आपत्तियों के बाद नवरा चावल की किस्म पर बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुनवाई स्थगित

नवरा चावल केरल की सांस्कृतिक विरासत का एक साझा आनुवंशिक संसाधन है
नावरा चावल केरल की सांस्कृतिक धरोहर में गहरे रूप से निहित एक साझा आनुवंशिक संसाधन है। फोटो: आईस्टॉक
नावरा चावल केरल की सांस्कृतिक धरोहर में गहरे रूप से निहित एक साझा आनुवंशिक संसाधन है। फोटो: आईस्टॉकJOGY ABRAHAM
Published on

पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकार संरक्षण (पीपीवी-एफआर) प्राधिकरण ने एक किसान द्वारा पारंपरिक नवरा चावल की किस्म पर बौद्धिक संपदा अधिकार मामले में अंतिम सुनवाई स्थगित कर दी है।

यह निर्णय केरल कृषि विश्वविद्यालय (केएयू) की आपत्तियों के बाद लिया गया है, जिसने किसान की याचिका के विरोधियों में से एक होने के बावजूद सुनवाई से बाहर रखे जाने का विरोध किया था।

केरल के पलक्कड़ जिले के किसान पी नारायणन उन्नी ने पीपीवी-एफआर अधिनियम के तहत दो नवरा धान किस्मों को पंजीकृत करने के लिए दो आवेदन दायर किए थे। 28 नवंबर 2024 के लिए निर्धारित की गई सुनवाई को केरल कृषि विश्व विद्यालय द्वारा चिंता जताए जाने के बाद स्थगित कर दिया गया है।

इस मामले ने उन किसानों के अधिकारों को कमजोर करने की स्थिति पैदा की, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से नवरा की अब तक खेती की है। चावल की यह किस्म केरल की सांस्कृतिक विरासत की एक पहचान है। उन्नी के आवेदनों का विरोध पलक्कड़ के एक अन्य किसान एम रघु, हिमेश केआर और केएयू ने किया था। हालांकि इस मामले में केवल रघु को ही सुनवाई की सूचना मिली, जबकि केएयू सहित अन्य दो विरोधियों को इसकी जानकारी नहीं दी गई।

“केएयू को बाहर रखा जाना विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण विरोधी है। एक शोध संगठन के रूप में विश्वविद्यालय के पास आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता है और किसानों के हितों की रक्षा करने का अधिकार है"

केवी बीजू, किसान नेता

नवारा के प्रकार हैं, जैसे कि यूएनएफ-1 और एमएनए-1। ये सामान्य श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किए गए हैं। बीजू ने कहा कि इसके अतिरिक्त चावल के ये प्रकार पहले से ही नवरा के भौगोलिक संकेत (जीआई) के तहत सूचीबद्ध हैं, जिन्हें ब्लैक ग्लूम्ड नवरा और गोल्डन ग्लूम्ड नवरा के रूप में जाना जाता है। जबकि दूसरी ओर सरकार और केएयू ने लगातार कहा है कि नवरा केरल में उगाई जाने वाली एक पारंपरिक चावल की किस्म है। नवरा फाउंडेशन और चित्तूर, पलक्कड़ में नवरा इको फार्म के संस्थापक उन्नी का दावा है कि उनके 12 एकड़ के खेत में उगाई जाने वाली किस्म चित्तूर के लिए अद्वितीय रही है।

उन्नी की पंजीकरण बोली पर अपनी आपत्ति में रघु ने तर्क दिया कि उन्नी को ब्लैक ग्लूम्ड नवरा और गोल्डन ग्लूम्ड नवरा के लिए किसानों के अधिकार देने से केरल में अन्य किसानों द्वारा इन किस्मों की खेती और विपणन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

उन्नी ने पहले ही नवारा चावल के लिए जीआई पंजीकरण हासिल कर लिया है। रघु ने कहा कि कि एक ही व्यक्ति को किसानों के अधिकार देने से जीआई पंजीकरण और किसानों के अधिकार एक व्यक्ति और उसके द्वारा स्थापित किसानों के संगठन तक ही केंद्रित हो जाएंगे। इससे अनिवार्य रूप से एकाधिकार और अस्वस्थ व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा।

ध्यान रहे कि नवारा चावल अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। यह पाचन में मदद करने के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। साथ ही त्वचा को भी बेहतर करता है। यह चावल केरल का प्रमुख चावल है, जो कि लाल चावल की किस्म का चावल है। भारत का यह चावल अपने अनूठे स्वाद के लिए भी जाना जाता है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in