नैनो टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से दूर की जा सकती है वैश्विक खाद्य असुरक्षा
एक नए अध्ययन से पता चला है कि किसान नैनो तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके फसल की उपज में वृद्धि कर सकते हैं। इससे दुनिया भर में खाद्य असुरक्षा की चुनौतियों से निपटा जा सकता है। जलवायु परिवर्तन, बढ़ती आबादी, जैव ईंधन के उत्पादन के लिए भूमि की मांग और मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट का मतलब है कि दुनिया की आबादी के लिए भोजन जुटाना मुश्किल होता जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की माने तो 2030 तक 48 करोड़ लोग भूख से प्रभावित होंगे, लेकिन शोधकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग क्षमताओं के साथ स्मार्ट और नैनो तकनीक से की जाने वाली कृषि को मिलाकर एक रोडमैप तैयार किया है जो इस बढ़ती संख्या को कम करने में मदद कर सकता है।
बर्मिंघम विश्वविद्यालय के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने नैनोमेटेरियल्स की शक्ति को सुरक्षित, स्थायी और जिम्मेदारी से उपयोग करने तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग हेतु निम्नलिखित उपाय सुझाएं हैं:
- कृषि के क्षेत्र में नैनोमेटेरियल्स के दीर्घकालिक परिणाम को समझने, कैसे नैनोमेटेरियल्स जड़ों, पत्तियों और मिट्टी के परस्पर प्रभाव डालते हैं।
- कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में नैनोमेटेरियल्स के लंबे जीवन चक्र के प्रभाव का आकलन करना जैसे कि नैनोमेटेरियल्स का बार-बार उपयोग मिट्टी पर किस तरह का असर डालेगा।
- नैनो आधारित कृषि के लिए एक प्रणाली बनाना, मिट्टी की गुणवत्ता, फसल की उपज और पोषक तत्वों का उपयोग पर मौजूदा आंकड़ों का उपयोग करके पूर्वानुमान लगाना कि नैनोमेटेरियल्स पर्यावरण में किस तरह प्रतिक्रिया देंगे
- प्रमुख गुणों की पहचान करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग का उपयोग करना जिसमें कृषि व्यवस्था में नैनोमेटेरियल्स को नियंत्रित किया जा सके।
बर्मिंघम विश्वविद्यालय में पर्यावरण नैनोसाइंस के प्रोफेसर इसेल्ट लिंच ने कहा कि वर्तमान अनुमानों से पता चलता है कि लगभग 69 करोड़ लोग भूख का सामना कर रहे हैं, यह दुनिया भर की आबादी का लगभग 9 फीसदी के बराबर है। इस समस्या से पार पाने के लिए स्थायी कृषि समाधान खोजने होंगे। जिसमें हमें साहसिक, नए दृष्टिकोण अपनाने और अलग-अलग क्षेत्रों, जैसे सामग्री विज्ञान और सूचना विज्ञान के ज्ञान को एक साथ जोड़ना होगा।
नैनो तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग कृषि के स्थायी खाद्य उत्पादन के अवसर प्रदान करती है। हम पोषक तत्वों के चक्र और फसल उत्पादकता के लिए मौजूदा मॉडलों को नैनोइनफॉरमैटिक्स से जोड़ सकते हैं ताकि फसलों और मिट्टी दोनों को बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिल सके।
कृषि क्षेत्र में नवाचार का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में बढ़ती आबादी की भूख शांत करना, घटती कृषि भूमि के साथ मिट्टी के स्वास्थ्य तथा उसके संरक्षण और पर्यावरण की गुणवत्ता की रक्षा करना है।
बेहताशा कृषि पर्यावरण की गुणवत्ता के लिए एक गंभीर खतरा बन गई है क्योंकि बड़ी मात्रा में पोषक तत्व पानी और हवा में मिल जाते हैं। कृषि धरती को गर्म करने का भी कारण बन रही है, लगभग 11 फीसदी वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कृषि क्षेत्र की वजह से होता है।
चिंता की बात यह है कि भूमि में अत्यधिक नाइट्रोजन खाद का उपयोग हो रहा है जिसके परिणामस्वरूप 'लाफिंग गैस' नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 300 गुना अधिक शक्तिशाली है। वायु में मानवजनित स्रोत नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन का लगभग 70 फीसदी के लिए कृषि क्षेत्रों को जिम्मेदार माना गया है।
नैनो उर्वरक फसल उर्वरता के लक्ष्य को हासिल करने, पोषक तत्वों का उपयोग एवं उनकी क्षमता (एनयूई) को बढ़ाने और नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने में मदद करते हैं। इस प्रकार जलवायु परिवर्तन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का समर्थन करने में मदद कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने इस बात पर ध्यान दिया कि नैनो तकनीक चार प्रमुख तरीकों से कृषि उपज को बढ़ाने में मदद कर सकती है:
- उत्पादन दर और फसल की पैदावार में सुधार करके
- मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ाने और पौधों को इसमें ढलने लायक बनाना
- संसाधनों की क्षमता में सुधार करना, जैसे कि उर्वरक, और प्रदूषण को कम करना
- ऐसे स्मार्ट सेंसर प्लांट विकसित करना जो किसानों को पर्यावरणीय प्रभावों के प्रति सचेत कर सकें।
बर्मिंघम विश्वविद्यालय के रिसर्च फेलो डॉ पेंग झांग ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग सहित कम्प्यूटेशनल दृष्टिकोणों की नैनो आधारित कृषि को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस तरह के दृष्टिकोण पहले से ही शुरू हो गए हैं। यह अध्ययन नेचर प्लांट्स में प्रकाशित हुआ है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)और नैनो टेक्नोलॉजी को कृषि क्षेत्र में लागू करने से उर्वरकऔर कीटनाशकों के उपयोग के लिए नैनोमेटेरियल्स के डिजाइन मापदंडों की जांच करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाएगी ताकि खाद्य पदार्थों में कम से कमनैनोमेटेरियल अवशेष हो, मिट्टी के स्वास्थ्य पर कम से कम प्रभाव पड़े ताकि सुरक्षित और टिकाऊ कृषि का विकास हो।