फाइल फोटो: श्रीकांत चौधरी
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हरियाणा: किसानों की लूट का पर्याय बनी अनाज मंडियों की कच्ची पर्ची

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हरियाणा में औसतन हर साल 55 लाख टन धान और 70 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होती है। हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में खरीफ-2024 सीजन में सरकारी एजेंसियों ने 14 नवंबर तक 51.40 लाख टन धान व 4.67 लाख टन बाजरा की समर्थन मूल्य पर खरीद की, जिसकी 13,500 करोड़ रुपए की अदायगी किसानों के बैंक खाते मे की गई, यानि हरियाणा में अनाज की कोई भी सरकारी खरीद घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर नहीं हुई।

लेकिन जब किसान अपनी गेहूं-धान फसल उपज बेचने के लिए अनाज मंडियों में लाता है, तब आढ़ती कार्टेल (संगठन) बनाकर नमी ज्यादा, दानों का बदरंग व टूटे होने जैसे बहाने बनाकर और खरीद कीमतों में भारी हेराफेरी करके किसान की फसल उपज को सस्ते में एमएसपी से कम पर खरीदने का दिखावा (नाटक) करते है और किसान को 200- 500 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी से कम की कच्ची खरीद पर्ची पकड़ा देते है।

जबकि वास्तव में किसान की फसल उपज सरकारी एजेंसियों के जे-फार्म के अनुसार एमएसपी दाम पर ही खरीदी गई होती है और किसान के बैंक अकाउंट में भुगतान भी एमएसपी दाम पर ही होता है।

आढ़तियों का कार्टेल, समाजिक और व्यापारिक दबाव बनाकर किसानों से कच्ची पर्ची और एमएसपी के अंतर राशि की नकद उगाही करते हैं। इस तरह हरियाणा में सालों से लगभग 3000 करोड़ रुपए सालाना का बड़ा घोटाला हो रहा है। इसमें आढ़ती ही नहीं मार्केट कमेटी के अफसरों की भी मिलीभगत है। जिसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषी आढ़तियों के लाईसेंस रद्द होने चाहिए और अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।

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