संसद में आज: साल 2024-25 की आपदाओं से खराब हुई 13 लाख हेक्टेयर फसल

संसद में आज यानी नौ दिसंबर, 2025 को कृषि, ऊर्जा, स्वास्थ्य और पर्यावरण क्षेत्रों में प्रगति से संबंधित सवाल सरकार से पूछे गए
संसद में आज: साल 2024-25 की आपदाओं से खराब हुई 13 लाख हेक्टेयर फसल
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सारांश
  • 25.61 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी, प्राकृतिक खेती से मिट्टी के स्वास्थ्य में स्पष्ट सुधार।

  • 1,00,086 पारंपरिक फसल विविधताओं का संरक्षण, जिनमें 85,587 देसी किस्में शामिल।

  • 2024-25 में 13.11 लाख हेक्टेयर फसल क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित।

  • नवीकरणीय ऊर्जा का कुल बिजली उत्पादन में हिस्सा बढ़कर 28.26 फीसदी (2025-26) हुआ।

  • 83.58 करोड़ एबीएचए नंबर बने, भारत में प्रति व्यक्ति 55 किलो भोजन की बर्बादी दर्ज।

भारत में कृषि, ऊर्जा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्रों में लगातार अहम काम हो रहे हैं। संसद के चालू सत्र में लोकसभा और राज्यसभा में उठाए गए मुद्दों पर विभिन्न मंत्रियों ने इन क्षेत्रों की उपलब्धियों, योजनाओं और चुनौतियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

मृदा स्वास्थ्य और जैविक खेती

संसद का शीतकालीन सत्र जारी है, सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) योजना की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। चौहान ने कहा कि साल 2014-15 से अब तक देशभर में 25.61 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार और वितरित किए जा चुके हैं।

यह योजना किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर उपयुक्त खाद और पोषक तत्व उपयोग की दिशा देती है। योजना के लिए अब तक 1970 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। सरकार ने किसानों को जागरूक करने के लिए 93,781 प्रशिक्षण कार्यक्रम, 6.80 लाख प्रदर्शन और 7,425 किसान मेले व अभियान आयोजित किए हैं।

मध्य प्रदेश के देवास में 5,970 मृदा स्वास्थ्य कार्ड और शाजापुर में 10,828 कार्ड किसानों को वितरित किए गए। दोनों जिलों में 2025-26 के दौरान सैकड़ों प्रशिक्षण और किसान मेलों का आयोजन भी हुआ।

शिवराज सिंह चौहान ने एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि प्राकृतिक और जैविक खेती पर भी शोध तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने 16 राज्यों में 20 केंद्रों के माध्यम से ऑल इंडिया नेटवर्क प्रोग्राम ऑन नेचुरल फार्मिंग चलाया है। इसके तहत प्राकृतिक खेती वाले खेतों में मिट्टी के स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव दिखे हैं।

लगभग दो से तीन वर्षों में हिमालयी क्षेत्रों के परीक्षणों में मिट्टी के जैविक कार्बन (एसओसी) में 0.90 फीसदी से बढ़कर 1.15 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की गई। प्राकृतिक खेती वाले खेतों में सूक्ष्मजीवों की संख्या और विविधता रासायनिक खेती की तुलना में काफी अधिक पाई गई।

पारंपरिक फसलों का संरक्षण

सदन में पूछे गए एक सवाल के जवाब में आज, कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में बताया कि आईसीएआर - सीएजेडआरआई अरिद क्षेत्रों की पारंपरिक फसलों जैसे बाजरा, मूंगफली, मोठ, ग्वार, औषधीय पौधों और रेगिस्तानी फलों के संरक्षण, सुधार और उपयोग पर काम कर रहा है।

राष्ट्रीय जीन बैंक और आईसीएआर ने मिलकर 1,00,086 विलुप्त या संकटग्रस्त फसल विविधताओं का संरक्षण किया है। इनमें 85,587 देसी किस्में और 14,499 पारंपरिक किस्में शामिल हैं। यह कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण हेतु महत्वपूर्ण है।

प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को नुकसान

प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को हुए नुकसान को लेकर सदन में उठे एक प्रश्न के उत्तर में आज, कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में गृह मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला दिया।

