जीएम सरसों की अनुमति देने के निर्णय को वापिस लें सरकार: भारतीय किसान संघ

जीएम सरसों की अनुमति देने के निर्णय को वापिस लें सरकार: भारतीय किसान संघ

भारतीय किसान संघ ने व्यापक अध्ययन न होने के बावजूद जीईएसी द्वारा मंजूरी देने पर सवाल खड़े किए हैं
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भारतीय किसान संघ ने जीएम सरसों की मंजूरी न दिए जाने की मांग की है और कहा है कि सरकार को पहले सभी हितधारकों के साथ सघन बात करने के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए। 

संघ के महासचिव द्वारा प्रेस को जारी बयान में कहा गया है कि पिछले कई वर्षो से जी.एम. सरसों चर्चा में है। कभी यह बताया जाता है कि यह अधिक उपजाऊ है, लेकिन जब  प्रश्न पूछे जाते हैं तो जवाब बदलकर बताया जाता है कि यह पुरूष बांझपन को दूर करने के लिए बनाया गया है। लेकिन थोड़े दिनों के बाद ये भी बताया गया कि जीएम सरसों खरपतवार रोधी है।

लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि जीएम सरसों को क्यों विकसित किया गया है। अब जेनेटेिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) के अनुमति पत्र में लिखा गया है कि जीएम सरसों के समर्थन में जो भी जानकारियां मिली हैं, वे सभी विदेशों से लाई गयी है। हमारे देश में इसके बारे में अध्ययन करना बाकी है।

भारतीय किसान संघ ने सवाल उठाया है कि अगर ऐसा है तो अनुमति कैसे दी गई? जीईएसी जैसा जिम्मेदार संगठन ने गैर जिम्मेदाराना, अवैधानिक, अवैज्ञानिक निर्णय कैसे लिया? 

संघ ने आरोप लगाते हुए कहा है कि इसीलिए लोग बोलते हैं कि कहीं कोई सौदेबाजी तो नही हुई? वैसे तो यह विषय हमारा नही है, लेकिन अगर ऐसा है तो इसकी जांच कराई जानी चाहिए।

अपनी प्रेस विज्ञप्ति में भाकिसं ने कहा है कि इन सभी प्रश्नों के साथ एक बड़ा प्रश्न यह भी है, जीएम सरसों को पहले से किसानों के बीच में भेजकर हंगामा खड़ा करना किसका कार्य था और इसी अवैधानिक कृत्य को हमारे कानूनी व्यवस्था ने अभी तक क्यों दण्डित नहीं  किया? अगर आम लोगों ने जीएम सरसों का तेल इस्तेमाल नहीं किया तो देशी सरसों की खेती व व्यापार पर भी असर पड़ेगा। 

भारतीय किसान संघ का कहना है कि जीएम सरसों का मधुमक्खी और दूसरे परागण के ऊपर क्या प्रभाव पडेगा, इसके बारे में देश में कोई शोध नहीं हुआ है। जीईएसी के अनुमति पत्रों से इस बारे में पता चलता है। अगर ऐसा है तो फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शहद के बारे में की घोषणाओं का क्या होगा?

भाकिसं ने सवाल किया है, "यद्यपि यह अधिक उपजाऊ वाला नहीं है, फिर भी कई अधिकारी सरसों के तेल में ‘‘देश को आत्मनिर्भर करने के लिए यह जरूरी है, ऐसा क्यों बता रहे हैं? किसके दबाव में, किसी के प्रभाव में?’’

किसान संघ ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मांग की है कि वे तुरंत इस निर्णय को वापिस लेने का निर्देश जीईएसी को करें। 

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि अगर सरकार सरसों जैसा खाद्य तेल में भारत को आत्मनिर्भर करना चाहती है, तो उसका एक सहज उपाय है- उसके लिए अच्छा मूल्य देने की घोषणा करने के साथ उसके खरीददारी की व्यवस्था करें तो दलहन के समान तिलहन में भी एक-दो वर्षों में आत्मनिर्भर बन जाएंगे। इसके लिए जीएम सरसों जैसे वैज्ञानिक धोखाधड़ी की जरूरत नहीं पड़ेगी। और जीईएसी जैसी संस्था को अवैज्ञानिक- अवैधानिक और गैर जिम्मेदाराना निर्णय लेने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा, जैसे जीएम सरसों की अनुमति देने की प्रक्रिया में हुआ है।

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