मौसम सूचकांक के लिए आईएमडी और एग्री एक्सचेंज ने किया एमओयू

इससे किसानों को बिना फसल क्षति का प्रमाण दिए सीधे मुआवजा प्राप्त करने का रास्ता मिल सकता है
हरियाणा के कई जिलों में बाढ़ के कारण फसल बर्बाद हो गई। फोटो: ऐश्वर्या
हरियाणा के कई जिलों में बाढ़ के कारण फसल बर्बाद हो गई। फोटो: ऐश्वर्या
Published on

मौसम सूचकांक को लेकर हलचल तेज हो गई है। देश के प्रमुख एग्री कमोडिटी एक्सचेंज नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स ) और भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने 26 जून 2025 को एक समझौता किया है, जिसके तहत देश का पहला "वेदर डेरिवेटिव" उत्पाद विकसित किया जाएगा। इसका उद्देश्य वर्षा जैसे मौसमीय मानकों के आधार पर किसानों और मौसम-संवेदनशील उद्योगों को वित्तीय सुरक्षा देना है।

भारत में हर साल मानसून की अनिश्चितता, हीटवेव, सूखा या बेमौसम बारिश जैसी आपदाओं के चलते खेती-किसानी प्रभावित हो रही है। इन जोखिमों को देखते हुए एनसीडीईएक्स और आईएमडी मिलकर ऐसे वित्तीय उत्पाद बनाएंगे जो वर्षा के स्तर पर आधारित होंगे। इससे किसानों को बिना फसल क्षति का प्रमाण दिए सीधे मुआवजा प्राप्त करने का रास्ता मिलेगा। ऐसे डेरिवेटिव ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स और पर्यटन जैसे अन्य मौसम-निर्भर क्षेत्रों के लिए भी सुरक्षा कवच बन सकते हैं।

आईएमडी के महानिदेशक एम महापात्रा ने कहा “आईएमडी खेती और आपदा प्रबंधन में हमेशा अहम भूमिका निभाता आया है।अब एनसीडीईएक्स के साथ मिलकर हम अपने मौसम से जुड़े वैज्ञानिक अनुभव को आर्थिक क्षेत्रों में भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे मौसम की जानकारी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में काम आ सके।”

डाउन टू अर्थ ने बीते वर्ष प्रकाशित मौसम सूचकांक : भविष्य का दांव, किसे मिलेगा फायदा? रिपोर्ट में यह बताया था "मौसम से ज्यादा अनिश्चित आज के समय में कुछ नहीं है, इसलिए भविष्य के मौसम को आंककर उस पर दांव लगाना अच्छा हेजिंग टूल यानी वित्तीय जोखिम कम करने का साधन बन सकता है। इसका फायदा मौसम पर निर्भर कारोबार के साथ कृषि क्षेत्र से जुड़े संस्थानों और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से किसानों को भी होगा।"

समझौते के बाद डाउन टू अर्थ को भेजे गए प्रेस रिलीज में एनसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक अरुण रस्ते ने कहा “आईएमडी के साथ यह साझेदारी हमारे देश में कमोडिटी बाजारों के लिए एक नई दिशा की शुरुआत है। मौसम से जुड़ी बीमारियों और नुकसान से बचने के लिए ऐसे साधनों की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। अब जब मौसम में बार-बार बदलाव हो रहा है और इसका सीधा असर किसानों की पैदावार और आमदनी पर पड़ता है, तब यह एक ऐसा रास्ता है जो किसानों को मौसम के खतरे से बचाने में मदद करेगा। इससे न केवल किसान और व्यापारी, बल्कि पर्यटन और परिवहन जैसे क्षेत्र भी मौसम की अनिश्चितता का बेहतर तरीके से सामना कर पाएंगे।”

यह साझेदारी किसानों के समूह (एफपीओ), कृषि व्यापारियों, नीति बनाने वाले संस्थानों और विश्लेषकों के लिए साझा प्रशिक्षण, शोध और जानकारी बढ़ाने के कार्यक्रमों में मदद करेगी।

इस साझेदारी के तहत, एनसीडीईएक्स वर्षा आधारित डेरिवेटिव उत्पाद सहित कई नए बाजार उत्पाद विकसित करेगा, जिनके लिए आंकड़े आईएमडी से प्राप्त पुराने और वास्तविक समय के डेटा पर आधारित होंगे। ये आंकड़े व्यापक रूप से वर्गीकृत और गुणवत्ता-पुष्ट किए गए हैं, और ये मौसम की वास्तविक स्थितियों को सांख्यिकीय रूप से सटीकता के साथ दर्शा सकते हैं।

इस सहयोग के तहत जो मौसम आधारित उत्पाद विकसित किए जाएंगे, वे मौसमी और स्थान-विशिष्ट डेरिवेटिव अनुबंधों को संभव बनाएंगे। इससे कृषि, परिवहन और इससे जुड़े अन्य क्षेत्रों में मौसम से जुड़े जोखिमों को समझने और प्रबंधन करने की विशेषज्ञता को बढ़ावा मिलेगा।

हालांकि, इसमें अभी बड़ी चुनौतियां बाकी हैं क्योंकि सही आंकड़ों के बिना ये वित्तीय उत्पाद न्याय नहीं कर पाएंगे।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in