जिसमें कहा साल 2024-25 में हाइड्रो-मौसमी आपदाओं (जैसे बाढ़, चक्रवात, भारी बारिश आदि) के कारण 13.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की फसलें प्रभावित हुईं। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की गंभीरता और कृषि क्षेत्र में जोखिम प्रबंधन की आवश्यकता को दर्शाता है।

समुद्री शैवाल (सीवीड) की खेती की संभावनाएं

सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने लोकसभा में जानकारी देते हुए कहा कि भारत की 11,099 किलोमीटर लंबी तटरेखा समुद्री शैवाल की खेती के लिए विशाल अवसर प्रदान करती है।

आईसीएआर-सीएमएफआरआई और सीएसआईआर-सीएसएमसीआरआई ने देशभर में संभावित जगहों की पहचान की है। अब तक 384 जगहें चिह्नित किए जा चुके हैं जिनका कुल क्षेत्रफल 24,707 हेक्टेयर है। समुद्री शैवाल का उपयोग खाद्य, औषधि, उद्योगों और जैव उर्वरक के रूप में होता है, जिससे तटीय समुदायों की आय बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

नवीकरणीय ऊर्जा और सौर योजनाएं

राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा एवं विद्युत राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने बताया कि नवीकरणीय ऊर्जा का देश की कुल विद्युत उत्पादन में हिस्सा साल 2014-15 के 17.20 फिदी से बढ़कर 2024-25 में 22.06 फीसदी हो गया है।

वर्तमान वित्त वर्ष 2025-26 (अक्टूबर 2025 तक) में यह हिस्सा बढ़कर 28.26 फिदी हो गया है। यह दर्शाता है कि भारत तेजी से स्वच्छ ऊर्जा की ओर अग्रसर है।

पीएम सूर्य घर – मुफ्त बिजली योजना

सदन में उठाए गए एक और सवाल के जवाब में आज, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा एवं विद्युत राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने राज्यसभा में कहा कि मंत्रालय पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना (पीएमएसजी-एमबीवाई) चला रहा है। इसका लक्ष्य वर्ष 2026-27 तक एक करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर लगाना है।

इस योजना पर 75,021 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित है। इसके तहत पात्र परिवारों को प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त या कम कीमत की बिजली प्रदान करने का लक्ष्य है। कर्नाटक में तीन दिसंबर, 2025 तक 14,365 रूफटॉप सोलर प्रणाली  लगाए जा चुके हैं, जो कुल प्राप्त आवेदनों का लगभग 9.38 फीसदी है।

स्वास्थ्य सेवाएं और डिजिटल स्वास्थ्य मिशन

सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के अंतर्गत नागरिकों के लिए एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है। चार दिसंबर, 2025 तक 83.58 करोड़ एबीएचए नंबर बनाए जा चुके हैं। यह भारत में डिजिटल स्वास्थ्य संरचना को मजबूत बनाने का बड़ा कदम है।

देश में टीबी के मामले

देश में टीबी को लेकर सदन में उठे एक सवाल के जवाब में आज, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2025 का हवाला दिया। जिसमें कहा गया है कि साल 2024 में भारत में लगभग 21.7 लाख टीबी मरीज और तीन लाख मौतें दर्ज की गईं। इससे पता चलता है कि टीबी उन्मूलन के लिए निरंतर प्रयासों की जरूरत है।

भोजन की बर्बादी में भारत की स्थिति

सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने राज्यसभा में, खाद्य अपशिष्ट पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2024 का हवाला दिया।

जिसमें कहा गया है कि भारत में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष लगभग 55 किलोग्राम भोजन बर्बाद होता है, जो वैश्विक औसत 79 किलोग्राम से काफी कम है। यह दर्शाता है कि भारतीय परिवार अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम भोजन बर्बाद करते हैं, हालांकि यह मात्रा भी काफी बड़ी है और इसे कम करने की जरूरत है।

संसद में प्रस्तुत ये आंकड़े बताते हैं कि भारत कृषि, पर्यावरण, स्वास्थ्य और ऊर्जा के क्षेत्रों में लगातार आगे बढ़ रहा है। मिट्टी की सेहत सुधारने से लेकर पारंपरिक फसल संरक्षण, समुद्री शैवाल की खेती, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि, डिजिटल स्वास्थ्य मिशन तथा खाद्य अपशिष्ट कम करने जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की बात कही गई है। हालांकि प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों का नुकसान और टीबी जैसी स्वास्थ्य चुनौतियां अभी भी चिंता का विषय हैं।

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