स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर रही है और लोगों की श्रम उत्पादकता को कम कर रही है। हालांकि स्वास्थ्य-संबंधी यह लागत देशों के बीच अलग है, लेकिन समृद्ध देशों में यह विशेष रूप से अधिक दर्ज की गई है। खाद्य एवं कृषि संगठन ने अपनी इस रिपोर्ट में पहली बार 154 देशोंका आंकलन किया है और इससे पता चला है कि हमें अपनी खाद्य प्रणालियों में सुधार के लिए निर्णय लेते समय इन लागतों पर भी विचार करने की आवश्यकता है।

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