
भारत में अत्यधिक खपत वाली अरहर दाल की खेती-किसानी करने वाले किसान इन दिनों मायूस और पसोपेश में हैं। बीते महीने केंद्र सरकार ने अरहर दाल के शुल्क मुक्त आयात की अवधि को एक साल के लिए और बढ़ा दिया है।
20 जनवरी, 2025 को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने जारी अधिसूचना में कहा, ‘‘तुअर दाल के मुक्त आयात की नीति 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दी गई है।’’
सरकार का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख अरहर उत्पादक राज्य के किसान अपने अरहर की फसल को बाजार में बेचने के लिए तैयार था।
महाराष्ट्र में दालों की खरीदारी और उत्पादन का बड़ा केंद्र लातूर से आढ़ती अभय शाह ने डाउन टू अर्थ को बताया "बीते साल 12 हजार रुपए क्विंतल तक अरहर की कीमतें किसानों के मिल गई थीं। इस साल दरें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम आ गई हैं। शुल्क मुक्त आयात के फैसले के बाद किसानों की उपज कोई खरीदने को तैयार नहीं है। व्यापारी आयात होने वाली दालों का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, इस वक्त मंडी का भाव 7000 रुपए तक चल रहा है।"
वह आगे कहते हैं, "सरकार का यह निर्णय किसानों में अरहर दाल के प्रति मोहभंग पैदा कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि इस तरह के निर्णय किसानों की स्थितियों को समझकर लिया जाना चाहिए।
सरकार ने 15 मई, 2021 से ‘मुक्त श्रेणी’ के तहत तुअर के आयात की अनुमति दी थी। इसके बाद, समय-समय पर मुक्त आयात व्यवस्था को बढ़ाया जाता रहा है।
ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने डाउन टू अर्थ को बताया कि उनकी ओर से सरकार के इस निर्णय को वापस लेने की मांग की जा रही थी क्योंकि इससे किसानों को काफी नुकसान होगा। इसके कारण दाल के आत्मनिर्भरता को भी झटका लग सकता है क्योंकि किसानों का एमएसपी भाव से कम बिक रही दालों से मोहभंग भी होगा। उन्होंने किसानों को समर्थन मूल्य बढाए जाने की मांग की है।
अग्रवाल बताते हैं कि सरकार का यह निर्णय सिर्फ इस बात से आया है कि अरहर की खपत बढ़ गई है, इसलिए आयात करना जरूरी है। हालांकि, मेरे मुताबिक सरकार को इस शुल्क मुक्त आयात को बढ़ाने की जरूरत नहीं थी क्योंकि अगर खपत अधिकतम 50 लाख टन तक है तो सरकार इस मार्च तक 40 लाख टन अरहर आयात कर लेगी और 10 से 15 लाख टन की कमी के लिए यह निर्णय ठीक नहीं है।
ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन ने केंद्र सरकार की एक बैठक में अरहर का समर्थन मूल्य 9000 रुपए प्रति क्विंतल तक करने की मांग की है।
वहीं, भारत में मूंग के अलावा सभी प्रमुख दालों जैसे अरहर, उड़द, मसूर, चना और पीली मटर का शुल्क मुक्त आयात जारी है।
इस कारण से अरहर के अलावा मसूर और चना दालों की घरेलू कीमतें टूट गई हैं। सभी दालें अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत के भाव पर पहुंच गई हैं। चना अपने एमएसपी भाव 5650 रुपए से नीचे बिक रहा है। नई आवक तैयार है यह भाव और नीचे जा सकता है।
भारत में दालों का आयात खासतौर से म्यांमार, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका और कनाडा से होता है। अरहर और उड़द का अधिकांश आयात अफ्रीकी देशों और म्यांमार से होता है जबकि चना, मटर और मसूर का आयात आस्ट्रेलिया, रूस और कनाडा से होता है।
बहरहाल दालों में आत्मनिर्भर बनने की घोषणा बीते कई बजट भाषणों में हुई है लेकिन किसानों का नुकसान करके सरकार दलहन के मामले में आयातनिर्भर बनी हुई है।