केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के रबी सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है। इसके मुताबिक गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 प्रति क्विंटल से बढ़ा कर 1975 रुपए (2.6 प्रतिशत) कर दिया है। सरकार ने दावा किया है कि नए एमएसपी के चलते गेहूं किसान को लागत मूल्य पर 106 प्रतिशत का मुनाफा होगा।
नए समर्थन मूल्य को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने मंजूरी दी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर ने टि्वट करके नए समर्थन मूल्य की जानकारी दी। उन्होंन बताया कि चना का समर्थन मूल्य 5100 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया। चने के समर्थन मूल्य में 225 रुपए प्रति क्विंटल (4.6 प्रतिशत) की वृद्धि की गई है। उन्होंने दावा किया कि नए समर्थन मूल्य में किसान को लागत मूल्य पर 78 प्रतिशत का मुनाफा होगा।
इसी तरह जौ के समर्थन में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए नया समर्थन मूल्य 1600 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया। इसके समर्थन मूल्य में 75 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। दावा है कि लागत मूल्य पर किसानों को 65 प्रतिशत का मुनाफा होगा।
मसूर का समर्थन मूल्य 5100 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। मसूर के समर्थन मूल्य में 300 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है, जो 6.3 प्रतिशत है। सरकार का दावा है कि किसान को लागत मूल्य पर 78 प्रतिशत का मुनाफा होगा।
सरसों एवं रेपसीड का समर्थन मूल्य 4650 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया। इसमें 225 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। इस पर भी लागत मूल्य पर किसानों को 93 प्रतिशत का मुनाफे का दावा किया गया है।
कुसुम्भ का समर्थन मूल्य 5327 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। कुसुम्भ के समर्थन मूल्य में 112 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। इसमें किसान को लागत मूल्य पर 50 प्रतिशत के मुनाफे का दावा किया गया है।
इससे पहले केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर ने कहा कि कोविड-19 जैसी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वर्ष 2019 में रिकॉर्ड 296.65 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन की संभावना है। यह साल भारतीय कृषि के इतिहास में एक मील का पत्थर बना है।
21 सितंबर 2020 को 2020-21 खरीफ सीजन की प्रगति और आगामी रबी सीजन की योजनाओं के लिए ‘रबी अभियान 2020’ पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि इस साल कपास के उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है। अनुमान है कि कपास का उत्पादन भी बढ़कर 354.91 लाख गांठ हो जाएगा जिससे भारत दुनिया में कपास उत्पादन में पहले स्थान पर आ जाएगा। जबकि दलहनी फसलों के 23.15 और तिलहनी फसलों के 33.42 मिलियन टन उत्पादन की संभावना है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 11 सितंबर 2020 तक खरीफ फसलों की बुआई 1113 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो सामान्य बुआई क्षेत्र से 46 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
मंत्रालय ने 2020-21 के लिए 301 मिलियन ( लगभग 30 करोड़) टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित है, जिसमें धान का लक्ष्य 119.60, गेहूं का 108.00, ज्वार का 5.00, बाजरा का 9.57, मक्का का 29.00 और मोटे अनाज का 47.80 मिलियन टन रखा जा रहा है।
मंत्रालय की ओर से बताया गया कि इस बार दालों और तिलहनी फसलों के उत्पादन पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जिसमें 25.60 मिलियन टन दलहनी तथा 37 मिलियन टन तिलहनी फसलों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वनस्पति तेलों के आयात को घटाने के लिए तिलहनी उत्पादन को बढ़ाने पर व्यापक रूप में जोर दिया जा रहा है, जिसमें पाम पौधों की खेती बढ़ाना भी शामिल है। तिलहनी फसलों में सबसे अधिक जोर सरसों के उत्पादन पर रहेगा। इसीलिए इस रबी सीजन के लिए सरसों के उत्पादन का लक्ष्य 92 लाख टन से बढ़ाकर 125 लाख टन किया गया है।
भारत में खाद्यान्नों, दलहानी और तिलहनी फसलों तथा नकदी फसलों की बुआई के मुख्यतः तीन सीजन होते हैं, खरीफ, रबी और ग्रीष्म। इसमें रबी सीजन सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में कुल कृषि उत्पादन में आधी हिस्सेदारी रबी सीजन की होती है।