छह दशकों से खाद्यान्न उत्पादन में लगातार हो रही है वृद्धि, जारी रखने होंगे प्रयास

साल 2050 तक पृथ्वी पर रहने वाले लोगों की संख्या 10 अरब से ज्यादा हो जाएगी, इसलिए भोजन की मांग को पूरा करने के लिए कृषि उपज में तेजी और अहम हो जाएगी
एक नए  अध्ययन से पता चलता है कि 1960 के दशक से दुनिया भर में कृषि उपज में लगभग उसी दर से वृद्धि जारी है।
एक नए अध्ययन से पता चलता है कि 1960 के दशक से दुनिया भर में कृषि उपज में लगभग उसी दर से वृद्धि जारी है।
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हाल के दशकों में इस बात की चिंता जताई जा रही थी कि दुनिया भर में फसलों के उत्पादन में कमी या स्थिरता आने के आसार हैं, इसके विपरीत, एक नए अध्ययन से पता चलता है कि 1960 के दशक से दुनिया भर में कृषि उपज में लगभग उसी दर से वृद्धि जारी है। इस बात की पुष्टि विश्व बैंक और अमेरिका के इडाहो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने की है।

अध्ययन में साल 2050 तक पृथ्वी पर लगभग 10 अरब से अधिक लोगों के रहने की उम्मीद जताई गई है, इसलिए बढ़ती आबादी के भोजन की मांग को पूरा करने के लिए कृषि उपज में तेजी और अहम हो जाएगी।

अध्ययन में कहा गया है कि पिछले छह दशकों में, खाद्य उत्पादन में वृद्धि का अधिकांश हिस्सा तकनीकी विकास के चलते उपजा है, जिसमें फसल की बेहतर किस्मों का व्यापक विकास और उपयोग शामिल रहा है।

लेकिन वहीं कुछ अध्ययनों ने इस बात की भी आशंका जताई है कि उत्पादन में वृद्धि कम या स्थिर हो गई है, जिससे भविष्य में खाद्य उपलब्धता के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं, खासकर सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि वाले कम और मध्यम आय वाले देशों में।

इस नए अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने मानवजनित उपाय विकसित किए। 144 फसलों के लिए उत्पादन और उपज की अधिकतर कैलोरी-आधारित सूचकांक का उपयोग करते हुए, जो दुनिया भर में कृषि भूमि और खाद्य उत्पादन के 98 फीसदी को कवर करता है।

शोध पत्र में कहा गया है कि, पूूरे तरीके से दुनिया भर में उपज में बढ़ोतरी कृषि उत्पादकता का एक अहम संकेतक है जो लगातार पिछले छह दशकों में कभी भी धीमी नहीं पड़ी है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि कृषि उपज को बढ़ाने वाले ये उपाय वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को विभिन्न देशों और क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता की तुलना करने में मदद दे सकते हैं।

शोध के मुताबिक शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि विशेष फसलों, क्षेत्रों या देशों में देखी गई किसी भी मंदी की भरपाई अन्य में फायदों से हुई है। यह स्थिर वृद्धि प्रति हेक्टेयर लगभग 33 किलोग्राम गेहूं की वार्षिक वृद्धि के बराबर है, जो दुनिया भर में निरंतर बढ़ते उत्पादकता के फायदे को सामने लाती है।

ओपन-एक्सेस जर्नल प्लोस वन में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष दुनिया भर में खाद्य आपूर्ति के नजरिए से आश्वस्त करने वाले हैं, लेकिन शोधकर्ताओं ने शोध पत्र में चेतावनी देते हुए यह भी कहा है कि टिकाऊ खाद्य उत्पादन और खाद्य पदार्थों की उपज में बढ़ता खर्च दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा के लिए एक बहुत भारी चुनौती बनी रहेंगी।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से इस बात पर जोर देते हुए कहा कि ये चिंताएं तेजी से बदलती जलवायु, जनसंख्या में बढ़ोतरी और आय वृद्धि के कारण खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग के संदर्भ में विशेष रूप से प्रासंगिक हैं।

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