सरकार को धान की सीधी बुआई के लिए किसानों को प्रेरित करना चाहिए।
सरकार को धान की सीधी बुआई के लिए किसानों को प्रेरित करना चाहिए।

हरियाणा-पंजाब जलसंकट : धान की सीधी बिजाई है इलाज

हरियाणा और पंजाब राज्यो मे भूजल बर्बादी वाली रोपाई धान की क्रमश: 16 और 32 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है। जिसके कारण इन राज्यो मे ज्यादातर ब्लॉक मे भूजल ग्रे-जोन मे चला गया है
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हरियाणा-पंजाब मे धान की नर्सरी व सीधी बिजाई की बुआई की 15 मई से कानूनी तौर पर अनुमति है। सीधी बिजाई धान 15 मई से 7 जून तक बुआई करने पर सबसे ज्यादा कामयाब है। 10 जून के बाद बुआई करने पर, सीधी बिजाई धान फसल खरपतवार से समस्याग्रस्त हो जाती है।  सीधी बिजाई धान की बुआई गेंहू व दूसरी फसलो की तरह पलेवा सिचाई के बाद, तैयार खेत मे धान बीज की बुआई करे और पहली सिचाई 15-20 दिन बाद और बाद की सिचाई 10 दिन अन्तराल पर वर्षा आधारित लगाए। 

सीधी बिजाई विधि मे धान की सभी किस्मे कामयाब है बीज की मात्रा डीएसआर सीड मशीन से 7 किलो और छींटा विधि से 10 किलो प्रति एकड रखे। बुआई के समय बीज की गहराई मात्र 3-5 सेंटीमीटर तक ही रखे, वर्ना ज्यादा गहराई पर बुआई से बीज का जमाव कम होता है। खरपतवार रोकने के लिए 1.5 लीटर पेंडामैथलीन 100 लीटर पानी प्रति एकड छिडकाव बुआई के तुरन्त बाद शाम के समय करे। खाद- उर्वरक- कीट- बिमारीयो का प्रबंधन रोपाई धान की दर से करे।

हरियाणा और पंजाब सरकार पिछले कई वर्षो से सीधी बिजाई धान उगाने वाले किसानो को प्रोत्साहन पैकेज भी दे रही है । जिसकी बदौलत, वर्ष- 2024 मे, हरियाणा मे किसानो ने 3 लाख एकड से ज्यादा भूमि पर सीधी बिजाई धान तकनीक को सफलतापूर्वक अपनाया। इस वर्ष-20225 के लिए,  हरियाणा सरकार ने सीधी बिजाई धान के लिए 4,500 रूपये प्रति एकड प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया है। 

सीधी बिजाई धान तकनीक मे रोपाई धान के मुकाबले एक तिहाई सिचाई भूजल- लागत- उर्जा (डीजल, बिजली, श्रम) की बचत के साथ पूरी पैदावार मिलती है और फसल 10-15 दिन पहले पकने से पराली प्रबंधन मे भी आसानी रहती है। 

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