मध्यप्रदेश में मानसून में अतिवृष्टि से हुए नुकसान से किसान उबर भी नहीं पाए हैं कि बेमौसम बारिश ने एकबार फिर उन्हें डरा दिया है। गुरुवार को प्रदेश के कई इलाकों में बेमौसम बारिश हुई। बारिश के साथ कई स्थानों पर ओले भी पड़े जिससे खेत में खड़ी फसल को काफी नुकसान हुआ है। हालांकि, जहां सिर्फ पानी बरसा है वहां रबी की फसल को लाभ मिलने की उम्मीद है। हालांकि, कई स्थानों पर खेत में रखा धान बारिश में गीला हो गया है जिससे काफी नुकसान को आशंका है।
किसानों के मुताबिक श्योपुर, मुरैना, देवास, भोपाल, पन्ना, हरदा सहित प्रदेश के तकरीबन 10 जिलों में बारिश के साथ ओले गिरे हैं। देवास जिले के किसान शुभम पटेल ने डाउन टू अर्थ से बातचीत में बताया कि उनके इलाके के 5-7 गांव बुरी तरह से ओले की चपेट में आए हैं और चने की खड़ी फसल को काफी नुकसान हुआ है। फसल के तने ओले की वजह से टूट गए। कई स्थानों पर लहसुन की फसल को भी नुकसान की सूचना है।
भोपाल जिले के बैरागढ़ कलां गांव के किसान सोनू यादव ने बताया कि यहां तेज बारिश के साथ ओले गिरे। उन्होंने जब खेत पर जाकर देखा तो उनके गुलाब के खेत को काफी नुकसान हुआ है। वे बताते हैं कि उनकी गांव में 1 एकड़ में गुलाब की खेती है जिसमें से आधा एकड़ फसल खराब होने का अनुमान है। किसान सरकार से फसल के सर्वे और मुआवजे की मांग कर रहे हैं। हालांकि अभी तक मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।
कड़ाके की ठंड का खतरा, पाला से डरे किसान
मौसम में बारिश के बाद ठंडक महसूस की जा रही है। भोपाल का तापमान 7 डिग्री सेल्सियस तक गिरकर 12 डिग्री के करीब पहुंच गया है। गुना, श्योपुर, देवास के तापमान में भी कमी देखी का रही है। मौसम विभाग के मुताबिक ग्वालियर और होशंगाबाद जिले में पिछले 24 घंटों में 3 से 4 मिमी बारिश हुई है। गुना और उसके आसपास के इलकोम में भी हल्की बारिश हुई है। मौसम आने वाले 24 घंटों में इसी तरह बना रहेगा जिस वजह से तामपान में कमी आएगी। कम तामपान में घना कोहरा और पाला पड़ने की आशंका से किसान डरे हुए हैं।
कृषि विज्ञान के शोधार्थी राजेन्द्र पटेल बताते हैं कि ग्वालियर और उससे सटे इलाके में किसान सरसो की फसल लगा रहे हैं। उन्हें इस बारिश का फायदा मिलेगा। इस बार धन को फसल देरी से कटने की वजह से अधिकतर खेत खाली ही हैं, या तो फसल अभी छोटे हैं। पटेल के मुताबिक इस वजह से कई किसान नुकसान से बचे भी हैं। बारिश के बाद ठंड बढ़ने से कई फसलों को नुकसान हो सकता है।