सेब कार्टन के दामों में बढ़ोतरी, नाराज सेब बागवान आंदोलन की तैयारी में

सेब कार्टन के दाम में 10 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी लेकिन सेब के न्यूनतम समर्थन मूल्य 1 रुपए बढ़ा
सेब कार्टन के दामों में बढ़ोतरी, नाराज सेब बागवान आंदोलन की तैयारी में
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सेब उत्पादन में दूसरे स्थान में रहने वाले हिमाचल प्रदेश में इन दिनों सेब सीजन शुरू होने जा रहा है। प्रदेश में इस बार सेब की बंपर फसल होने का अंदाजा लगाया जा रहा है। इससे जहां सेब बागवान खुश हैं, वहीं दूसरी तरफ सेब के कार्टन और पैकेजिंग मेटेरियल के दामों में हुई 10 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी से सेब बागवान नाराज हैं और अब 20 जुलाई को प्रदेशभर में एक बड़े आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं।

हिमाचल प्रदेश में 2 लाख से अधिक सेब बागवान सीधे तौर पर सेब बागवानी से जुड़े हुए हैं और प्रदेश में हर साल लगभग 4 करोड़ सेब की पेटियों के उत्पादन से 5 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता है। ऐसे में सेब के कार्टन और अन्य पैकेजिंग मेटेरियल में हुई बढ़ोतरी से नाराज सेब बागवान सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं।

बागवानों का कहना है कि सेब के न्यूनतम समर्थन मूल्य को साढ़े 9 रुपए से बढ़ाकर केवल साढ़े 10 रुपए किया जाना भी है। बागवानों का कहना है कि अब सेब की एक पेटी की पैकेजिंग, ब्रांडिंग और ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा 300 से 350 रुपए तक पहुंच गया है। हिमाचल में सेब बागवानों के लिए कार्टन के दाम तय करने का काम सरकारी संस्था बागवानी उत्पाद विपणन निगम की ओर किया जाता है।

निगम की ओर से कार्टन के लिए तीन कंपनियों को चयनित किया गया है। जिनके दाम पिछले वर्ष के मुकाबले में 10 से 15 रुपए अधिक हैं। यदि पिछले वर्ष से तुलना करें तो 20 किलोग्राम की सेब की पेटी के कार्टन के दाम पिछले वर्ष 68.67 रुपए थे जो इस साल 75.65 रुपए पहुंच गया है।

वहीं सफेद व भूरे कार्टन के दाम 64.51 से 71.71 रुपए, भूरे रंग के डबल वर्जन कार्टन के दाम 60.13 से 67.71 रुपए, भूरे रंग के सिंगल वर्जन कार्टन 58.83 ये 66.78 रुपए, सफेद कार्टन 10 किलोग्राम 46.62 से 52.40 और सफेद व भूरे रंग के कार्टन का दाम 43.72 से 50.43 रुपए हो गया है। इसके अलावा सेब की पेटियों में प्रयोग होने वाली ट्रे के दाम भी 5 रुपए से 8 रुपए प्रति ट्रे हो गया है।

हिमाचल सरकार की ओर से दलील दी गई कि पैकेजिंग मेटेरियल के दामों में बढ़ोतरी जीएसटी की दरों में हुई वृद्धि से देखने को मिली है। हालांकि सरकार ने पैकेजिंग मेटेरियल पर बढ़ी हुई 6 प्रतिशत की दर को सरकार के खाते से भरने की राहत बागवानों को देने की घोषणा की है, बावजूद इसके बागवान खुश नहीं हैं और वे जीएसटी की दरों के अलावा भी बढ़ी दरों को कम करने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं।

यंग एडं युनाइटेड ग्रोवर्स ऐसोसिएशन के महासचिव और युवा बागवान प्रशांत सेहटा ने डाउन टू अर्थ से कहा कि सरकार की ओर जीएसटी पर छह फीसदी की राहत देने की बात कही गई है लेकिन यह राहत केवल सरकार की ओर से चयनित तीन कंपनियों से ही कार्टन खरीदने पर मिलेगी या सभी कंपनियों से मिलेगी इसको लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

संयुक्त किसान मंच के सह संयोजक व बागवान संजय चौहान ने कहा कि सरकार को किसानों के हित में फैसला लेते हुए दामों को नियंत्रण में रखना चाहिए। सेब बागवान और सूंटा फ्रूट कंपनी चलाने वाले संजीव सूंटा ने बताया कि यदि सरकार पैकेजिंग मेटेरियल के दामों को कम रखती है तो इससे मार्केट के प्राइवेट प्लेयर्स भी प्रतिस्पर्धा के चलते दामों को कम रखेंगे। सरकार को चाहिए कि वे बागवानों के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसले ले और बागवानों को राहत प्रदान करे।

संयुक्त किसान मंच ने सरकार से एक देश एक विधान की नीति पर काम करते हुए कश्मीर की तर्ज पर मंडी मध्यस्थता योजना के तहत तीन श्रेणियों, ए के लिए 60 रुपए, बी के लिए 44 और सी के लिए 24 रुपए प्रति किलोग्राम के आधार पर सेब की खरीद की मांग भी उठाई है।

हिमाचल के बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि जीएसटी की दरें 12 से 18 फीसदी होने की वजह से पैकेजिंग मैटेरियल के दामों में जो इजाफा हुआ था उससे बागवानों को राहत देने के लिए छह प्रतिशत जीएसटी की दर को सरकारी खाते से वहन किया जाएगा। इससे बागवानों को काफी राहत मिलेगी। इसके अलावा न्यूनतम मूल्य में 1 रुपए की बढ़ोतरी करने के फैसले से भी बागवानों को लाभ मिलेगा।

पैकेजिंग मेटेरियल के बढ़े हुए दामों का असर हिमाचली सेब के दामों में बढ़ोतरी के रूप में भी देखने को मिल सकता है। जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा।

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